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मिट्टी के मटकों पर महंगाई का असर, दामों में हुई दोगुनी बढ़ोतरी

कोरोना काल और भीषण गर्मी के चलते देसी फ्रिज मिट्टी से बने मटकों की मांग लगातार बढ़ने लगी (CLAY POTS DEMAND INCREASED IN PALWAL) है. इसके साथ ही मटकों पर महंगाई का भी असर देखने को मिल रहा है.

CLAY POTS PRICE HIKE IN PALWAL
पलवल में बढ़े मटकों के दाम
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Published : Apr 30, 2022, 6:14 PM IST

पलवल: कोरोना काल और भीषण गर्मी के चलते देसी फ्रिज मिट्टी से बने मटकों की मांग लगातार बढ़ने लगी (CLAY POTS DEMAND INCREASED IN PALWAL) है. इसके साथ ही मटकों पर महंगाई का भी असर देखने को मिल रहा (CLAY POTS PRICE HIKE IN PALWAL) है. इस बार मटकों के दामों में दोगुनी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. पहले जो मटका लोगों को 50 रुपये में मिल जाता था. वह अब 100 रुपये का मिल रहा है. मटका विक्रेता इसे महंगाई का असर बता रहे हैं.

दरअसल इस बार की गर्मी ने शुरुआत में ही अपना प्रचंड रूप दिखाना शुरू कर दिया है. आलम यह है कि अधिकतम तापमान करीब 43 और न्यूनतम तापमान 24 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया जा रहा है. सुबह की शुरुआत होते ही सूर्य देव आग उगलना शुरू कर देते हैं. ऐसे में जब अप्रैल माह में ही यह हालात है, तो मई और जून के महीने में कितनी प्रचंड गर्मी पड़ेगी इसका अंदाजा साफ लगाया जा सकता है. वहीं इस भीषण गर्मी के मौसम में पलवल जिले के बाजारों में मटको की दुकानें लग चुकी हैं.

देसी फ्रिज मिट्टी के मटकों पर महंगाई का असर, मटकों के दामों में हुई दोगुनी बढ़ोतरी

मटका विक्रेता अशोक कुमार और प्रेम प्रजापति ने बताया कि कोरोना काल और भीषण गर्मी को देखते हुए देसी फ्रिज मिट्टी से बने मटको की मांग भी लगातार बढ़ रह रही है. कोरोना की पहली लहर के बाद से लोगों का रुझान मिट्टी के मटकों की तरफ बढ़ने लगा है और तभी से लोग समझदारी दिखाते हुए अब मिट्टी के मटके खरीद रहे हैं. कोरोना काल मे फ्रिज का ज्यादा ठंडा पीने से लोगों को जुकाम हो जाता था और जुकाम होने के कारण उनका गला बैठ जाता था. जिस वजह से वह कोरोना की चपेट में भी आ जाते थे.

उस समय डॉक्टरों ने भी लोगों को फ्रिज का ठंडा पानी पीने की बजाय मिट्टी के मटके का पानी पीने की सलाह दी थी. उन्होंने कहा कि पहले कोरोना काल के समय में वह रोजाना करीब 40 से 50 मटके बेच देते थे. अब वह रोजाना 70 से 80 मटके बेच देते है. लेकिन अबकी बार मटकों पर महंगाई का असर देखने को मिल रहा है. मिट्टी के मटके बनाने के लिए पहले जो मिट्टी की ट्रॉली एक हजार रुपये की मिलती थी. वह अब साढ़े चार हजार रुपये की मिल रही है. साथ ही पहले उन्हें जो उपलें 70 रुपये मन मिल रहे थे, वह अब 150 रुपये मन मिल रहे हैं.

ऐसे में पहले जो मटका वह 50 रुपये में बेच रहे थे. उसे अब 100 रुपये में बेचना पड़ रहा है. मटके का दाम बढ़ने के कारण ग्राहक भी मटका खरीदने में आनाकानी कर रहे हैं, लेकिन ग्राहकों को समझाने पर वह मान जाते हैं. उन्होंने कहा मिट्टी के मटके का पानी पीने से लोगों का जीवन निरोगी रहता है. पहले के समय में लोग मिट्टी से बने बर्तनों का ही उपयोग करते थे. जिस वजह से वह बीमारियों की चपेट में नहीं आते थे.

ये भी पढ़ें: तपती गर्मी और बिजली की कटौती के बाद फरीदाबाद में बढ़ी मिट्टी से बने मटकों की डिमांड

वहीं पलवल नागरिक अस्पताल (Palwal Civil Hospital) में कार्यरत आयुष विभाग के होम्योपैथिक विशेषज्ञ डॉ. प्रवेश अग्रवाल ने भी लोगों की सेहत के लिए मिट्टी के मटके का पानी पीने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि मिट्टी के मटके का पानी पीना काफी फायदेमंद होता है. उन्होंने कहा इस भीषण गर्मी में बाहर से सीधा घर पंहुचते ही लोग फ्रिज का ज्यादा ठंडा पानी पीते हैं, जिस वजह से उनके शरीर का तापमान अधिक होने के कारण उन्हें जुकाम हो जाता है और फ्रिज का ठंडा पानी उनका गला भी पकड़ लेता है. वहीं मटके के पानी से न तो लोगों को जुकाम होता है और न ही उनका गला बैठता है.

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पलवल: कोरोना काल और भीषण गर्मी के चलते देसी फ्रिज मिट्टी से बने मटकों की मांग लगातार बढ़ने लगी (CLAY POTS DEMAND INCREASED IN PALWAL) है. इसके साथ ही मटकों पर महंगाई का भी असर देखने को मिल रहा (CLAY POTS PRICE HIKE IN PALWAL) है. इस बार मटकों के दामों में दोगुनी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. पहले जो मटका लोगों को 50 रुपये में मिल जाता था. वह अब 100 रुपये का मिल रहा है. मटका विक्रेता इसे महंगाई का असर बता रहे हैं.

दरअसल इस बार की गर्मी ने शुरुआत में ही अपना प्रचंड रूप दिखाना शुरू कर दिया है. आलम यह है कि अधिकतम तापमान करीब 43 और न्यूनतम तापमान 24 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया जा रहा है. सुबह की शुरुआत होते ही सूर्य देव आग उगलना शुरू कर देते हैं. ऐसे में जब अप्रैल माह में ही यह हालात है, तो मई और जून के महीने में कितनी प्रचंड गर्मी पड़ेगी इसका अंदाजा साफ लगाया जा सकता है. वहीं इस भीषण गर्मी के मौसम में पलवल जिले के बाजारों में मटको की दुकानें लग चुकी हैं.

देसी फ्रिज मिट्टी के मटकों पर महंगाई का असर, मटकों के दामों में हुई दोगुनी बढ़ोतरी

मटका विक्रेता अशोक कुमार और प्रेम प्रजापति ने बताया कि कोरोना काल और भीषण गर्मी को देखते हुए देसी फ्रिज मिट्टी से बने मटको की मांग भी लगातार बढ़ रह रही है. कोरोना की पहली लहर के बाद से लोगों का रुझान मिट्टी के मटकों की तरफ बढ़ने लगा है और तभी से लोग समझदारी दिखाते हुए अब मिट्टी के मटके खरीद रहे हैं. कोरोना काल मे फ्रिज का ज्यादा ठंडा पीने से लोगों को जुकाम हो जाता था और जुकाम होने के कारण उनका गला बैठ जाता था. जिस वजह से वह कोरोना की चपेट में भी आ जाते थे.

उस समय डॉक्टरों ने भी लोगों को फ्रिज का ठंडा पानी पीने की बजाय मिट्टी के मटके का पानी पीने की सलाह दी थी. उन्होंने कहा कि पहले कोरोना काल के समय में वह रोजाना करीब 40 से 50 मटके बेच देते थे. अब वह रोजाना 70 से 80 मटके बेच देते है. लेकिन अबकी बार मटकों पर महंगाई का असर देखने को मिल रहा है. मिट्टी के मटके बनाने के लिए पहले जो मिट्टी की ट्रॉली एक हजार रुपये की मिलती थी. वह अब साढ़े चार हजार रुपये की मिल रही है. साथ ही पहले उन्हें जो उपलें 70 रुपये मन मिल रहे थे, वह अब 150 रुपये मन मिल रहे हैं.

ऐसे में पहले जो मटका वह 50 रुपये में बेच रहे थे. उसे अब 100 रुपये में बेचना पड़ रहा है. मटके का दाम बढ़ने के कारण ग्राहक भी मटका खरीदने में आनाकानी कर रहे हैं, लेकिन ग्राहकों को समझाने पर वह मान जाते हैं. उन्होंने कहा मिट्टी के मटके का पानी पीने से लोगों का जीवन निरोगी रहता है. पहले के समय में लोग मिट्टी से बने बर्तनों का ही उपयोग करते थे. जिस वजह से वह बीमारियों की चपेट में नहीं आते थे.

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वहीं पलवल नागरिक अस्पताल (Palwal Civil Hospital) में कार्यरत आयुष विभाग के होम्योपैथिक विशेषज्ञ डॉ. प्रवेश अग्रवाल ने भी लोगों की सेहत के लिए मिट्टी के मटके का पानी पीने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि मिट्टी के मटके का पानी पीना काफी फायदेमंद होता है. उन्होंने कहा इस भीषण गर्मी में बाहर से सीधा घर पंहुचते ही लोग फ्रिज का ज्यादा ठंडा पानी पीते हैं, जिस वजह से उनके शरीर का तापमान अधिक होने के कारण उन्हें जुकाम हो जाता है और फ्रिज का ठंडा पानी उनका गला भी पकड़ लेता है. वहीं मटके के पानी से न तो लोगों को जुकाम होता है और न ही उनका गला बैठता है.

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