नूंह: विज्ञान और विकास के मामले में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है. इस दौरान हमारे सामने कई चुनौतियां भी खड़ी हो रही हैं. जिससे निपटना हमारे काफी मुश्किल होता जा रहा है. बढ़ती टेक्नोलोजी से पर्यावरण पर बुरा असर पड़ रहा है. जिसका असर इंसानों के अलावा पशु-पक्षियों पर भी पड़ रहा है. हमारे करीब रहने वाले कई प्रजाति के पक्षी और चिड़िया आज तेजी से गायब (sparrow bird going extinct) हो रही हैं. इनमें एक है गौरैया चिड़िया.
इसी गौरैया चिड़िया को बचाने के लिए नूंह के पिनगवां में युवाओं ने अनोखी और अनूठी शुरुआत (campaign to save sparrow in nuh) की है. युवाओं की इस पहल से ना केवल गौरैया चिड़िया के खत्म हो रहे अस्तित्व को बचाया जा रहा है, बल्कि भीषण गर्मी में चिड़िया को दाना-पानी तथा छाया देने का पुण्य का काम भी किया जा रहा है. युवाओं की इस पहल ( unique initiative To save extinct sparrow) को उम्रदराज लोगों ने जमकर सराहा है.
उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों से सहायता की मांग की है. ग्रामीणों का कहना है कि गौरेया प्रजाति की चिड़िया के अलावा कई प्रकार के पक्षी मौसम में आ रहे हैं. सिर्फ पेस्टिसाइड की वजह से ही नहीं बल्कि पीने के पानी, दाना और छायादार पेड़ नहीं होने की वजह से कुछ प्रजाति के पक्षी लुप्त होते जा रहे हैं. जिनमें गौरैया चिड़िया सबसे अहम है. बुजुर्गों ने कहा कि सूरज उगने के साथ गौरैया चिड़िया की चहचहाहट सुनाई पड़ती थी. जिससे सुनकर लोग अपने दिन की शुरुआत करते थे.
लेकिन समय बदलता गया और गौरैया चिड़िया लगातार कम होती चली गई. अब हालात ये है कि इस प्रजाती की चिड़िया अब खत्म होने की कगार पर है. पिनगवां कस्बे के युवाओं ने इन चिड़ियाओं को बचाने के लिए टिन के पीपे (कनस्तर) को 2-3 तरफ से काटकर उसमें ना केवल दाना व पानी का इंतजाम किया, बल्कि कई बार तो चिड़िया के संरक्षण को देखते हुए लड्डू या बूंदी तक भी चिड़ियों के लिए डाले.
इन नए ठिकानों में गौरैया चिड़िया दिन भर अठखेलियां करती देखी जाती हैं. उन्हें ना केवल यहां दाना-पानी मिल रहा है, बल्कि भरपूर छाया भी मिल रही है. पिनगवां कस्बे के युवाओं ने एक नहीं बल्कि दर्जनों स्थानों पर टिन के पीपे लगाए हुए हैं, जो समाज को एक अच्छा संदेश देने का काम कर रहे हैं. इन नए ठिकानों के बाद इलाके में गौरैया चिड़िया (sparrow bird in nuh) की संख्या में भी इजाफा देखने को मिल रहा है.
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