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ग्रामीणों ने एसडीएम ऑफिस के बाहर दूसरी बार शव रखकर किया प्रदर्शन - लघु सचिवालय पुन्हाना

नूंह जिले के बिछौर गांव के ग्रामीणों ने दूसरी बार शव को लघु सचिवालय पुन्हाना के बाहर रख कर प्रदर्शन किया. ग्रामीणों ने श्मशान की जमीन से तलाब को हटाने की मांग को लेकर ये प्रदर्शन किया.

protest with dead body nuh
शव के साथ प्रदर्शन
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Published : Dec 28, 2019, 7:36 PM IST

नूंह: बिछौर गांव के ग्रामीणों ने लघु सचिवालय के एसडीएम ऑफिस के बाहर दूसरी बार शव रखकर प्रदर्शन किया. ग्रामीणों का आरोप है कि श्मशान की जमीन पर ग्राम पंचायत ने जबरन कब्जा कर तलाब बनाकर मछली पाल रखी है. इससे करीब डेढ महीने पहले भी लघु सचिवालय पर प्रदर्शन किया था. फिर दूसरी बार बघेर समाज के लोग शव को ट्रैक्टर-ट्राली में रखकर पूरी सामग्री के साथ लघु सचिवालय पुन्हाना परिसर में पहुंच गए.

एसडीएम कार्यालय के पोर्च में शव को रखकर महिलाओं सहित लोग बैठ गए. इतना पता चलते ही बीजेपी-आरएसएस नेताओं का जमावड़ा लगने लगा तो प्रशासन के भी तमाम अधिकारी एक के बाद एक करके लघु सचिवालय में जुटने लगे.

ग्रामीणों ने एसडीएम ऑफिस के बाहर दूसरी बार शव रखकर किया प्रदर्शन

कई अधिकारी मौके पर पहुंचे

एसडीएम, डीएसपी, तहसीलदार, बीडीपीओ, एसएचओ पुन्हाना, सिटी चौकी इंचार्ज सहित सब अधिकारी आरएसएस से जुड़े लोगों को समझाकर मामले को शांत करने में जुट गए.

पानी निकालने का काम शुरू हुआ

कई घंटे तक मान-मनव्वल का दौर चलता रहा. बीजेपी - संघ नेताओं के दवाब में आखिरकार प्रशासन के अधिकारियों को आना पड़ा. बिछोर गांव के तालाब पंचायत से पट्टे पर लेकर मछली पालन करने वाले ठेकेदार पर एफआईआर दर्ज कराने तथा तुरंत पानी में मिट्टी डालकर जमीन करने की शर्त पर आरएसएस और बिछोर के लोग माने. बिछोर गांव के लोग सचिवालय में डेरा जमाकर बैठे तो मनरेगा से तुरंत मिट्टी डालने की तालाब में अनुमति मिल गई और काम भी हाथोंहाथ शुरू हो गया.

बघेल समाज सहित लोगों का आरोप है कि मछली पालन करने वाला ठेकेदार तालाब में ज्यादा पानी भरता है, जिससे उनकी श्मशान की भूमि ने भी तालाब का रूप ले लिया है. कुल मिलाकर धारा 144 का शुक्रवार - शनिवार को अधिकारियों की मौजूदगी में खूब मखौल उड़ता दिखाई दिया. दवाब के चलते बिछोर गांव के बघेल समाज के लोगों की 25 सालों की समस्या चंद घंटे में हल हो गई.

ये भी पढ़ें- ठंड से कांप रहा है उत्तर भारत, क्या है हरियाणा का हाल?

नूंह: बिछौर गांव के ग्रामीणों ने लघु सचिवालय के एसडीएम ऑफिस के बाहर दूसरी बार शव रखकर प्रदर्शन किया. ग्रामीणों का आरोप है कि श्मशान की जमीन पर ग्राम पंचायत ने जबरन कब्जा कर तलाब बनाकर मछली पाल रखी है. इससे करीब डेढ महीने पहले भी लघु सचिवालय पर प्रदर्शन किया था. फिर दूसरी बार बघेर समाज के लोग शव को ट्रैक्टर-ट्राली में रखकर पूरी सामग्री के साथ लघु सचिवालय पुन्हाना परिसर में पहुंच गए.

एसडीएम कार्यालय के पोर्च में शव को रखकर महिलाओं सहित लोग बैठ गए. इतना पता चलते ही बीजेपी-आरएसएस नेताओं का जमावड़ा लगने लगा तो प्रशासन के भी तमाम अधिकारी एक के बाद एक करके लघु सचिवालय में जुटने लगे.

ग्रामीणों ने एसडीएम ऑफिस के बाहर दूसरी बार शव रखकर किया प्रदर्शन

कई अधिकारी मौके पर पहुंचे

एसडीएम, डीएसपी, तहसीलदार, बीडीपीओ, एसएचओ पुन्हाना, सिटी चौकी इंचार्ज सहित सब अधिकारी आरएसएस से जुड़े लोगों को समझाकर मामले को शांत करने में जुट गए.

पानी निकालने का काम शुरू हुआ

कई घंटे तक मान-मनव्वल का दौर चलता रहा. बीजेपी - संघ नेताओं के दवाब में आखिरकार प्रशासन के अधिकारियों को आना पड़ा. बिछोर गांव के तालाब पंचायत से पट्टे पर लेकर मछली पालन करने वाले ठेकेदार पर एफआईआर दर्ज कराने तथा तुरंत पानी में मिट्टी डालकर जमीन करने की शर्त पर आरएसएस और बिछोर के लोग माने. बिछोर गांव के लोग सचिवालय में डेरा जमाकर बैठे तो मनरेगा से तुरंत मिट्टी डालने की तालाब में अनुमति मिल गई और काम भी हाथोंहाथ शुरू हो गया.

बघेल समाज सहित लोगों का आरोप है कि मछली पालन करने वाला ठेकेदार तालाब में ज्यादा पानी भरता है, जिससे उनकी श्मशान की भूमि ने भी तालाब का रूप ले लिया है. कुल मिलाकर धारा 144 का शुक्रवार - शनिवार को अधिकारियों की मौजूदगी में खूब मखौल उड़ता दिखाई दिया. दवाब के चलते बिछोर गांव के बघेल समाज के लोगों की 25 सालों की समस्या चंद घंटे में हल हो गई.

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Intro:संवाददाता नूह मेवात 
स्टोरी ;- बिछोर गांव के लोग शव को 14  किलोमीटर दूर लेकर पहुंचे लघु सचिवालय पुन्हाना , शुक्रवार को रातभर शव लघु सचिवालय प्रांगण में रखा , शनिवार को हुआ रास्ता साफ  शुक्रवार को शव लेकर बिछोर गांव से लघु सचिवालय पहुंचे लोग जिला प्रशासन की लाख कोशिशों के बावजूद भी टस से मस नहीं हुए। रात भर लोग शव को प्रांगण में रखकर बैठे रहे। कड़ाके की ठंड में रात बिताने के बाद हिन्दू समाज के लोग पुन्हाना में आसपास जिलों - शहरों से जुटना शुरू हुए और बड़ी संख्या में एकत्रित होकर धर्मशाला से लघु सचिवालय तक विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन करने वालों में हिन्दू समाज के लोगों के साथ भाजपा - आरएसएस नेता एवं कार्यकर्ता भी पहुंचे। विरोध बढ़ता देख जिला प्रशासन की सांस फूलने लगी। एडीसी विवेक पदम सिंह पुन्हाना पहुंचे और प्रदर्शनकारियों के दवाब में न केवल तालाब को समतल करने का काम तेज हुआ बल्कि बिछोर गांव के ग्राम सचिव नफे सिंह को सस्पेंड करने के साथ - साथ जिन अधिकारियों - कर्मचारियों की श्मशान भूमि को खाली नहीं कराने में लापरवाही रही , उनके खिलाफ भी कार्रवाई करने का भरोसा प्रदर्शनकारियों को दिया गया। जब इससे भी बात नहीं बनी तो बघेल समाज के लोगों की श्मशान घाट को भरत कर समतल कराने के बाद उसकी चारदीवारी से लेकर उसमें दो छतरियां बनाने की बात प्रशासन की तरफ से कही गई। इतना सब कुछ होने के बाद बघेल समाज के लोग शव को देर शाम लेकर बिछोर गांव पहुंच गए और शनिवार तक श्मशान की समतल हुई जमीन के कुछ हिस्से पर दहा संस्कार किया गया। खास बात यह रही कि धारा 144 लगी होने के बावजूद न केवल शव को लेकर दो दिन तक लघु सचिवालय में नारेबाजी हुई बल्कि रातभर शव के साथ लोग डटे रहे। इतना ही नहीं हिन्दू समाज के लोग भाजपा नेताओं के साथ धारा 144 होने के बावजूद घंटों रोष जताते प्रदर्शन करते रहे। प्रदर्शनकरियों से किसी की उफ़ कहने तक की हिम्मत नहीं हुई , लेकिन ग्राम सचिव पर गाज जरूर गिर गई। जो काम 25 वर्षों से पूरा नहीं हो सका , वह दवाब में महज 36 घंटे से कम समय में पूरा हो गया। अंतिम संस्कार हो जाने के बाद पुलिस - प्रशासन की जान में जान आई।     आपको को बता दें कि नूह जिले के बड़े गांवों में शामिल बिछोर गांव में बघेल समाज के श्मशान घाट में तालाब का पानी भरा हुआ है। पानी भी दो - चार फुट गहरा नहीं बल्कि दस - दस फुट गहरा है। बघेल समाज के लोगों को यह समस्या कोई नई पैदा नहीं हुई है , पिछले करीब 25 साल से श्मशान में पानी भरा हुआ है। कुछ साल तो बची हुई जमीन में दाह संस्कार होता रहा , लेकिन अब सभी भूमि पर पानी का कब्ज़ा हो चुका है। जिसकी वजह से दाह संस्कार नहीं हो पा रहा है। अन्य समाज के गांव में श्मशान तो हैं , लेकिन बघेल समाज के लोग अपने ही श्मशान में शव का अंतिम संस्कार करने की अड़ करते हुए शुक्रवार को एक शव को ट्रैक्टर - ट्राली में रखकर पूरी सामग्री के साथ लेकर लघु सचिवालय पुन्हाना परिसर में पहुँच गए और एसडीएम कार्यालय के पोर्च में शव को रखकर महिलाओं सहित लोग बैठ गए। इतना पता चलते ही बीजेपी - आरएसएस नेताओं का जमावड़ा लगने लगा तो प्रशासन के भी तमाम अधिकारी एक के बाद एक करके लघु सचिवालय में जुटने लगे। एसडीएम , डीएसपी , तहसीलदार , बीडीपीओ , एसएचओ पुन्हाना , सिटी चौकी इंचार्ज सहित सब अधिकारी आरएसएस से जुड़े लोगों को समझाकर मामले को शांत करने में जुट गए। बिछोर गांव के लोगों की कमान संघ के लोगों ने थाम ली। कई घंटे तक मान - मनव्वल का दौर चलता रहा। बीजेपी - संघ नेताओं के दवाब में आख़िरकार प्रशासन के अधिकारियों को आना पड़ा। बिछोर गांव के तालाब  पंचायत से पट्टे पर लेकर मछली पालन करने वाले ठेकेदार पर एफआईआर दर्ज कराने तथा तुरंत पानी में मिटटी डालकर जमीन  करने की शर्त पर आरएसएस और बिछोर के लोग माने। उसके बावजूद भी आरएसएस - भाजपा कार्यकर्ता और प्रदर्शन करने वाले बिछोर गांव के लोग सैकड़ों की संख्या  में खूब नारेबाजी करते रहे। पुलिस और अधिकारी किसी मूक दर्शक की तरह महज देखते भर रहे। हम बघेल समाज की श्मशान की भूमि में भरत इत्यादि के खिलाफ कतई नहीं हैं , न ही किसी जाति विशेष से कोई गुरेज है , लेकिन पुन्हाना में इसी गांव के लोग दो बार महज दो माह में ऐसा कर चुके हैं। जमीन को समतल नहीं करने वाले अधिकारियों की लापरवाही के साथ - साथ धारा 144 का उलंघन करने वालों के खिलाफ तो कोई क़ानूनी कार्रवाई करने के बजाय आला अधिकारी बगले झांकते रहे , लेकिन ठेकेदार पर सारा ठीकरा फोड़ कर मामले को शांत करने की कोशिश की। आपको बताना जरुरी है कि पिछले 20 - 25 वर्षों में बिछोर गांव में हिन्दू - मुस्लिम सरपंच लगभग बराबर रहे हैं , परन्तु समस्या का समाधान न तो ग्राम पंचायत से हुआ और न ही जिला प्रशासन से।  बिछोर गांव के लोग सचिवालय में डेरा जमाकर बैठे तो मनरेगा से तुरंत मिटटी डालने की तालाब में अनुमति मिल गई और काम भी हाथोंहाथ शुरू हो गया। दो माह पहले जब बिछोर गांव के लोग पहली बार शव लेकर पुन्हाना पहुंचे थे , अगर तभी जिला प्रशासन ने गंभीरता दिखाई होती तो शायद ये बखेड़ा शुक्रवार को खड़ा नहीं होता। बताया जाता है कि बघेल समाज  आधा एकड़ भूमि श्मशान घाट के लिए बिछोर गांव में है। जिसमें साथ में मछली पालन के लिए तालाब है। ग्राम पंचायत इसे पट्टे पर आमदनी के लिए छोड़ती है। बघेल समाज सहित लोगों का आरोप है कि मछली पालन करने वाला ठेकेदार तालाब में ज्यादा पानी भरता है , जिससे उनकी श्मशान की भूमि ने भी तालाब का रूप ले लिया है। कुल मिलाकर धारा 144 का शुक्रवार - शनिवार को अधिकारियों की मौजूदगी में खूब मखौल उड़ता दिखाई दिया। आरएसएस - बीजेपी कार्यकर्ताओं के दवाब के चलते बिछोर गांव के बघेल समाज के लोगों की 25 वर्षों की समस्या चंद घंटे में हल हो गई।
बाइट ;- भगत सिंह परिजन बाइट  टेकचंद परिजन।  संवाददाता कासिम खान नूह मेवात Body:संवाददाता नूह मेवात 
स्टोरी ;- बिछोर गांव के लोग शव को 14  किलोमीटर दूर लेकर पहुंचे लघु सचिवालय पुन्हाना , शुक्रवार को रातभर शव लघु सचिवालय प्रांगण में रखा , शनिवार को हुआ रास्ता साफ  शुक्रवार को शव लेकर बिछोर गांव से लघु सचिवालय पहुंचे लोग जिला प्रशासन की लाख कोशिशों के बावजूद भी टस से मस नहीं हुए। रात भर लोग शव को प्रांगण में रखकर बैठे रहे। कड़ाके की ठंड में रात बिताने के बाद हिन्दू समाज के लोग पुन्हाना में आसपास जिलों - शहरों से जुटना शुरू हुए और बड़ी संख्या में एकत्रित होकर धर्मशाला से लघु सचिवालय तक विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन करने वालों में हिन्दू समाज के लोगों के साथ भाजपा - आरएसएस नेता एवं कार्यकर्ता भी पहुंचे। विरोध बढ़ता देख जिला प्रशासन की सांस फूलने लगी। एडीसी विवेक पदम सिंह पुन्हाना पहुंचे और प्रदर्शनकारियों के दवाब में न केवल तालाब को समतल करने का काम तेज हुआ बल्कि बिछोर गांव के ग्राम सचिव नफे सिंह को सस्पेंड करने के साथ - साथ जिन अधिकारियों - कर्मचारियों की श्मशान भूमि को खाली नहीं कराने में लापरवाही रही , उनके खिलाफ भी कार्रवाई करने का भरोसा प्रदर्शनकारियों को दिया गया। जब इससे भी बात नहीं बनी तो बघेल समाज के लोगों की श्मशान घाट को भरत कर समतल कराने के बाद उसकी चारदीवारी से लेकर उसमें दो छतरियां बनाने की बात प्रशासन की तरफ से कही गई। इतना सब कुछ होने के बाद बघेल समाज के लोग शव को देर शाम लेकर बिछोर गांव पहुंच गए और शनिवार तक श्मशान की समतल हुई जमीन के कुछ हिस्से पर दहा संस्कार किया गया। खास बात यह रही कि धारा 144 लगी होने के बावजूद न केवल शव को लेकर दो दिन तक लघु सचिवालय में नारेबाजी हुई बल्कि रातभर शव के साथ लोग डटे रहे। इतना ही नहीं हिन्दू समाज के लोग भाजपा नेताओं के साथ धारा 144 होने के बावजूद घंटों रोष जताते प्रदर्शन करते रहे। प्रदर्शनकरियों से किसी की उफ़ कहने तक की हिम्मत नहीं हुई , लेकिन ग्राम सचिव पर गाज जरूर गिर गई। जो काम 25 वर्षों से पूरा नहीं हो सका , वह दवाब में महज 36 घंटे से कम समय में पूरा हो गया। अंतिम संस्कार हो जाने के बाद पुलिस - प्रशासन की जान में जान आई।     आपको को बता दें कि नूह जिले के बड़े गांवों में शामिल बिछोर गांव में बघेल समाज के श्मशान घाट में तालाब का पानी भरा हुआ है। पानी भी दो - चार फुट गहरा नहीं बल्कि दस - दस फुट गहरा है। बघेल समाज के लोगों को यह समस्या कोई नई पैदा नहीं हुई है , पिछले करीब 25 साल से श्मशान में पानी भरा हुआ है। कुछ साल तो बची हुई जमीन में दाह संस्कार होता रहा , लेकिन अब सभी भूमि पर पानी का कब्ज़ा हो चुका है। जिसकी वजह से दाह संस्कार नहीं हो पा रहा है। अन्य समाज के गांव में श्मशान तो हैं , लेकिन बघेल समाज के लोग अपने ही श्मशान में शव का अंतिम संस्कार करने की अड़ करते हुए शुक्रवार को एक शव को ट्रैक्टर - ट्राली में रखकर पूरी सामग्री के साथ लेकर लघु सचिवालय पुन्हाना परिसर में पहुँच गए और एसडीएम कार्यालय के पोर्च में शव को रखकर महिलाओं सहित लोग बैठ गए। इतना पता चलते ही बीजेपी - आरएसएस नेताओं का जमावड़ा लगने लगा तो प्रशासन के भी तमाम अधिकारी एक के बाद एक करके लघु सचिवालय में जुटने लगे। एसडीएम , डीएसपी , तहसीलदार , बीडीपीओ , एसएचओ पुन्हाना , सिटी चौकी इंचार्ज सहित सब अधिकारी आरएसएस से जुड़े लोगों को समझाकर मामले को शांत करने में जुट गए। बिछोर गांव के लोगों की कमान संघ के लोगों ने थाम ली। कई घंटे तक मान - मनव्वल का दौर चलता रहा। बीजेपी - संघ नेताओं के दवाब में आख़िरकार प्रशासन के अधिकारियों को आना पड़ा। बिछोर गांव के तालाब  पंचायत से पट्टे पर लेकर मछली पालन करने वाले ठेकेदार पर एफआईआर दर्ज कराने तथा तुरंत पानी में मिटटी डालकर जमीन  करने की शर्त पर आरएसएस और बिछोर के लोग माने। उसके बावजूद भी आरएसएस - भाजपा कार्यकर्ता और प्रदर्शन करने वाले बिछोर गांव के लोग सैकड़ों की संख्या  में खूब नारेबाजी करते रहे। पुलिस और अधिकारी किसी मूक दर्शक की तरह महज देखते भर रहे। हम बघेल समाज की श्मशान की भूमि में भरत इत्यादि के खिलाफ कतई नहीं हैं , न ही किसी जाति विशेष से कोई गुरेज है , लेकिन पुन्हाना में इसी गांव के लोग दो बार महज दो माह में ऐसा कर चुके हैं। जमीन को समतल नहीं करने वाले अधिकारियों की लापरवाही के साथ - साथ धारा 144 का उलंघन करने वालों के खिलाफ तो कोई क़ानूनी कार्रवाई करने के बजाय आला अधिकारी बगले झांकते रहे , लेकिन ठेकेदार पर सारा ठीकरा फोड़ कर मामले को शांत करने की कोशिश की। आपको बताना जरुरी है कि पिछले 20 - 25 वर्षों में बिछोर गांव में हिन्दू - मुस्लिम सरपंच लगभग बराबर रहे हैं , परन्तु समस्या का समाधान न तो ग्राम पंचायत से हुआ और न ही जिला प्रशासन से।  बिछोर गांव के लोग सचिवालय में डेरा जमाकर बैठे तो मनरेगा से तुरंत मिटटी डालने की तालाब में अनुमति मिल गई और काम भी हाथोंहाथ शुरू हो गया। दो माह पहले जब बिछोर गांव के लोग पहली बार शव लेकर पुन्हाना पहुंचे थे , अगर तभी जिला प्रशासन ने गंभीरता दिखाई होती तो शायद ये बखेड़ा शुक्रवार को खड़ा नहीं होता। बताया जाता है कि बघेल समाज  आधा एकड़ भूमि श्मशान घाट के लिए बिछोर गांव में है। जिसमें साथ में मछली पालन के लिए तालाब है। ग्राम पंचायत इसे पट्टे पर आमदनी के लिए छोड़ती है। बघेल समाज सहित लोगों का आरोप है कि मछली पालन करने वाला ठेकेदार तालाब में ज्यादा पानी भरता है , जिससे उनकी श्मशान की भूमि ने भी तालाब का रूप ले लिया है। कुल मिलाकर धारा 144 का शुक्रवार - शनिवार को अधिकारियों की मौजूदगी में खूब मखौल उड़ता दिखाई दिया। आरएसएस - बीजेपी कार्यकर्ताओं के दवाब के चलते बिछोर गांव के बघेल समाज के लोगों की 25 वर्षों की समस्या चंद घंटे में हल हो गई।
बाइट ;- भगत सिंह परिजन बाइट  टेकचंद परिजन।  संवाददाता कासिम खान नूह मेवात Conclusion:संवाददाता नूह मेवात 
स्टोरी ;- बिछोर गांव के लोग शव को 14  किलोमीटर दूर लेकर पहुंचे लघु सचिवालय पुन्हाना , शुक्रवार को रातभर शव लघु सचिवालय प्रांगण में रखा , शनिवार को हुआ रास्ता साफ  शुक्रवार को शव लेकर बिछोर गांव से लघु सचिवालय पहुंचे लोग जिला प्रशासन की लाख कोशिशों के बावजूद भी टस से मस नहीं हुए। रात भर लोग शव को प्रांगण में रखकर बैठे रहे। कड़ाके की ठंड में रात बिताने के बाद हिन्दू समाज के लोग पुन्हाना में आसपास जिलों - शहरों से जुटना शुरू हुए और बड़ी संख्या में एकत्रित होकर धर्मशाला से लघु सचिवालय तक विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन करने वालों में हिन्दू समाज के लोगों के साथ भाजपा - आरएसएस नेता एवं कार्यकर्ता भी पहुंचे। विरोध बढ़ता देख जिला प्रशासन की सांस फूलने लगी। एडीसी विवेक पदम सिंह पुन्हाना पहुंचे और प्रदर्शनकारियों के दवाब में न केवल तालाब को समतल करने का काम तेज हुआ बल्कि बिछोर गांव के ग्राम सचिव नफे सिंह को सस्पेंड करने के साथ - साथ जिन अधिकारियों - कर्मचारियों की श्मशान भूमि को खाली नहीं कराने में लापरवाही रही , उनके खिलाफ भी कार्रवाई करने का भरोसा प्रदर्शनकारियों को दिया गया। जब इससे भी बात नहीं बनी तो बघेल समाज के लोगों की श्मशान घाट को भरत कर समतल कराने के बाद उसकी चारदीवारी से लेकर उसमें दो छतरियां बनाने की बात प्रशासन की तरफ से कही गई। इतना सब कुछ होने के बाद बघेल समाज के लोग शव को देर शाम लेकर बिछोर गांव पहुंच गए और शनिवार तक श्मशान की समतल हुई जमीन के कुछ हिस्से पर दहा संस्कार किया गया। खास बात यह रही कि धारा 144 लगी होने के बावजूद न केवल शव को लेकर दो दिन तक लघु सचिवालय में नारेबाजी हुई बल्कि रातभर शव के साथ लोग डटे रहे। इतना ही नहीं हिन्दू समाज के लोग भाजपा नेताओं के साथ धारा 144 होने के बावजूद घंटों रोष जताते प्रदर्शन करते रहे। प्रदर्शनकरियों से किसी की उफ़ कहने तक की हिम्मत नहीं हुई , लेकिन ग्राम सचिव पर गाज जरूर गिर गई। जो काम 25 वर्षों से पूरा नहीं हो सका , वह दवाब में महज 36 घंटे से कम समय में पूरा हो गया। अंतिम संस्कार हो जाने के बाद पुलिस - प्रशासन की जान में जान आई।     आपको को बता दें कि नूह जिले के बड़े गांवों में शामिल बिछोर गांव में बघेल समाज के श्मशान घाट में तालाब का पानी भरा हुआ है। पानी भी दो - चार फुट गहरा नहीं बल्कि दस - दस फुट गहरा है। बघेल समाज के लोगों को यह समस्या कोई नई पैदा नहीं हुई है , पिछले करीब 25 साल से श्मशान में पानी भरा हुआ है। कुछ साल तो बची हुई जमीन में दाह संस्कार होता रहा , लेकिन अब सभी भूमि पर पानी का कब्ज़ा हो चुका है। जिसकी वजह से दाह संस्कार नहीं हो पा रहा है। अन्य समाज के गांव में श्मशान तो हैं , लेकिन बघेल समाज के लोग अपने ही श्मशान में शव का अंतिम संस्कार करने की अड़ करते हुए शुक्रवार को एक शव को ट्रैक्टर - ट्राली में रखकर पूरी सामग्री के साथ लेकर लघु सचिवालय पुन्हाना परिसर में पहुँच गए और एसडीएम कार्यालय के पोर्च में शव को रखकर महिलाओं सहित लोग बैठ गए। इतना पता चलते ही बीजेपी - आरएसएस नेताओं का जमावड़ा लगने लगा तो प्रशासन के भी तमाम अधिकारी एक के बाद एक करके लघु सचिवालय में जुटने लगे। एसडीएम , डीएसपी , तहसीलदार , बीडीपीओ , एसएचओ पुन्हाना , सिटी चौकी इंचार्ज सहित सब अधिकारी आरएसएस से जुड़े लोगों को समझाकर मामले को शांत करने में जुट गए। बिछोर गांव के लोगों की कमान संघ के लोगों ने थाम ली। कई घंटे तक मान - मनव्वल का दौर चलता रहा। बीजेपी - संघ नेताओं के दवाब में आख़िरकार प्रशासन के अधिकारियों को आना पड़ा। बिछोर गांव के तालाब  पंचायत से पट्टे पर लेकर मछली पालन करने वाले ठेकेदार पर एफआईआर दर्ज कराने तथा तुरंत पानी में मिटटी डालकर जमीन  करने की शर्त पर आरएसएस और बिछोर के लोग माने। उसके बावजूद भी आरएसएस - भाजपा कार्यकर्ता और प्रदर्शन करने वाले बिछोर गांव के लोग सैकड़ों की संख्या  में खूब नारेबाजी करते रहे। पुलिस और अधिकारी किसी मूक दर्शक की तरह महज देखते भर रहे। हम बघेल समाज की श्मशान की भूमि में भरत इत्यादि के खिलाफ कतई नहीं हैं , न ही किसी जाति विशेष से कोई गुरेज है , लेकिन पुन्हाना में इसी गांव के लोग दो बार महज दो माह में ऐसा कर चुके हैं। जमीन को समतल नहीं करने वाले अधिकारियों की लापरवाही के साथ - साथ धारा 144 का उलंघन करने वालों के खिलाफ तो कोई क़ानूनी कार्रवाई करने के बजाय आला अधिकारी बगले झांकते रहे , लेकिन ठेकेदार पर सारा ठीकरा फोड़ कर मामले को शांत करने की कोशिश की। आपको बताना जरुरी है कि पिछले 20 - 25 वर्षों में बिछोर गांव में हिन्दू - मुस्लिम सरपंच लगभग बराबर रहे हैं , परन्तु समस्या का समाधान न तो ग्राम पंचायत से हुआ और न ही जिला प्रशासन से।  बिछोर गांव के लोग सचिवालय में डेरा जमाकर बैठे तो मनरेगा से तुरंत मिटटी डालने की तालाब में अनुमति मिल गई और काम भी हाथोंहाथ शुरू हो गया। दो माह पहले जब बिछोर गांव के लोग पहली बार शव लेकर पुन्हाना पहुंचे थे , अगर तभी जिला प्रशासन ने गंभीरता दिखाई होती तो शायद ये बखेड़ा शुक्रवार को खड़ा नहीं होता। बताया जाता है कि बघेल समाज  आधा एकड़ भूमि श्मशान घाट के लिए बिछोर गांव में है। जिसमें साथ में मछली पालन के लिए तालाब है। ग्राम पंचायत इसे पट्टे पर आमदनी के लिए छोड़ती है। बघेल समाज सहित लोगों का आरोप है कि मछली पालन करने वाला ठेकेदार तालाब में ज्यादा पानी भरता है , जिससे उनकी श्मशान की भूमि ने भी तालाब का रूप ले लिया है। कुल मिलाकर धारा 144 का शुक्रवार - शनिवार को अधिकारियों की मौजूदगी में खूब मखौल उड़ता दिखाई दिया। आरएसएस - बीजेपी कार्यकर्ताओं के दवाब के चलते बिछोर गांव के बघेल समाज के लोगों की 25 वर्षों की समस्या चंद घंटे में हल हो गई।
बाइट ;- भगत सिंह परिजन बाइट  टेकचंद परिजन।  संवाददाता कासिम खान नूह मेवात 
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