ETV Bharat / state

Exclusive: हरियाणा के इस गांव में बेटियों के नाम से जाने जाते हैं हर घर - नूंह हिंदी न्यूज

हरियाणा का एक गांव ऐसा भी जहां परिवार वालों की पहचान उनकी बेटियों के नाम से होती है. इस गांव में करीब ढाई सौ परिवार हैं, जिनमें हर घर में बेटी है और परिवार के लोगों को भी अपने बेटियों पर नाज है.

village of nuh kiruri have identity with daughters
हरियाणा के इस गांव में बेटियों के नाम से जाने जाते हैं हर घर, बेटियों को दे रहा स्वाभिमान का संदेश
author img

By

Published : Oct 17, 2020, 6:02 PM IST

Updated : Oct 17, 2020, 8:03 PM IST

नूंह: देश की राजधानी दिल्ली से करीब 80 किमी दूर स्थित है हरियाणा का जिला नूंह. जिसके माथे पर सबसे पिछड़ा होने का कलंक है. यहां विकास की रोशनी आजादी के इतने साल बाद भी नहीं पुहंची. लेकिन यही जिला पूरे देश की बेटियों को स्वाभिमान का संदेश दे रहा है. नूंह जिले में एक गांव है किरूरी. जो बेटियों को लेकर प्रगतिशील सोच की मिसाल बना है. करीब 1200 लोगों की आबादी वाले इस गांव में लगभग 250 घर हैं. और हर घर में बेटी है. उसी बेटी के नाम से हर घर के बाहर नेम प्लेट लगी है.

कभी सेल्फी विद डॉटर अभियान से चर्चा में आये पूर्व सरपंच सुनील जगलान ने ये अभियान शुरू किया है. जिसे लाडो स्वाभिमान उत्सव नाम दिया गया है. सुनील जगलान का कहना है कि जब प्रधानमंत्री ने गांवों को लाल डोरा मुक्त कर लोगों को मालिकाना हक देते हुए स्वामित्व कार्ड बांटे तभी उनके मन में आया कि बेटियों को भी उनकी पहचान मिलनी चाहिए. क्योंकि जिस पिता की संपत्ति में समाज बेटियों का कोई अधिकार नहीं समझता अगर वही पिता अपने घर को बेटी के नाम से पहचान दे तो लोगों की सोच बदलेगी.

हरियाणा के इस गांव में बेटियों के नाम से जाने जाते हैं हर घर, बेटियों को दे रहा स्वाभिमान का संदेश

क्या कहती हैं किरूरी गांव की सपरपंच?

खास बात ये है कि किरूरी गांव की सरपंच भी महिला हैं. जिन्होंने गांव की पहले तस्वीर बदली और अब बेटियों की तकदीर बदलने में भूमिका निभा रही हैं. सरपंच अंजुम आरा का कहना है कि हमारे गांव की ये तस्वीर जब देश के सामने जाएगी तो लोग जान लेंगे कि यहां मां-बाप अपनी बेटियों को पढ़ाने और उनके भविष्य के लिए कितने सजग हैं. उनका मानना है कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ से जो अलख प्रधानमंत्री ने जगाई थी, उसे उनका गांव किरूरी आगे बढ़ा रहा है.

खुश हैं किरूरी गांव की बेटियां

किरूरी गांव की बेटी मनीषा कहती हैं कि आज घर पर हमारे नाम की नेम प्लेट लगी है, जो हमें बहुत अच्छा लगा है. एक और बेटी रोशनी का कहना है कि गांव में स्वाभिमान उत्सव से हमारे माता-पिता को जितनी खुशी हुई है उससे कहीं ज्यादा हमें खुशी मिली है.

ये भी पढ़ें:-हरियाणा में उड़ रहा 'वन नेशन वन मार्केट' का मजाक, धान लेकर वापस जा रहे यूपी के किसान

किरूरी गांव ने बेटियों से प्यार की इबारत लिखते हुए उस पुरुषवादी सोच पर चोट की है जो बेटियों को जन्म से ही पराया धन मानकर उन्हें सैद्धांतिक हिस्सेदारी देने से रोकती है. बेटियों को कोख में मारने के लिए बदनाम हरियाणा जैसे प्रदेश में भी नूंह जिला लिंगानुपात में सबसे अग्रणी जिलों में शुमार है. यहां 1000 लड़कों पर सबसे ज्यादा 921 बेटियां हैं. और अब यही जिला बेटियों को पढ़ाने, बढ़ाने और उनका स्वाभिमान जगाने की नई इबारत लिख रहा है. उम्मीद है कि किरूरी गांव की ये मुहिम नूंह के साथ-साथ देशभर की लाडो को स्वाभिमान उत्सव मनाने का संदेश देने में सफल होगी.

नूंह: देश की राजधानी दिल्ली से करीब 80 किमी दूर स्थित है हरियाणा का जिला नूंह. जिसके माथे पर सबसे पिछड़ा होने का कलंक है. यहां विकास की रोशनी आजादी के इतने साल बाद भी नहीं पुहंची. लेकिन यही जिला पूरे देश की बेटियों को स्वाभिमान का संदेश दे रहा है. नूंह जिले में एक गांव है किरूरी. जो बेटियों को लेकर प्रगतिशील सोच की मिसाल बना है. करीब 1200 लोगों की आबादी वाले इस गांव में लगभग 250 घर हैं. और हर घर में बेटी है. उसी बेटी के नाम से हर घर के बाहर नेम प्लेट लगी है.

कभी सेल्फी विद डॉटर अभियान से चर्चा में आये पूर्व सरपंच सुनील जगलान ने ये अभियान शुरू किया है. जिसे लाडो स्वाभिमान उत्सव नाम दिया गया है. सुनील जगलान का कहना है कि जब प्रधानमंत्री ने गांवों को लाल डोरा मुक्त कर लोगों को मालिकाना हक देते हुए स्वामित्व कार्ड बांटे तभी उनके मन में आया कि बेटियों को भी उनकी पहचान मिलनी चाहिए. क्योंकि जिस पिता की संपत्ति में समाज बेटियों का कोई अधिकार नहीं समझता अगर वही पिता अपने घर को बेटी के नाम से पहचान दे तो लोगों की सोच बदलेगी.

हरियाणा के इस गांव में बेटियों के नाम से जाने जाते हैं हर घर, बेटियों को दे रहा स्वाभिमान का संदेश

क्या कहती हैं किरूरी गांव की सपरपंच?

खास बात ये है कि किरूरी गांव की सरपंच भी महिला हैं. जिन्होंने गांव की पहले तस्वीर बदली और अब बेटियों की तकदीर बदलने में भूमिका निभा रही हैं. सरपंच अंजुम आरा का कहना है कि हमारे गांव की ये तस्वीर जब देश के सामने जाएगी तो लोग जान लेंगे कि यहां मां-बाप अपनी बेटियों को पढ़ाने और उनके भविष्य के लिए कितने सजग हैं. उनका मानना है कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ से जो अलख प्रधानमंत्री ने जगाई थी, उसे उनका गांव किरूरी आगे बढ़ा रहा है.

खुश हैं किरूरी गांव की बेटियां

किरूरी गांव की बेटी मनीषा कहती हैं कि आज घर पर हमारे नाम की नेम प्लेट लगी है, जो हमें बहुत अच्छा लगा है. एक और बेटी रोशनी का कहना है कि गांव में स्वाभिमान उत्सव से हमारे माता-पिता को जितनी खुशी हुई है उससे कहीं ज्यादा हमें खुशी मिली है.

ये भी पढ़ें:-हरियाणा में उड़ रहा 'वन नेशन वन मार्केट' का मजाक, धान लेकर वापस जा रहे यूपी के किसान

किरूरी गांव ने बेटियों से प्यार की इबारत लिखते हुए उस पुरुषवादी सोच पर चोट की है जो बेटियों को जन्म से ही पराया धन मानकर उन्हें सैद्धांतिक हिस्सेदारी देने से रोकती है. बेटियों को कोख में मारने के लिए बदनाम हरियाणा जैसे प्रदेश में भी नूंह जिला लिंगानुपात में सबसे अग्रणी जिलों में शुमार है. यहां 1000 लड़कों पर सबसे ज्यादा 921 बेटियां हैं. और अब यही जिला बेटियों को पढ़ाने, बढ़ाने और उनका स्वाभिमान जगाने की नई इबारत लिख रहा है. उम्मीद है कि किरूरी गांव की ये मुहिम नूंह के साथ-साथ देशभर की लाडो को स्वाभिमान उत्सव मनाने का संदेश देने में सफल होगी.

Last Updated : Oct 17, 2020, 8:03 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.