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नूंहः लाइसेंस नहीं हो रहे रिन्यू, ड्राइवर्स पर बेरोजगारी का संकट

आरटीए विभाग के मुताबिक अधिकतर लाइसेंस फर्जी हैं या फिर दस्तावेजों में कोई न कोई कमी है. जिसकी वजह से लाइसेंस नवीनीकरण नहीं हो रहा.

लाइसेंस नहीं हो रहे रिन्यू, ड्राइवरों पर बेरोजगारी का संकट
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Published : Jun 3, 2019, 8:16 PM IST

नूंह: जिले में लाइसेंस नवीनीकरण नहीं होने के चलते हजारों चालक अपना रोजगार गंवा चुके हैं. रोजी-रोटी नहीं मिलने की चिंता में बेरोजगार चालक या तो कर्ज के बोझ के नीचे दबते जा रहे हैं या फिर अपराध की दुनिया तक का रास्ता अपना रहे हैं.

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वहीं आरटीए विभाग के मुताबिक अधिकतर लाइसेंस फर्जी हैं या फिर दस्तावेजों में कोई न कोई कमी है. जिसकी वजह से लाइसेंस नवीनीकरण नहीं हो रहा, लेकिन दुख की बात ये है कि फर्जी के चक्कर में असली दस्तावेज वाले चालकों के लाइसेंस भी पिछले कई वर्षों से नवीनीकरण नहीं हो पा रहे हैं.

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कुछ चालकों की तो सरकारी फीस तक कटी हुई है. फाइल सालों से जमा है, लेकिन उस पर हाथ लगाने में अधिकारियों-कर्मचारियों को दिक्कत हो रही है. आरटीए कार्यालय की खिड़की पर सुबह से शाम तक सैकड़ों लोग लाइसेंस रिन्यू कराने के लिए आते हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं होती.

नूंह: जिले में लाइसेंस नवीनीकरण नहीं होने के चलते हजारों चालक अपना रोजगार गंवा चुके हैं. रोजी-रोटी नहीं मिलने की चिंता में बेरोजगार चालक या तो कर्ज के बोझ के नीचे दबते जा रहे हैं या फिर अपराध की दुनिया तक का रास्ता अपना रहे हैं.

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वहीं आरटीए विभाग के मुताबिक अधिकतर लाइसेंस फर्जी हैं या फिर दस्तावेजों में कोई न कोई कमी है. जिसकी वजह से लाइसेंस नवीनीकरण नहीं हो रहा, लेकिन दुख की बात ये है कि फर्जी के चक्कर में असली दस्तावेज वाले चालकों के लाइसेंस भी पिछले कई वर्षों से नवीनीकरण नहीं हो पा रहे हैं.

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कुछ चालकों की तो सरकारी फीस तक कटी हुई है. फाइल सालों से जमा है, लेकिन उस पर हाथ लगाने में अधिकारियों-कर्मचारियों को दिक्कत हो रही है. आरटीए कार्यालय की खिड़की पर सुबह से शाम तक सैकड़ों लोग लाइसेंस रिन्यू कराने के लिए आते हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं होती.

Intro:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी ;- चपरासी से लेकर सीएम तक गुहार , नहीं हुआ कोई सुधार
नूंह जिले के लाइसेंस नवीनीकरण नहीं होने के चलते हजारों चालक अपना रोजगार गंवा चुके हैं। रोजी - रोटी नहीं मिलने की चिंता में बेरोजगार चालक या तो कर्ज के बोझ के नीचे दबते जा रहे हैं या फिर अपराध की दुनिया तक का रास्ता अपना रहे हैं। आरटीए विभाग के चक्कर लगा - लगा कर बेरोजगार चालक तक चुके हैं। लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। लोकसभा चुनाव में भी यह मुद्दा चपरासी से लेकर सीएम तक की जबान पर था , लेकिन समस्या समाधान कब होगा। इसका जवाब किसी के पास नहीं है। एनडीए -2 की सरकार में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी उसी मंत्रालय का कामकाज संभाल रहे हैं , लेकिन समस्या का समाधान कब होगा। इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
आरटीए विभाग के मुताबिक अधिकतर लाइसेंस फर्जी हैं या फिर दस्तावेजों में कोई न कोई कमी है। जिसकी वजह से लाइसेंस नवीनीकरण नहीं हो रहा , लेकिन दुःख की बात यह है कि फर्जी के चक्कर में असली दस्तावेज वाले चालकों के लाइसेंस भी पिछले कई वर्षों से नवीनीकरण नहीं हो पा रहे हैं। कुछ चालकों की तो सरकारी फीस तक कटी हुई है। फाइल सालों से जमा है , लेकिन उस पर हाथ लगाने में अधिकारियों - कर्मचारियों को दिक्कत हो रही है। आरटीए कार्यालय की खिड़की पर सुबह से शाम तक सैकड़ों लोग लाइसेंस रिन्यू कराने के लिए आते हैं , लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं होती। ऐसा नहीं कि यह समस्या कोई नई पैदा हुई है। कई साल से समस्या विकराल रूप धारण कर रही है। आर्थिक एतबार से पिछड़े नूंह जिले के लोगों की अर्थ व्यवस्था भी करीब 15 - 20 हजार चालकों के बेरोजगार होने से चरमराई हुई है।
हजारों चालक हताश व निराश हैं। अब उनकी समझ में यह नहीं आ रहा कि कई दशक तक ट्रक ड्राईवर के रूप में काम करके उम्र के इस पड़ाव पर उन्हें कौन रोजगार देगा।

बाइट;- इरशाद कम्प्यूटर ऑपरेटर आरटीए
बाइट;- अनिल कुमार सहायक सचिव आरटीए नूंह
बाइट;- हाकम पीड़ित चालक
बाइट;- हिमायू खान पीड़ित चालक

संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात
Body:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी ;- चपरासी से लेकर सीएम तक गुहार , नहीं हुआ कोई सुधार
नूंह जिले के लाइसेंस नवीनीकरण नहीं होने के चलते हजारों चालक अपना रोजगार गंवा चुके हैं। रोजी - रोटी नहीं मिलने की चिंता में बेरोजगार चालक या तो कर्ज के बोझ के नीचे दबते जा रहे हैं या फिर अपराध की दुनिया तक का रास्ता अपना रहे हैं। आरटीए विभाग के चक्कर लगा - लगा कर बेरोजगार चालक तक चुके हैं। लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। लोकसभा चुनाव में भी यह मुद्दा चपरासी से लेकर सीएम तक की जबान पर था , लेकिन समस्या समाधान कब होगा। इसका जवाब किसी के पास नहीं है। एनडीए -2 की सरकार में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी उसी मंत्रालय का कामकाज संभाल रहे हैं , लेकिन समस्या का समाधान कब होगा। इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
आरटीए विभाग के मुताबिक अधिकतर लाइसेंस फर्जी हैं या फिर दस्तावेजों में कोई न कोई कमी है। जिसकी वजह से लाइसेंस नवीनीकरण नहीं हो रहा , लेकिन दुःख की बात यह है कि फर्जी के चक्कर में असली दस्तावेज वाले चालकों के लाइसेंस भी पिछले कई वर्षों से नवीनीकरण नहीं हो पा रहे हैं। कुछ चालकों की तो सरकारी फीस तक कटी हुई है। फाइल सालों से जमा है , लेकिन उस पर हाथ लगाने में अधिकारियों - कर्मचारियों को दिक्कत हो रही है। आरटीए कार्यालय की खिड़की पर सुबह से शाम तक सैकड़ों लोग लाइसेंस रिन्यू कराने के लिए आते हैं , लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं होती। ऐसा नहीं कि यह समस्या कोई नई पैदा हुई है। कई साल से समस्या विकराल रूप धारण कर रही है। आर्थिक एतबार से पिछड़े नूंह जिले के लोगों की अर्थ व्यवस्था भी करीब 15 - 20 हजार चालकों के बेरोजगार होने से चरमराई हुई है।
हजारों चालक हताश व निराश हैं। अब उनकी समझ में यह नहीं आ रहा कि कई दशक तक ट्रक ड्राईवर के रूप में काम करके उम्र के इस पड़ाव पर उन्हें कौन रोजगार देगा।

बाइट;- इरशाद कम्प्यूटर ऑपरेटर आरटीए
बाइट;- अनिल कुमार सहायक सचिव आरटीए नूंह
बाइट;- हाकम पीड़ित चालक
बाइट;- हिमायू खान पीड़ित चालक

संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात
Conclusion:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी ;- चपरासी से लेकर सीएम तक गुहार , नहीं हुआ कोई सुधार
नूंह जिले के लाइसेंस नवीनीकरण नहीं होने के चलते हजारों चालक अपना रोजगार गंवा चुके हैं। रोजी - रोटी नहीं मिलने की चिंता में बेरोजगार चालक या तो कर्ज के बोझ के नीचे दबते जा रहे हैं या फिर अपराध की दुनिया तक का रास्ता अपना रहे हैं। आरटीए विभाग के चक्कर लगा - लगा कर बेरोजगार चालक तक चुके हैं। लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। लोकसभा चुनाव में भी यह मुद्दा चपरासी से लेकर सीएम तक की जबान पर था , लेकिन समस्या समाधान कब होगा। इसका जवाब किसी के पास नहीं है। एनडीए -2 की सरकार में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी उसी मंत्रालय का कामकाज संभाल रहे हैं , लेकिन समस्या का समाधान कब होगा। इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
आरटीए विभाग के मुताबिक अधिकतर लाइसेंस फर्जी हैं या फिर दस्तावेजों में कोई न कोई कमी है। जिसकी वजह से लाइसेंस नवीनीकरण नहीं हो रहा , लेकिन दुःख की बात यह है कि फर्जी के चक्कर में असली दस्तावेज वाले चालकों के लाइसेंस भी पिछले कई वर्षों से नवीनीकरण नहीं हो पा रहे हैं। कुछ चालकों की तो सरकारी फीस तक कटी हुई है। फाइल सालों से जमा है , लेकिन उस पर हाथ लगाने में अधिकारियों - कर्मचारियों को दिक्कत हो रही है। आरटीए कार्यालय की खिड़की पर सुबह से शाम तक सैकड़ों लोग लाइसेंस रिन्यू कराने के लिए आते हैं , लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं होती। ऐसा नहीं कि यह समस्या कोई नई पैदा हुई है। कई साल से समस्या विकराल रूप धारण कर रही है। आर्थिक एतबार से पिछड़े नूंह जिले के लोगों की अर्थ व्यवस्था भी करीब 15 - 20 हजार चालकों के बेरोजगार होने से चरमराई हुई है।
हजारों चालक हताश व निराश हैं। अब उनकी समझ में यह नहीं आ रहा कि कई दशक तक ट्रक ड्राईवर के रूप में काम करके उम्र के इस पड़ाव पर उन्हें कौन रोजगार देगा।

बाइट;- इरशाद कम्प्यूटर ऑपरेटर आरटीए
बाइट;- अनिल कुमार सहायक सचिव आरटीए नूंह
बाइट;- हाकम पीड़ित चालक
बाइट;- हिमायू खान पीड़ित चालक

संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात
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