नूंह: जिले में सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. नूंह के सरकारी अस्पताल में मरीजों को ना तो डॉक्टर मिलते हैं और ना ही दवाइयां. सबसे ज्यादा दिक्कत गर्भवती महिलाओं को उठानी पड़ रही है.
बता दें कि नूंह जिले के किसी भी सामान्य अस्पताल, सीएचसी, पीएचसी और सरकारी अस्पताल में इन दिनों अल्ट्रासाउंड नहीं हो रहा है. अल्ट्रासाउंड की मशीन डॉक्टर का पद रिक्त होने की वजह से साल भर से धूल फांक रही है. आलम ये है कि गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड स्वास्थ्य विभाग अपने खर्चे पर निजी अस्पताल से करवाने को मजबूर हैं.
बाहर से अल्ट्रासाउंड करा रहे मरीज
नूंह वासी बाहस से अल्ट्रासाउंड करा कर डॉक्टरों के पास चले आते हैं. वहीं लड़ाई - झगड़े के केसों में बाहर से कराया गया अल्ट्रासाउंड मान्य नहीं है. ऐसी सूरत में जेब भी ढीली करनी पड़ रही है और परेशानी भी झेलनी पड़ती है. कई बार अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञ डॉक्टर के लिए विज्ञापन भी निकाले जा चुके हैं, लेकिन अभी तक किसी की नियुक्ति नहीं हो पाई है.
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जिले के सामान्य अस्पताल अल आफिया मांडीखेड़ा में भी अल्ट्रासाउंड मशीन डॉक्टर का पद रिक्त होने की वजह से जंग खा रही है. वहीं जब इस बारे में एसएमओ डॉ.गोविंद शरण से बात की गई तो उन्होंने भी अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञ की कमी की बात को स्वीकार की, साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि डॉक्टर और स्टाफ की अस्पताल में कोई कमी नहीं है.
मरीजों को हो रही भारी परेशानी
वहीं जब इस बारे में मरीजों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं नहीं है. जिस वजह से उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.