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नूंह में पानी की किल्लत, 15 सालों से नहीं बुझी प्यास, तीन किलोमीटर दूर से पानी लाती हैं महिलाएं

मेवात में पानी की किल्लत से जूझ रहे ग्रामीणों ने मटके को फोड़कर विरोध प्रदर्शन (women protest in mewat) किया है. ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि बीते 15 साल से उन्हें पीने के पानी के लिए तरसना पड़ रहा है.

shortage of drinking water in mewat
shortage of drinking water in mewat
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Published : Dec 12, 2022, 6:11 PM IST

नूंह में पानी की किल्लत, 15 सालों से नहीं बुझी प्यास, तीन किलोमीटर दूर से पानी लाती हैं महिलाएं

नूंह: भले ही सरकार की ओर से घर-घर तक पानी पहुंचाने के लिए अनेकों योजनाओं की शुरुआत की गई हो लेकिन मुढ़ेता गांव की महिलाएं आज भी सिर पर मटका रखकर पानी लाने को मजबूर (shortage of drinking water in mewat) है. पीने की किल्लत इतनी है कि बीते 15 साल से महिलाएं बाहर से पानी लाने को मजबूर हैं. बता दें कि करोड़ों रुपये पीने के पानी के लिए खर्च किए जाते हैं. लेकिन पुन्हाना उपमंडल के मुंढ़ेता गांव में पिछले 15 सालों से पीने के पानी की समस्या से लोग जूझ रहे हैं. बता दें कि महिलाएं करीब तीन किलोमीटर दूर से सिर पर मटका रखकर दूसरे गांव से पानी लाती हैं.

shortage of drinking water in mewat
आज तक नहीं मिला पीने का पानी

महिलाओं ने किया विरोध: लेकिन गांव की महिलाओं का सब्र टूट गया और उन्होंने ग्रामीणों और सरपंच के साथ मिलकर गांव के ही वाटर चैंबर पर पहुंचकर खाली मटका फोड़कर विरोध प्रदर्शन (women protest in mewat) किया. वहीं गांव के लोगों ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जल्द ही उनके गांव को पीने के पानी की समस्या से निजात नहीं दी गई तो उनको मजबूर होकर नसीरपुर गांव में पुन्हाना-नगीना मार्ग पर जाम लगाना (water problem in nuh) पड़ेगा.

अनिश्चितकालीन धरने की चेतावनी: विरोध कर रही महिलाओं ने कहा कि अगर अधिकारियों ने फिर भी समाधान नहीं किया तो वे जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के कार्यालय पर भी अनिश्चितकालीन धरना देने को मजबूर होंगे. मुंढ़ेता गांव के सरपंच सद्दाम हुसैन, याहया खान ने बताया कि उनके गांव को पीने के पानी को लेकर करीब 20 साल पहले काटपुरी गांव से जोड़ा गया था.

shortage of drinking water in mewat
अनिश्चितकालीन धरना देने की चेतावनी

लेकिन पानी केवल एक ही मोहल्ले में आ रहा है जबकि गांव के दो तिहाई हिस्से को आज भी पानी के लिए तरसना पड़ रहा है. गांव के लोगों तक 15 साल पहले भी पानी पहुंचाने के लिए खानपुर घाटी से जोड़ा गया था. वाटर चैंबर तो बना दिया गया लेकिन 15 साल से आज तक उसमें एक बूंद पानी तक नहीं आया है.

आज तक नहीं मिला पीने का पानी: गांव के लोगों का कहना है कि करीब दो साल पहले उनके गांव को रैनीवेल से जोड़ने की योजना के तहत गांव में वाटर चैंबर बनाया गया था. इसमें भी आज तक पानी नहीं आया है. विभाग के ठेकेदारों ने गांव के अंदर पाइप लाइन भी अधूरी बिछाई है. उनके ज्वाइंट भी नहीं जोड़े गये हैं. जबकि पाइप लाइन दबाने के नाम पर गांव के पूरे रास्ते खोद दिये गये.

shortage of drinking water in mewat
आज तक नहीं मिला पीने का पानी

यह भी पढ़ें-संयुक्त किसान मोर्चा की महापंचायत, बोले- मांगें नहीं मानी तो और बड़ा होगा आंदोलन

तीन किलो मीटर दूर से पानी लाने को मजबूर: गांव की महिलाओं का कहना है कि पहले वे गांव के ही कुएं से पानी भरकर अपना गुजारा करती थीं लेकिन गांव में जमीन का पानी खारा होने की वजह से उनको मजबूर होकर करीब तीन किलोमीटर दूर शाहचौखा गांव से पीने का पानी लाना पड़ता है. इस दौरान कई मनचले महिला और लड़कियों को छेड़ने का प्रयास करते हैं. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जल्द पानी की समस्या का समाधान नहीं किया गया तो वे रोड जाम करने को मजबूर (Villagers protest in Nuh) होंगे.

नूंह में पानी की किल्लत, 15 सालों से नहीं बुझी प्यास, तीन किलोमीटर दूर से पानी लाती हैं महिलाएं

नूंह: भले ही सरकार की ओर से घर-घर तक पानी पहुंचाने के लिए अनेकों योजनाओं की शुरुआत की गई हो लेकिन मुढ़ेता गांव की महिलाएं आज भी सिर पर मटका रखकर पानी लाने को मजबूर (shortage of drinking water in mewat) है. पीने की किल्लत इतनी है कि बीते 15 साल से महिलाएं बाहर से पानी लाने को मजबूर हैं. बता दें कि करोड़ों रुपये पीने के पानी के लिए खर्च किए जाते हैं. लेकिन पुन्हाना उपमंडल के मुंढ़ेता गांव में पिछले 15 सालों से पीने के पानी की समस्या से लोग जूझ रहे हैं. बता दें कि महिलाएं करीब तीन किलोमीटर दूर से सिर पर मटका रखकर दूसरे गांव से पानी लाती हैं.

shortage of drinking water in mewat
आज तक नहीं मिला पीने का पानी

महिलाओं ने किया विरोध: लेकिन गांव की महिलाओं का सब्र टूट गया और उन्होंने ग्रामीणों और सरपंच के साथ मिलकर गांव के ही वाटर चैंबर पर पहुंचकर खाली मटका फोड़कर विरोध प्रदर्शन (women protest in mewat) किया. वहीं गांव के लोगों ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जल्द ही उनके गांव को पीने के पानी की समस्या से निजात नहीं दी गई तो उनको मजबूर होकर नसीरपुर गांव में पुन्हाना-नगीना मार्ग पर जाम लगाना (water problem in nuh) पड़ेगा.

अनिश्चितकालीन धरने की चेतावनी: विरोध कर रही महिलाओं ने कहा कि अगर अधिकारियों ने फिर भी समाधान नहीं किया तो वे जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के कार्यालय पर भी अनिश्चितकालीन धरना देने को मजबूर होंगे. मुंढ़ेता गांव के सरपंच सद्दाम हुसैन, याहया खान ने बताया कि उनके गांव को पीने के पानी को लेकर करीब 20 साल पहले काटपुरी गांव से जोड़ा गया था.

shortage of drinking water in mewat
अनिश्चितकालीन धरना देने की चेतावनी

लेकिन पानी केवल एक ही मोहल्ले में आ रहा है जबकि गांव के दो तिहाई हिस्से को आज भी पानी के लिए तरसना पड़ रहा है. गांव के लोगों तक 15 साल पहले भी पानी पहुंचाने के लिए खानपुर घाटी से जोड़ा गया था. वाटर चैंबर तो बना दिया गया लेकिन 15 साल से आज तक उसमें एक बूंद पानी तक नहीं आया है.

आज तक नहीं मिला पीने का पानी: गांव के लोगों का कहना है कि करीब दो साल पहले उनके गांव को रैनीवेल से जोड़ने की योजना के तहत गांव में वाटर चैंबर बनाया गया था. इसमें भी आज तक पानी नहीं आया है. विभाग के ठेकेदारों ने गांव के अंदर पाइप लाइन भी अधूरी बिछाई है. उनके ज्वाइंट भी नहीं जोड़े गये हैं. जबकि पाइप लाइन दबाने के नाम पर गांव के पूरे रास्ते खोद दिये गये.

shortage of drinking water in mewat
आज तक नहीं मिला पीने का पानी

यह भी पढ़ें-संयुक्त किसान मोर्चा की महापंचायत, बोले- मांगें नहीं मानी तो और बड़ा होगा आंदोलन

तीन किलो मीटर दूर से पानी लाने को मजबूर: गांव की महिलाओं का कहना है कि पहले वे गांव के ही कुएं से पानी भरकर अपना गुजारा करती थीं लेकिन गांव में जमीन का पानी खारा होने की वजह से उनको मजबूर होकर करीब तीन किलोमीटर दूर शाहचौखा गांव से पीने का पानी लाना पड़ता है. इस दौरान कई मनचले महिला और लड़कियों को छेड़ने का प्रयास करते हैं. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जल्द पानी की समस्या का समाधान नहीं किया गया तो वे रोड जाम करने को मजबूर (Villagers protest in Nuh) होंगे.

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