नूंह: शिक्षा के मंदिर सरकारी स्कूलों के निर्माण कार्यों में लाखों का गबन करने वाले अध्यापक अब बच्चों के खाने को भी निगलने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. अध्यापकों द्वारा निर्माण कार्यों में लाखों रुपये डकारने के बाद अब मिड डे मील में भी लाखों रुपये डकारने के मामले सामने आए हैं. कहने को स्कूल शिक्षा का मंदिर कहलाता है लेकिन ऐसे अध्यापकों के लिए स्कूल शिक्षा का मंदिर नहीं सोने के अंडे देने वाली मुर्गी बन गया है.
नूंह के 9 सरकारी स्कूलों के मिड डे मिल में घोटाला
इन स्कूलों में अध्यापक हर समय सोने की अंडे की बाट देखते हैं. ऐसा ही मामला फिरोजपुर झिरका खंड के 9 सरकारी स्कूलों का सामने आया है. जहां लाखों रुपये का मिड डे मील घोटाला किया गया है. उक्त मामले को लेकर जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी कपिल पूनिया ने फिरोजपुर झिरका के बीईओ को लेटर जारी करने के निर्देश जारी किए हैं. कुछ समय पहले जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी द्वारा उक्त स्कूलों में निरीक्षण के दौरान मिड डे मील के रिकॉर्ड में बड़ी खामियां मिली थी. जिसके बाद डीईओ ने इन स्कूलों में प्रिंसिपल और मिड डे मील इंचार्ज पर कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए.
राजकीय प्राथमिक पाठशाला दोहा में जनवरी 2015 से सितंबर 2016 तक रिकॉर्ड नहीं दिखाया गया. दोहा गांव के राजकीय मिडिल स्कूल में मिड डे मील में 9377 रुपये अधिक राशि खर्च हुए. दोहा गांव के राजकीय कन्या मिडिल स्कूल में मिड डे मील में 65989 रुपये की अधिक राशि खर्च की गई.
स्कूल की कैशबुक में गड़बड़ी
सितंबर 2019 में अक्टूबर 2019 की कैशबुक पूरी नहीं की गई. सर का बास गांव के राजकीय प्राथमिक पाठशाला में मिड डे मील में 25735 रुपये की अधिक राशि खर्च की गई. रैली गांव के राजकीय प्राथमिक पाठशाला में मिड डे मील में 269988 रुपये अधिक राशि खर्च की गई. गांव के राजकीय कन्या प्राथमिक पाठशाला में मिल में 167858 रुपये की अधिक राशि खर्च की गई. कुल मिलाकर झारखंड के स्कूलों में 700000 रुपये से अधिक की राशि का गड़बड़झाला किया गया.
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नहीं की रिकवरी तो होगी कार्रवाई
जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी कपिल पूनिया को जांच के दौरान फिरोजपुर झिरका खंड के 9 स्कूलों में मिड डे मील में लाखों रुपये के घोटाले का मामला सामने आया है. विभाग द्वारा इस पर संज्ञान लेते हुए फिरोजपुर झिरका बीईओ को पत्र जारी कर उक्त राशि की रिकवरी और कैश बुक पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं. अगर जल्द ही राशि को जमा नहीं करवाया तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. शिक्षा विभाग के अधिकारियों की इस पहल से अध्यापकों की नींद उड़ी हुई है.