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लड़कियों की शादी की उम्र पर बहस, शहरी महिलाओं ने की फैसले की तारीफ

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Published : Sep 10, 2020, 7:05 AM IST

Updated : Sep 14, 2020, 7:41 PM IST

ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने इस विषय पर उन्हीं से राय जानने की कोशिश जिनके बारे में ये पूरी चर्चा की जा रही है, हमारी टीम ने प्रदेश के विभिन्न तबके, परिवेश और कार्यक्षेत्र से ताल्लुक रखने वाली हर उम्र की महिलाओं से सरकार के इस फैसले पर प्रतिक्रिया ली.

reaction of haryana rural and urban female on marriageable age of girls
लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र पर बहस

नूंह/चंडीगढ़: लाल किले की प्राचीर से कोई भी प्रधानमंत्री जब देश को संबोधित करता है तो उनके जुबान से निकली हर एक बात के मायने होते हैं, प्रधानमंत्री जो भी बात कहते हैं उसका हर शब्द बहुत नपा-तुला होता है. इस साल 15 अगस्त 2020 को पीएम मोदी ने लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम आयु में बदलाव के संकेत दिए हैं. माना जा रहा है कि अब लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 से बढ़ाकर 21 की जा सकती है.

लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र पर चर्चा शुरू

अब देश में ये चर्चा होने लगी है कि आखिर क्यों सरकार बेटियों के विवाह की न्यूनतम उम्र क्यों बदलना चाहती है? या फिर मोदी सरकार इससे क्या हासिल करना चाहती है. ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने इस विषय पर उन्हीं से राय जानने की कोशिश जिनके बारे में ये पूरी चर्चा की जा रही है, हमारी टीम ने प्रदेश के विभिन्न तबके, परिवेश और कार्यक्षेत्र से ताल्लुक रखने वाली हर उम्र की महिलाओं से सरकार के इस फैसले पर प्रतिक्रिया ली.

लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र पर बहस, देखिए रिपोर्ट

शहरी महिलाओं ने की फैसले की तारीफ

हरियाणा के शहरों में रहने वाली महिलाओं के विचार सरकार के फैसले को लेकर सकारात्मक है, ज्यादातर महिलाओं ने उम्र बढ़ाने के फैसले को कई जायज वहजों से सही ठहराया हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ में रहने वाली महिलाएं सरकार के इस विचार से रजामंद हैं कि शादी कम से कम 21 साल की उम्र में होनी चाहिए. महिलाओं का कहना है कि 21 साल तक एक लड़की की सोचने समझने की क्षमता बढ़ जाती है.

'न्यूनतम उम्र बढ़ेगी तो शिक्षित होंगी लड़कियां'

चंडीगढ़ में रहने वाली मोनिका ने कहा वो भी इस कदम को सही मानती हैं कि लड़कियों की उम्र को बढ़ाकर 21 साल करना चाहिए. यह लड़कियों की जिंदगी में एक बेहतर कदम होगा और अपनी जिंदगी को सवारने का बेहतर मौका मिलेगा. सही उम्र में शादी होने के बाद लड़कियां अपनी जिंदगी के बारे में गंभीर होंगी और वह अपने परिवार के बारे में भी बेहतर सोच सकेंगी. वो जिंदगी से जुड़े फैसले सही तरीके से ले पाती हैं.

उन्होंने कहा कि जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, वह गलत हैं. क्योंकि अगर लड़की की शादी 21 साल के बाद की जाएगी तो वो अपनी पढ़ाई पूरी कर पाएंगी. अपने करियर को लेकर ध्यान दे पाएंगी.

'गरीब आदमी 3 साल और कैसे बेटी को खिलाएगा?'

चंडीगढ़ में ही रहने वालीं पूर्व लेक्चरर राजेश का थोड़ा अलग मत था, उनका कहना है कि अगर सरकार लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल करना चाहती है तो वह भी सरकार के इस कदम का स्वागत करती हैं, लेकिन सरकार को उन गरीब परिवारों के बारे में भी सोचना चाहिए. जिनके लिए 21 साल तक अपनी लड़की का पालन पोषण करना मुश्किल होता है. वे उसे पढ़ा भी नहीं सकते और उन्हें अपनी बेटी की रक्षा की जिम्मेदारी भी निभानी होती है. वहीं एक गरीब परिवार के साथ अपराध होता है तो उसे न्याय नहीं मिल पाता.

'नूंह की महिलाओं ने गलत ठहराया फैसला'

जहां शहर में रहने वाली महिलाओं ने सरकार के फैसले का स्वागत किया, वहीं हरियाणा के सबसे पिछड़े जिले नूंह की महिलाओं की सोच शहरों में रहने वाली महिलाओं से एक दम अलग है, यहां के ज्यादातर महिलाओं का कहना है कि आज लड़कियों को लेकर माहौल बिगड़ चुका है, लड़कियां अभिभावकों पर आर्थिक और सुरक्षात्मक दृष्टि से एक जिम्मेदारी की तरह हैं, जिसे जल्द से जल्द निपटा देना चाहिए.

दुर्भाग्य यह है कि हरियाणा का नूंह जिला शिक्षा के एतवार से काफी पिछड़ा हुआ जिला है, यहां बेटियों की शिक्षा बेहद कम है और जिस बेटी की माता विधवा है या जिस घर में बेटियों की संख्या अधिक है. ऐसे घरों में ना केवल पढ़ाई की चिंता सताती रहती है, बल्कि परिवार के मुखिया यही सोचते हैं कि कब बेटी की उम्र 18 साल हो और कब उसकी शादी कर उससे उसके ससुराल भेज दिया जाए.

अधिकतर महिलाएं यही मानती हैं कि पिछले कुछ सालों में बेटियों में महिलाओं के प्रति समाज में जिस तरह के जघन्य अपराध सामने आ रहे हैं और गरीबी की वजह से कुछ माता-पिता अपनी बेटियों को पढ़ाई से लेकर उनकी शादी तक के लिए एक बार नहीं बल्कि हजार बार सोचते हैं. ऐसे लोगों को 21 वर्ष आयु के लिए काफी कठिनाइयों से गुजारना पड़ेगा.

ग्रामीण लड़कियां भी फैसले को ठहरा रही हैं गलत

सबसे हैरान करने की बात ये है कि ग्रामीण क्षेत्र की अभिभावकों और महिलाओं के साथ-साथ इस क्षेत्र में रहने वाली शिक्षित लड़कियां भी इस बात की वकालत करती नजर आई कि सरकार का ये फैसला गलत है, लड़कियों का कहना है कि सरकार को लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से घटा कर 16 साल कर देनी चाहिए.

स्वास्थ्य को लेकर कुछ महिलाओं ने किया समर्थन

हालांकि इसी क्षेत्र की कुछ ऐसी महिलाएं भी सामने आईं, जिन्होंने सरकार के इस फैसले का समर्थन किया. उन्होंने सरकार के इस फैसले को महिलाओं के स्वास्थ्य से जोड़ कर देखा.

यकीनन विचारों का जन्म आस-पास के परिवेश से ही होता है, हरियाणा जैसे छोटे से प्रदेश के ही दो अलग-अलग परिवेश में पली-बढ़ी महिलाओं का एक ही मुद्दे पर एक दूसरे से बिल्कुल अलग विचार हैं, ऐसे में देखना होगा कि जब केंद्र सरकार इस विचार को एक कानून बना देगी, तब देश इस फैसले को कैसे स्वीकार करता है.

पढ़ें- कृषि अध्यादेश को लेकर सरकार पर बरसे हुड्डा, किसान आंदोलन का किया समर्थन

नूंह/चंडीगढ़: लाल किले की प्राचीर से कोई भी प्रधानमंत्री जब देश को संबोधित करता है तो उनके जुबान से निकली हर एक बात के मायने होते हैं, प्रधानमंत्री जो भी बात कहते हैं उसका हर शब्द बहुत नपा-तुला होता है. इस साल 15 अगस्त 2020 को पीएम मोदी ने लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम आयु में बदलाव के संकेत दिए हैं. माना जा रहा है कि अब लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 से बढ़ाकर 21 की जा सकती है.

लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र पर चर्चा शुरू

अब देश में ये चर्चा होने लगी है कि आखिर क्यों सरकार बेटियों के विवाह की न्यूनतम उम्र क्यों बदलना चाहती है? या फिर मोदी सरकार इससे क्या हासिल करना चाहती है. ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने इस विषय पर उन्हीं से राय जानने की कोशिश जिनके बारे में ये पूरी चर्चा की जा रही है, हमारी टीम ने प्रदेश के विभिन्न तबके, परिवेश और कार्यक्षेत्र से ताल्लुक रखने वाली हर उम्र की महिलाओं से सरकार के इस फैसले पर प्रतिक्रिया ली.

लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र पर बहस, देखिए रिपोर्ट

शहरी महिलाओं ने की फैसले की तारीफ

हरियाणा के शहरों में रहने वाली महिलाओं के विचार सरकार के फैसले को लेकर सकारात्मक है, ज्यादातर महिलाओं ने उम्र बढ़ाने के फैसले को कई जायज वहजों से सही ठहराया हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ में रहने वाली महिलाएं सरकार के इस विचार से रजामंद हैं कि शादी कम से कम 21 साल की उम्र में होनी चाहिए. महिलाओं का कहना है कि 21 साल तक एक लड़की की सोचने समझने की क्षमता बढ़ जाती है.

'न्यूनतम उम्र बढ़ेगी तो शिक्षित होंगी लड़कियां'

चंडीगढ़ में रहने वाली मोनिका ने कहा वो भी इस कदम को सही मानती हैं कि लड़कियों की उम्र को बढ़ाकर 21 साल करना चाहिए. यह लड़कियों की जिंदगी में एक बेहतर कदम होगा और अपनी जिंदगी को सवारने का बेहतर मौका मिलेगा. सही उम्र में शादी होने के बाद लड़कियां अपनी जिंदगी के बारे में गंभीर होंगी और वह अपने परिवार के बारे में भी बेहतर सोच सकेंगी. वो जिंदगी से जुड़े फैसले सही तरीके से ले पाती हैं.

उन्होंने कहा कि जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, वह गलत हैं. क्योंकि अगर लड़की की शादी 21 साल के बाद की जाएगी तो वो अपनी पढ़ाई पूरी कर पाएंगी. अपने करियर को लेकर ध्यान दे पाएंगी.

'गरीब आदमी 3 साल और कैसे बेटी को खिलाएगा?'

चंडीगढ़ में ही रहने वालीं पूर्व लेक्चरर राजेश का थोड़ा अलग मत था, उनका कहना है कि अगर सरकार लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल करना चाहती है तो वह भी सरकार के इस कदम का स्वागत करती हैं, लेकिन सरकार को उन गरीब परिवारों के बारे में भी सोचना चाहिए. जिनके लिए 21 साल तक अपनी लड़की का पालन पोषण करना मुश्किल होता है. वे उसे पढ़ा भी नहीं सकते और उन्हें अपनी बेटी की रक्षा की जिम्मेदारी भी निभानी होती है. वहीं एक गरीब परिवार के साथ अपराध होता है तो उसे न्याय नहीं मिल पाता.

'नूंह की महिलाओं ने गलत ठहराया फैसला'

जहां शहर में रहने वाली महिलाओं ने सरकार के फैसले का स्वागत किया, वहीं हरियाणा के सबसे पिछड़े जिले नूंह की महिलाओं की सोच शहरों में रहने वाली महिलाओं से एक दम अलग है, यहां के ज्यादातर महिलाओं का कहना है कि आज लड़कियों को लेकर माहौल बिगड़ चुका है, लड़कियां अभिभावकों पर आर्थिक और सुरक्षात्मक दृष्टि से एक जिम्मेदारी की तरह हैं, जिसे जल्द से जल्द निपटा देना चाहिए.

दुर्भाग्य यह है कि हरियाणा का नूंह जिला शिक्षा के एतवार से काफी पिछड़ा हुआ जिला है, यहां बेटियों की शिक्षा बेहद कम है और जिस बेटी की माता विधवा है या जिस घर में बेटियों की संख्या अधिक है. ऐसे घरों में ना केवल पढ़ाई की चिंता सताती रहती है, बल्कि परिवार के मुखिया यही सोचते हैं कि कब बेटी की उम्र 18 साल हो और कब उसकी शादी कर उससे उसके ससुराल भेज दिया जाए.

अधिकतर महिलाएं यही मानती हैं कि पिछले कुछ सालों में बेटियों में महिलाओं के प्रति समाज में जिस तरह के जघन्य अपराध सामने आ रहे हैं और गरीबी की वजह से कुछ माता-पिता अपनी बेटियों को पढ़ाई से लेकर उनकी शादी तक के लिए एक बार नहीं बल्कि हजार बार सोचते हैं. ऐसे लोगों को 21 वर्ष आयु के लिए काफी कठिनाइयों से गुजारना पड़ेगा.

ग्रामीण लड़कियां भी फैसले को ठहरा रही हैं गलत

सबसे हैरान करने की बात ये है कि ग्रामीण क्षेत्र की अभिभावकों और महिलाओं के साथ-साथ इस क्षेत्र में रहने वाली शिक्षित लड़कियां भी इस बात की वकालत करती नजर आई कि सरकार का ये फैसला गलत है, लड़कियों का कहना है कि सरकार को लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से घटा कर 16 साल कर देनी चाहिए.

स्वास्थ्य को लेकर कुछ महिलाओं ने किया समर्थन

हालांकि इसी क्षेत्र की कुछ ऐसी महिलाएं भी सामने आईं, जिन्होंने सरकार के इस फैसले का समर्थन किया. उन्होंने सरकार के इस फैसले को महिलाओं के स्वास्थ्य से जोड़ कर देखा.

यकीनन विचारों का जन्म आस-पास के परिवेश से ही होता है, हरियाणा जैसे छोटे से प्रदेश के ही दो अलग-अलग परिवेश में पली-बढ़ी महिलाओं का एक ही मुद्दे पर एक दूसरे से बिल्कुल अलग विचार हैं, ऐसे में देखना होगा कि जब केंद्र सरकार इस विचार को एक कानून बना देगी, तब देश इस फैसले को कैसे स्वीकार करता है.

पढ़ें- कृषि अध्यादेश को लेकर सरकार पर बरसे हुड्डा, किसान आंदोलन का किया समर्थन

Last Updated : Sep 14, 2020, 7:41 PM IST
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