नूंह: रमजान का पवित्र महीना शुरू हो चुका है. रोजा होने के बावजूद लॉकडाउन का पूरी तरह से असर देखने को मिल रहा है. जिन मस्जिदों में सुबह शाम ही रोजेदार वजू करके, कुरान पाक की तिलावत करते थे, तहज्जुद की नमाज तथा तरावीह की नमाज के अलावा पांच वक्त की नमाज मस्जिदों में पढ़ते थे.
शहरी-इफ्तार परिवार मिलकर करता था और इफ्तार के समय मस्जिदों में तरह-तरह के बनाए गए व्यंजन लेकर लोग इकट्ठे होकर रोजा खोलते थे, लेकिन इस बार पूरी चहल-पहल कोरोना महामारी के चलते गायब है.
मौलाना मोहम्मद साबिर ने बताया कि लॉकडाउन में इस बार रमजान के महीने में पहले से बहुत कुछ अलग है. कुछ अजीब सी परेशानियां तो हैं, लेकिन उससे बड़ी परेशानी कोरोना वायरस है, जो पूरे देश दुनिया में फैला हुआ है.
लॉकडाउन का पूरा पालन रोजेदार कर रहे हैं. मस्जिदों, बाजारों में भीड़ नहीं है. नमाज, तरावीह की नमाज इस बार घरों में ही पढ़ी जा रही है. सरकार के अलावा दारुल उलूम देवबंद तथा हजरत निजामुद्दीन मरकज की तरफ से भी घरों में ही इबादत करने का हुकुम है. उसी के आधार पर हर मुसलमान अमल कर रहा है, ताकि दुआओं में और इबादत से इस बरकत के महीने में इस महामारी से जंग जीती जा सके और इस और सब कुछ पहले की तरह सामान्य हो जाए.
साबिर ने बताया कि इस बार तहज्जुद की नमाज से लेकर इफ्तार तक सब घरों में होगा. अपने घर के सदस्यों के अलावा कोई दूसरा नमाज इफ्तार इत्यादि में शामिल नहीं हो रहा है. घर में ही रहकर कुरान पाक की तिलावत हो रही है. तस्बीह पढ़ी जा रही है. घर के सदस्य ही ये सब कुछ अपने- अपने घरों में सोशल डिस्टेंसिग का ख्याल रखते हुए कर रहे हैं. कुल मिलाकर इस बार के रमजान को लॉकडाउन की वजह से हमेशा याद किया जाएगा.
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