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10वीं तक पढ़े वैज्ञानिक का आविष्कार, पानी बचाने के लिए बनाई डिवाइस

मेवात के एक छोटे से गांव के 10वीं तक पढ़े स्वर्ण सिंह ने पानी बचाने की दिशा में बड़ा आविष्कार किया है. टंकी से बहने वाले पानी की बर्बादी को रोकने को लिए स्वर्ण सिंह ने डिवाइस बनाई है. इस डिवाइस से पानी और बिजली दोनों की बचत होगी.

10वीं तक पढ़े वैज्ञानिक का आविष्कार
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Published : Jul 17, 2019, 6:36 PM IST

मेवात: हुनर किसी डिग्री का मोहताज नहीं होता है. आपने तकनीकी शिक्षा और बहुत अच्छी पढ़ाई करने वाले बहुत से वैज्ञानिकों के नाम सुने होंगे, लेकिन मेवात के छपेड़ा में गांव में एक ऐसे वैज्ञानिक रहते हैं, जिन्होंने केवल 10वीं कक्षा तक पढ़ाई की है. लेकिन उनके हौसले आसमान को छूने वाले हैं. उन्होंने पानी बचाने के लिए एक ऐसी डिवाइस बनाई है, जो बिना बिजली के चलती है. इससे बिजली और पानी दोनों की बचत होती है.

क्लिक कर देखें वीडियो.

स्वर्ण सिहं का जन्म 1967 में मेवात के गांव छपेड़ा में हुआ था. स्वर्ण सिंह को इंजन का चौकीदार भी कहा जाता है. पिछले डेढ़ दशक में स्वर्ण सिंह करीब 15 उपकरणों पर शोध कर चुके हैं. स्वर्ण सिंह को मैकेनिकल वाटर ओवर फ्लो कंट्रोल सिस्टम के लिए भी काफी सराहा जा रहा है. कई अधिकारी और सरकार ने भी स्वर्ण सिंह की कई बार तारीफ की है.

बिजली-पानी दोनों बचाएगी डिवाइस
स्वर्ण सिंह ने एक ऐसी डिवाइस बनाई है जो टंकी पूरी भरने पर अपने आप ही पानी की मोटर को बंद और टंकी में पानी कम होने पर मोटर को चालू कर देगी. इसे मैकेनिकल वाटर ओवर फ्लो कंट्रोल सिस्टम का नाम दिया गया है. स्वर्ण सिंह का ये अविष्कार टंकियों से घंटों फालतू बहने वाले पानी से निजात दिलाएगा.

आज के समय मे हरियाणा के 18 जिले डार्क जोन की स्थिति से गुजर रहे हैं. यहां भी पानी की वेस्टेज का एक बडा़ कारण घरों में खर्चे से ज्यादा पानी को खराब करना है. अगर स्वर्ण सिंह द्वारा बनाई डिवाइस का प्रयोग करें, तो शायद पानी की बड़ी बर्बादी को बचाया जा सकता है.

मेवात: हुनर किसी डिग्री का मोहताज नहीं होता है. आपने तकनीकी शिक्षा और बहुत अच्छी पढ़ाई करने वाले बहुत से वैज्ञानिकों के नाम सुने होंगे, लेकिन मेवात के छपेड़ा में गांव में एक ऐसे वैज्ञानिक रहते हैं, जिन्होंने केवल 10वीं कक्षा तक पढ़ाई की है. लेकिन उनके हौसले आसमान को छूने वाले हैं. उन्होंने पानी बचाने के लिए एक ऐसी डिवाइस बनाई है, जो बिना बिजली के चलती है. इससे बिजली और पानी दोनों की बचत होती है.

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स्वर्ण सिहं का जन्म 1967 में मेवात के गांव छपेड़ा में हुआ था. स्वर्ण सिंह को इंजन का चौकीदार भी कहा जाता है. पिछले डेढ़ दशक में स्वर्ण सिंह करीब 15 उपकरणों पर शोध कर चुके हैं. स्वर्ण सिंह को मैकेनिकल वाटर ओवर फ्लो कंट्रोल सिस्टम के लिए भी काफी सराहा जा रहा है. कई अधिकारी और सरकार ने भी स्वर्ण सिंह की कई बार तारीफ की है.

बिजली-पानी दोनों बचाएगी डिवाइस
स्वर्ण सिंह ने एक ऐसी डिवाइस बनाई है जो टंकी पूरी भरने पर अपने आप ही पानी की मोटर को बंद और टंकी में पानी कम होने पर मोटर को चालू कर देगी. इसे मैकेनिकल वाटर ओवर फ्लो कंट्रोल सिस्टम का नाम दिया गया है. स्वर्ण सिंह का ये अविष्कार टंकियों से घंटों फालतू बहने वाले पानी से निजात दिलाएगा.

आज के समय मे हरियाणा के 18 जिले डार्क जोन की स्थिति से गुजर रहे हैं. यहां भी पानी की वेस्टेज का एक बडा़ कारण घरों में खर्चे से ज्यादा पानी को खराब करना है. अगर स्वर्ण सिंह द्वारा बनाई डिवाइस का प्रयोग करें, तो शायद पानी की बड़ी बर्बादी को बचाया जा सकता है.

Intro:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी ;- स्वर्ण सिंह ने एक पानी बचाने का नायाब तरीका खोज लिया ,स्वर्ण सिंह एवं पृथ्वीं सिंह कर रहे छपेड़ा गांव का नाम रोशन
तकनीकी शिक्षा प्राप्त कर या बहुत अच्छी पढाई करने वालों को अविष्कारक बनते हुए तो आपने कई लोगों को देखा और सुना होगा , लेकिन हम आपको ऐसे वैज्ञानिक से मिलवाने जा रहे हैं। जिसने महज दसवीं कक्षा तक पढाई की। करीब 18 वर्ष पहले छपेड़ा गांव के किसान परिवार में 1 अप्रैल 1967 मेंजन्में स्वर्ण सिंह ने इंजन का चौकीदार बनाकर सुर्खियां बटोरी। उसके बाद से आज तक उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। डेढ़ दशक में स्वर्ण अब तक 10 - 15 उपकरणों पर शोध कर चुके हैं। किसानों ने इंजन के चौकीदार और मैकेनिकल वाटर ओवर फ्लो कंट्रोल सिस्टम को लोगों ने खूब सराहा। अब तक केंद्र - राज्य सरकार में अहम मुकाम पर रहे कई आईएएस अधिकारी गांव छपेड़ा में आकर स्वर्ण सिंह के हुनर की सराहना तो कर चुके , लेकिन केंद्र - राज्य सरकार से कोई पुरस्कार या आर्थिक मदद नहीं मिली। स्वर्ण सिंह के छोटे भाई पृथ्वीं सिंह ने भी अपने भाई के साथ मिलकर कृषि में मेहनत कर उसी रुपये से नए - नए अविष्कार कर दिए।
पानी को बचाने का यंत्र ;- पानी इस समय समय - दुनिया की समस्या है। बहुत से देश व प्रदेश पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसे में स्वर्ण सिंह ने एक पानी बचाने का नायाब तरीका खोज लिया। कुछ लोग पानी की टंकी के ओवरफ्लो हो जाने के बावजूद भी हजारों लीटर पानी बहा देते हैं। पानी की एक एक बून्द कीमती है। अकसर पानी की टंकी ओवरफ्लो हो जाती है और पानी की बर्बादी होती रहती है। स्वर्ण सिंह ने मैकेनिकल वाटर ओवर फ्लो कंट्रोल सिस्टम ईजाद किया है। यह यंत्र पानी की टंकी के ऊपरी हिस्से में लगता है। पानी की टंकी भरते ही यंत्र अपने आप पानी की मोटर को बंद कर देता है। ऐसी सूरत में हजारों लीटर सड़कों , नालियों में बहने से रोका जा सकता है। स्वर्ण सिंह का दावा है कि उनके यंत्र से पानी की बचत , बिजली की बचत , , भवन पर सीलन से बचाव , टंकी भरने पर पाइप इत्यादि हटाने की टेंशन , जलभराव नहीं होने से मच्छर के प्रकोप से आजादी , जलस्तर नीचे नहीं जायेगा , सडकों - नालियों में गन्दगी या जलभराव से आजादी मिलेगी। सड़क - रास्ते पानी भरने की वजह से खराब नहीं होंगे। इस प्रकार के बहुत से लाभ इस यंत्र के बन जाने से लोगों को मिल रहे हैं। साइबर सिटी गुरुग्राम में करीब 13 हजार घरों में ओवर फ्लो कंट्रोल सिस्टम लगाया भी जा चुका है।
बाइट;- स्वर्ण सिंह अविष्कारक छपेड़ा
बाइट ;- पृथ्वी सिंह परिजन भाई
संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात
Body:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी ;- स्वर्ण सिंह ने एक पानी बचाने का नायाब तरीका खोज लिया ,स्वर्ण सिंह एवं पृथ्वीं सिंह कर रहे छपेड़ा गांव का नाम रोशन
तकनीकी शिक्षा प्राप्त कर या बहुत अच्छी पढाई करने वालों को अविष्कारक बनते हुए तो आपने कई लोगों को देखा और सुना होगा , लेकिन हम आपको ऐसे वैज्ञानिक से मिलवाने जा रहे हैं। जिसने महज दसवीं कक्षा तक पढाई की। करीब 18 वर्ष पहले छपेड़ा गांव के किसान परिवार में 1 अप्रैल 1967 मेंजन्में स्वर्ण सिंह ने इंजन का चौकीदार बनाकर सुर्खियां बटोरी। उसके बाद से आज तक उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। डेढ़ दशक में स्वर्ण अब तक 10 - 15 उपकरणों पर शोध कर चुके हैं। किसानों ने इंजन के चौकीदार और मैकेनिकल वाटर ओवर फ्लो कंट्रोल सिस्टम को लोगों ने खूब सराहा। अब तक केंद्र - राज्य सरकार में अहम मुकाम पर रहे कई आईएएस अधिकारी गांव छपेड़ा में आकर स्वर्ण सिंह के हुनर की सराहना तो कर चुके , लेकिन केंद्र - राज्य सरकार से कोई पुरस्कार या आर्थिक मदद नहीं मिली। स्वर्ण सिंह के छोटे भाई पृथ्वीं सिंह ने भी अपने भाई के साथ मिलकर कृषि में मेहनत कर उसी रुपये से नए - नए अविष्कार कर दिए।
पानी को बचाने का यंत्र ;- पानी इस समय समय - दुनिया की समस्या है। बहुत से देश व प्रदेश पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसे में स्वर्ण सिंह ने एक पानी बचाने का नायाब तरीका खोज लिया। कुछ लोग पानी की टंकी के ओवरफ्लो हो जाने के बावजूद भी हजारों लीटर पानी बहा देते हैं। पानी की एक एक बून्द कीमती है। अकसर पानी की टंकी ओवरफ्लो हो जाती है और पानी की बर्बादी होती रहती है। स्वर्ण सिंह ने मैकेनिकल वाटर ओवर फ्लो कंट्रोल सिस्टम ईजाद किया है। यह यंत्र पानी की टंकी के ऊपरी हिस्से में लगता है। पानी की टंकी भरते ही यंत्र अपने आप पानी की मोटर को बंद कर देता है। ऐसी सूरत में हजारों लीटर सड़कों , नालियों में बहने से रोका जा सकता है। स्वर्ण सिंह का दावा है कि उनके यंत्र से पानी की बचत , बिजली की बचत , , भवन पर सीलन से बचाव , टंकी भरने पर पाइप इत्यादि हटाने की टेंशन , जलभराव नहीं होने से मच्छर के प्रकोप से आजादी , जलस्तर नीचे नहीं जायेगा , सडकों - नालियों में गन्दगी या जलभराव से आजादी मिलेगी। सड़क - रास्ते पानी भरने की वजह से खराब नहीं होंगे। इस प्रकार के बहुत से लाभ इस यंत्र के बन जाने से लोगों को मिल रहे हैं। साइबर सिटी गुरुग्राम में करीब 13 हजार घरों में ओवर फ्लो कंट्रोल सिस्टम लगाया भी जा चुका है।
बाइट;- स्वर्ण सिंह अविष्कारक छपेड़ा
बाइट ;- पृथ्वी सिंह परिजन भाई
संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात
Conclusion:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी ;- स्वर्ण सिंह ने एक पानी बचाने का नायाब तरीका खोज लिया ,स्वर्ण सिंह एवं पृथ्वीं सिंह कर रहे छपेड़ा गांव का नाम रोशन
तकनीकी शिक्षा प्राप्त कर या बहुत अच्छी पढाई करने वालों को अविष्कारक बनते हुए तो आपने कई लोगों को देखा और सुना होगा , लेकिन हम आपको ऐसे वैज्ञानिक से मिलवाने जा रहे हैं। जिसने महज दसवीं कक्षा तक पढाई की। करीब 18 वर्ष पहले छपेड़ा गांव के किसान परिवार में 1 अप्रैल 1967 मेंजन्में स्वर्ण सिंह ने इंजन का चौकीदार बनाकर सुर्खियां बटोरी। उसके बाद से आज तक उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। डेढ़ दशक में स्वर्ण अब तक 10 - 15 उपकरणों पर शोध कर चुके हैं। किसानों ने इंजन के चौकीदार और मैकेनिकल वाटर ओवर फ्लो कंट्रोल सिस्टम को लोगों ने खूब सराहा। अब तक केंद्र - राज्य सरकार में अहम मुकाम पर रहे कई आईएएस अधिकारी गांव छपेड़ा में आकर स्वर्ण सिंह के हुनर की सराहना तो कर चुके , लेकिन केंद्र - राज्य सरकार से कोई पुरस्कार या आर्थिक मदद नहीं मिली। स्वर्ण सिंह के छोटे भाई पृथ्वीं सिंह ने भी अपने भाई के साथ मिलकर कृषि में मेहनत कर उसी रुपये से नए - नए अविष्कार कर दिए।
पानी को बचाने का यंत्र ;- पानी इस समय समय - दुनिया की समस्या है। बहुत से देश व प्रदेश पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसे में स्वर्ण सिंह ने एक पानी बचाने का नायाब तरीका खोज लिया। कुछ लोग पानी की टंकी के ओवरफ्लो हो जाने के बावजूद भी हजारों लीटर पानी बहा देते हैं। पानी की एक एक बून्द कीमती है। अकसर पानी की टंकी ओवरफ्लो हो जाती है और पानी की बर्बादी होती रहती है। स्वर्ण सिंह ने मैकेनिकल वाटर ओवर फ्लो कंट्रोल सिस्टम ईजाद किया है। यह यंत्र पानी की टंकी के ऊपरी हिस्से में लगता है। पानी की टंकी भरते ही यंत्र अपने आप पानी की मोटर को बंद कर देता है। ऐसी सूरत में हजारों लीटर सड़कों , नालियों में बहने से रोका जा सकता है। स्वर्ण सिंह का दावा है कि उनके यंत्र से पानी की बचत , बिजली की बचत , , भवन पर सीलन से बचाव , टंकी भरने पर पाइप इत्यादि हटाने की टेंशन , जलभराव नहीं होने से मच्छर के प्रकोप से आजादी , जलस्तर नीचे नहीं जायेगा , सडकों - नालियों में गन्दगी या जलभराव से आजादी मिलेगी। सड़क - रास्ते पानी भरने की वजह से खराब नहीं होंगे। इस प्रकार के बहुत से लाभ इस यंत्र के बन जाने से लोगों को मिल रहे हैं। साइबर सिटी गुरुग्राम में करीब 13 हजार घरों में ओवर फ्लो कंट्रोल सिस्टम लगाया भी जा चुका है।
बाइट;- स्वर्ण सिंह अविष्कारक छपेड़ा
बाइट ;- पृथ्वी सिंह परिजन भाई
संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात
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