नूंह: कोरोना काल में शिक्षा व्यवस्था का पूरी तरह से बंटाधार हो चुका है. कोरोना महामारी की वजह से पिछले कई महीनों से सरकारी और निजी स्कूलों में पूरी तरह से सन्नाटा पसरा हुआ है. कोरोना बीमारी की वजह से पूरे प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है. प्रदेश के नूंह जिले की हालत और भी ज्यादा खराब हो गई है. शिक्षा के मामले में नूंह जिले पहले से पिछड़ा हुआ है.
छात्रों की पढ़ाई का नुकसान ना हो इसके लिए ऑनलाइन शिक्षा की व्यवस्था की है. जिसको अमलीजामा पहनाने में प्रशासन पूरी मुस्तैदी से लगा हुआ है. छात्रों की पढ़ाई का नुकसान ना हो और उनको शिक्षा दी जा सके. इसके लिए शिक्षा विभाग ने एजुसेट, केबल नेटवर्क, इंटरनेट, व्हाट्सएप ग्रुप आदि माध्यम भी बनाए हैं, लेकिन क्या ये माध्यम हर छात्र के पास उपलब्ध हैं. इस बात का पता लगाने के लिए ईटीवी भारत की टीम ग्राउंड स्तर पर पहुंची.
दावों की हकीकत
इस दौरान जब छात्रों से बात की गई तो पता चला कि जिले में अधिकतर गांव ऐसे हैं, जहां पर इंटरनेट की सुविधा नहीं है. साथ ही कुछ स्थानीय निवासियों ने बताया कि नूंह जिला पहले से आर्थिक रुप से कमजोर है. ऐसे में वो अपने बच्चों को एंड्रॉयड मोबाइल कहां से दिलाएं. मोबाइल दिला भी दें तो मंहगे-मंहगे रिचार्ज कहां से कराएंगे. साथ ही जिन लोगों के पास मोबाइल है, उनका कहना है कि कभी भी बिजली चली जाती है.
शिक्षा विभाग दावा है कि नूंह जिले में 61 फीसदी छात्र ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, लेकिन इन कागजों की जमीनी हकीकत कोसों दूर नजर आ रही है. जब हमनें जिला शिक्षा अधिकारी सूरजभान से बात की तो उन्होंने ने भी ये माना कि जिले में सभी के पास टेलीविजन की सुविधान नहीं है. लेकिन फिर भी वो मोबाइल के जरिए ज्यादा से ज्यादा छात्रों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं.