नूंह: जिले में ज्यादा बरसात होने की वजह से मलेरिया का खतरा बढ़ गया है. खतरा तो पहले भी कम नहीं था, लेकिन गंदगी और जलभराव होने की वजह से अब कुछ ज्यादा खतरा बढ़ गया है. जिसे भांपते हुए स्वास्थ्य विभाग ने अपने मातहत कर्मचारियों को पूरी तरह अलर्ट कर दिया है तथा लोगों से भी सहयोग करने की अपील की.
जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. अरविंद कुमार ने कहा कि पिछले साल जिला में मलेरिया के 942 केस मिले थे. जिले में अब तक 18 केस मलेरिया के सामने आए हैं. इस कार्य में सभी विभाग आपसी सामान्य से अपनी जिम्मेदारी निभाएं और सभी जिलावासी मच्छरों को पनपने पर रोक लगाने में स्वास्थ्य विभाग का सहयोग करें.
उन्होंने बताया कि इस महीने में लोगों को जागरूक करने, स्प्रे करने, जलभराव में काला तेल इत्यादि डालने, मच्छरदानियों का वितरण करने सहित कई बड़े कदम उठाए जाते हैं, ताकि मच्छर का डंक लोगों के स्वास्थ्य पर भारी ना पड़ जाए. खास बात तो यही है कि इस बार स्वास्थ्य विभाग ने आशा तथा आंगनवाड़ी से जुड़ी महिलाओं को फीवर ट्रीटमेंट डिपो का कार्यभार दिया है.
उन्होंने बताया कि जीरो मलेरिया जिला बनाने की दिशा में आवश्यक कदम उठाने के लिए विभिन्न विभागों की जिम्मेदारी निर्धारित करते हुए आमजन से भी सहयोग का आह्वान किया है. उन्होंने कहा कि आजकल कोरोना के चलते अधिकतर लोगों का ज्यादातर समय घरों में ही बीतता है, इसलिए वे अपने खाली समय का सदुपयोग घर की साफ- सफाई के टायरों में पानी खड़ा न होने दें होने देने जैसे कार्यों में कर सकते हैं.
मादा एनोफिलीज मच्छर से होता है मलेरिया
मादा एनोफेलीज मच्छर के काटने से मलेरिया होता है. मलेरिया के सामान्य लक्षणों में बुखार, पसीने आना, सिर दर्द, कंपकपी आना, जी मिचलाना और मांसपेशियों में दर्द शामिल हैं.
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