नूंह: नूंह में जिस तरह कोरोना वायरस केसों की संख्या तेजी से बढ़ी थी, उससे कहीं ज्यादा तेजी से मरीजों की रिकवरी करने में ये है जिला अव्वल दर्जे पर गिना जा रहा है. सबसे खास बातचीत ये रही कि इलाज के दौरान किसी भी मरीज को आईसीयू या वेंटिलेटर इत्यादि की आवश्यकता नहीं पड़ी. नॉर्मल इलाज से ही सभी 53 मरीज अब तक ठीक होकर नल्हड़ मेडिकल कॉलेज से डिस्चार्ज किए जा चुके हैं.
सिविल सर्जन डॉ. वीरेंद्र सिंह यादव से इस बारे में ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि देश में रिकवरी रेट 26 प्रतिशत के करीब है, लेकिन जिले के अलावा पलवल जिले का रिकवरी रेट 90 प्रतिशत से ऊपर है. कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि नूंह क्षेत्र में मरीजों की प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा हो या फिर इसके अलावा मरीजों को समय पर चिन्हित कर उनका बेहतर इलाज किया गया हो, लेकिन ठीक होने में जिले के कोरोना मरीजों का कोई जवाब नहीं है.
सीएमओ नूंह ने कहा कि ये तो जांच का विष्य है कि आखिर नूंह में रिकवरी रेट इतना ज्यादा कैसे रहा,लेकिन स्वास्थ्य विभाग नूंह, मेडिकल कॉलेज नल्हड़ प्रशासन ,जिला प्रशासन ,पुलिस प्रशासन के अलावा हरियाणा रोडवेज का भी अहम किरदार रहा है. उन्होंने कहा कि जब भी बसों की आवश्यकता पड़ी तुरंत बसों का इंतजाम कराया गया.
सीएमओ डॉ. वीरेंद्र सिंह ने बताया कि जहां तक मेवात जिले के रेड जोन से ऑरेंज जॉन में आने की बात है, तो केंद्र सरकार- स्वास्थ्य मंत्रालय कई पैमाने पर जोन को बांटता है. जिसमें सैंपल की रफ्तार, मरीजों की संख्या, मरीजों के ठीक होने के आंकड़े इत्यादि बहुत सी चीजों को देखा जाता है. तब जाकर फैसला लिया जाता है .ये राहत की बात है कि नूंह रेड जोन से ऑरेंज जॉन में आया है. उन्होंने ये भी कहा कि अगर किसी जिले में अचानक से 10 या उससे अधिक मरीज सामने आ जाते हैं ,तो ग्रीन जोन से भी वापस वह इलाका रेड जोन में जा सकता है.
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सीएमओ वीरेंद्र ने कहा नूंह जिले से आए ज्यादातर कोरोना मरीज तबलीगी जमाती थे, जिनमें से ज्यादातर जमाती ठीक भी हो चुके हैं. ऐसे में कई जमातियों ने अपना प्लाज्मा देने की बात की है. अगर उनके प्लाज्मा की जरूरत पड़ती है तो उनसे मदद ली जाएगी.