नूंह: हरियाणा में सरसों की सरकारी खरीद जारी है. मौसम में हुए बदलाव की वजह से इस बार सरसों में नमी ज्यादा है. जिस वजह से किसानों की सरसों की फसल न्यूनमत समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर नहीं खरीदी जा रही है. जिसकी वजह से किसानों को काफी नुकसान हो रहा है. पुन्हाना अनाज मंडी में भी 14 मार्च से सरसों की सरकारी खरीद हो चुकी है, लेकिन अभी तक एमएसपी पर सरसों की खरीद नहीं हुई है.
मजबूरन किसान निजी कंपनियों को सरसों की फसल बेचने को मजबूर हैं. नूंह मार्केट कमेटी सचिव दीपक ग्रोवर ने बताया कि बीते साल सरकार ने सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5050 रुपये तय किया था, लेकिन इस बार सरसों की एमएसपी 5450 रुपये निर्धारित की गई है. बीते साल पुन्हाना अनाज मंडी में तकरीबन 89000 क्विंटल सरसों की खरीद हुई थी. इस बार अभी तक 27500 क्विंटल सरसों की खरीद प्राइवेट कंपनियों ने की है.
वहीं सरकारी खरीद 225 क्विंटल ही अभी तक हो पाई है. सचिव दीपक ग्रोवर के मुताबिक बीते साल की तुलना में इस बार सरसों की फसल में नमी अधिक है, इसलिए किसानों को फसल सुखाकर लाने के लिए कहा गया है. मार्केट कमेटी सचिव के मुताबिक मौसम जैसे ही शुष्क होगा, वैसे ही तापमान बढ़ेगा. जिससे सरसों की फसल की नमी दूर होगी. जिसके बाद प्राइवेट आढ़ती महंगे दामों पर भी सरसों को खरीद सकते हैं.
ये भी पढ़ें- बेमौसम बरसात से खराब हुई गेहूं और सरसों की फसल, किसानों की चिंता बढ़ी
बीते साल सरसों की क्वालिटी अच्छी थी और प्राइवेट आढ़तियों ने 7 से 8 हजार रुपए प्रति क्विंटल के भाव से सरसों खरीदी थी. इस बार ऐसा दिखाई नहीं दे रहा है. सरसों किसान के लिए कैश क्रॉप मानी जाती है. इसीलिए नूंह जिले का किसान हजारों एकड़ भूमि में सरसों की फसल की बिजाई करता है. इस फसल में सिंचाई की कम जरूरत होती है और मेवात जिले में सिंचाई के साधन कम हैं, इसलिए राज्य में सरसों बिजाई में जिला दूसरे नंबर पर आता है.