नूंह: हिमाचल-उत्तराखंड इत्यादि राज्य से मधुमक्खी पालक इन दिनों हरियाणा के नूंह जिले का रुख कर रहे हैं. सेब की खेती खत्म होने के बाद नूंह जिले में सरसों की फसल (Mustard farming in Nuh beekeeping) लहलहा रही है. सरसों की फसल में इन दिनों चारों तरफ फूल खिले हुए दिखाई दे रहे हैं. इन्हीं फूलों से रस चूस कर मधुमक्खी तेजी से अपने छत्ते में रस तैयार करती है और मधुमक्खी पालकों को इस खेती की वजह से अच्छा खासा मुनाफा होता है.
सेब में जो गुण होते हैं, वहीं मधुमक्खियों को सरसों की खेती में मिल जाते हैं. दूरदराज राज्यों से आने वाले बेरोजगार युवा मधुमक्खी पालन से सरसों की खेती के चलते अच्छा खसा मुनाफा कमा लेते हैं. इससे न केवल मधुमक्खी पालकों को लाभ होता है बल्कि सरसों की खेती करने वाले किसानों को (Benefits of beekeeping to farmers) भी अच्छा खासा लाभ होता है. मधुमक्खी के फूलों पर बैठने से सरसों फसल की कई प्रकार की बीमारियां खत्म हो जाती हैं.
कृषि विशेषज्ञ जिला क्वालिटी कंट्रोल अधिकारी अजय तोमर ने कहा कि इससे ना केवल मधुमक्खी पालकों को सरसों की खेती का लाभ हो रहा है बल्कि किसानों के लिए भी मधुमक्खी काफी कारगर है. उन्होंने कहा कि मधुमक्खी के बैठने से एक अलग ही ताकत सरसों के फूल में आ जाती है और कई प्रकार की बीमारियां खत्म हो जाती है. इससे अच्छा उत्पादन होता है साथ ही बेरोजगार युवा मधुमक्खी पालन को अपनाकर अच्छी खासी आजीविका कमा सकते हैं. लेकिन नूंह जिले के बेरोजगार युवा मधुमक्खी पालन में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं.
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वहीं हिमाचल तथा उत्तराखंड जैसे राज्यों के युवा हर साल यहां पिछले कई सालों से सरसों की खेती में फूल खिलते ही आ जाते हैं.कुल मिलाकर सरसों की खेती से न केवल क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता इन दिनों बढ़ रही है बल्कि पीले पीले फूल मधुमक्खी पालकों के चेहरे पर भी खुशहाली लाने का काम कर रहे हैं और मधुमक्खी पालन की वजह से (Benefits of beekeeping to farmers) सरसों के उत्पादन में भी बढ़ोतरी से इनकार नहीं किया जा सकता.