नूंह: बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाले प्रदेश में बेटियां अभी भी बोझ हैं. सरकारी फाइलों के आंकड़े भले बदल गये हों लेकिन समाज की सच नहीं बदली. इसका एक नमूना एक बार फिर नूंह जिले में देखने को मिला. महज दो दिन पहले दुनिया में आई एक नवजात बच्ची को उसके मां-बाप कूड़े में फेंककर चले गए. आस-पास के लोगों ने बच्ची को देखा तो पुलिस को फोन किया.
मामला नूंह जिले के पुनहाना खंड के गांव गोधौली का है. जहां बुधवार दोपहर करीब 12 बजे एक नवजात बच्ची मिली. बच्ची कपड़े में लिपटी हुई कूड़े के ढेर के पास पड़ी थी. बच्ची को सबसे पहले वहीं खेल रहे बच्चों ने देखा. जिसके बाद उन्होंने घर वालों को सूचना दी. लोग मौके पर पहुंचे और बच्ची को कचरे के ढेर से उठा लिया और पुलिस को फोन किया.
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लावारिस हालत में मिली बच्ची के साथ ही एक खूबसूरत तस्वीर भी देखने को मिली. जिसने साबित कर दिया कि उसकी माता भले कुमाता हो गई लेकिन दुनिया में मोहब्बत करने वाले भी जिंदा हैं. दरअसल बच्ची को कूड़े के ढेर में पाने वाले लोगों में उसे गोद लेने की होड़ लग गई. इस खुशी में लोगों ने मिठाई बांटनी शुरू कर दिया. हलांकि पुलिस ने कानूनी प्रक्रिया का हवाला देकर बच्ची को गोद देने से इनकरा कर दिया.
ग्रामीणों ने बताया कि बच्ची को हम गोद लेने के लिए तैयार थे, इस खुशी में जिनको बच्ची मिली थी उन्होंने लड्डू भी बांटे, लेकिन पुलिस ने गोद देने से मना कर दिया. ग्रामीणों के मुताबिक पुलिस टीम ने कहा कि ये कोर्ट का मामला है. कानूनी प्रक्रिया के तहत ही बच्ची को गोद लिया जा सकता है. डॉक्टर ने बताया कि बच्ची 2 दिन की है, जिसका वजन भी पूरा है. उसे मांडीखेड़ा के लिए रेफर कर दिया है. फिलहाल बच्ची खतरे से बाहर बताई जा रही है.
पुलिस को जानकारी मिली थी कि गोधौली गांव में एक बच्ची लावारिस हालत में मिली है. उसकी उम्र शायद 1-2 दिन है. ग्रामीओं ने उसे देखकर पुलिस कंट्रोल रूम में फोन किया. हम मौके पर पहुंचे और बच्ची को लेकर पुनहाना सिविल हॉस्पिटल में भर्ती कराया. बच्ची की हालत फिलहाल ठीक है. हम पता लगा रहे हैं किसकी बच्ची है. पता लगने पर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जायेगी. अरविंद कुमार, जांच अधिकारी
पुनहाना सिविल अस्पताल के डॉक्टर सद्दाम ने बताया कि बच्ची कि जब बच्ची अस्पताल आई तो उसकी हालत ठीक नहीं थी. उसका शुगर लेवल कम था. ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि उसे फीड नहीं किया गया था. हमने सिविल हॉस्पिटल में बच्ची का जरूरी इलाज किया. उसके बाद उसे मांडीखेड़ा के लिए रेफर कर दिया गया. वहां पर बच्चों के स्पेशलिस्ट डॉक्टर होते हैं जो उसका बेहतर ध्यान रखेंगे.
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