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CSR की मदद से नूंह के गांवों में बनेंगी लाइब्रेरी, जिला प्रशासन ने बनाई रणनीति

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Published : Oct 31, 2020, 3:03 PM IST

नूंह जिला उपायुक्त धीरेंद्र खड़गटा ने कहा कि सीएसआर की मदद से गांवों में लाइब्रेरी बनाने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत के सचिवालय के अलावा सरकारी भवन या कम्युनिटी सेंटर में लाइब्रेरी बनाई जाएंगी.

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नूंह: जिले के गरीब बच्चों की पढ़ाई सबसे ज्यादा किताबें ना होने की वजह से प्रभावित होती हैं, लेकिन अब नूंह के गरीब बच्चों को सीएसआर के तहत किताबें मुहैया करवाई जाएंगी. डीसी नूंह ने कहा कि सीएसआर की मदद से गांव में लाइब्रेरी बनाने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत के सचिवालय के अलावा सरकारी भवन या कम्युनिटी सेंटर में लाइब्रेरी बनाई जाएंगी.

CSR की मदद से नूंह के गांवों में बनेंगी लाइब्रेरी, देखें वीडियो

उन्होंने बताया कि लाइब्रेरी में बच्चों के कंपटीशन के साथ-साथ पाठ्यक्रम की किताबें उपलब्ध होंगी. जिसकी वजह से बच्चों को किताबों के लिए दूरदराज भटकना नहीं पड़ेगा. इसमें सक्षम युवा की नियुक्ति की जाएगी, जो लाइब्रेरी को सुसज्जित रखने के साथ-साथ बच्चों की मदद करेगा.

ये भी पढे़ं- 'सीएम और ओपी धनखड़ विचार विमर्श कर MSP पर बयान दें'

कुल मिलाकर इस लाइब्रेरी से ना केवल युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान होंगे, बल्कि गरीब बच्चों को समय पर किताबें मिल सकेंगी. साथ ही आर्थिक तंगी की वजह से या अन्य कारणों से जो अभिभावक समय पर बच्चों को किताबें नहीं खरीद पाते, अब उनके लिए किताबें पढ़ाई में बाधा नहीं बनेगी.

जिला प्रशासन ने इसके लिए पूरी रणनीति तैयार कर ली है. कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी की मदद से किताबें खरीदने का काम आसान होगा. इसके लिए भी प्रशासन ने प्रदेश और देश के बड़े औद्योगिक घरानों से संपर्क किया है.

नूंह: जिले के गरीब बच्चों की पढ़ाई सबसे ज्यादा किताबें ना होने की वजह से प्रभावित होती हैं, लेकिन अब नूंह के गरीब बच्चों को सीएसआर के तहत किताबें मुहैया करवाई जाएंगी. डीसी नूंह ने कहा कि सीएसआर की मदद से गांव में लाइब्रेरी बनाने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत के सचिवालय के अलावा सरकारी भवन या कम्युनिटी सेंटर में लाइब्रेरी बनाई जाएंगी.

CSR की मदद से नूंह के गांवों में बनेंगी लाइब्रेरी, देखें वीडियो

उन्होंने बताया कि लाइब्रेरी में बच्चों के कंपटीशन के साथ-साथ पाठ्यक्रम की किताबें उपलब्ध होंगी. जिसकी वजह से बच्चों को किताबों के लिए दूरदराज भटकना नहीं पड़ेगा. इसमें सक्षम युवा की नियुक्ति की जाएगी, जो लाइब्रेरी को सुसज्जित रखने के साथ-साथ बच्चों की मदद करेगा.

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कुल मिलाकर इस लाइब्रेरी से ना केवल युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान होंगे, बल्कि गरीब बच्चों को समय पर किताबें मिल सकेंगी. साथ ही आर्थिक तंगी की वजह से या अन्य कारणों से जो अभिभावक समय पर बच्चों को किताबें नहीं खरीद पाते, अब उनके लिए किताबें पढ़ाई में बाधा नहीं बनेगी.

जिला प्रशासन ने इसके लिए पूरी रणनीति तैयार कर ली है. कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी की मदद से किताबें खरीदने का काम आसान होगा. इसके लिए भी प्रशासन ने प्रदेश और देश के बड़े औद्योगिक घरानों से संपर्क किया है.

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