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महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण की बात कोरी बेईमानी

हरियाणा की राजनीति में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने के दावे भले ही किए जा रहे हों, लेकिन दावों और जमीनी हकीकत में बड़ा अंतर है. लोकसभा चुनाव के तहत गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र से अभी तक किसी भी राजनीतिक पार्टी ने किसी महिला को मैदान में नहीं उतारा है.

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Published : Apr 21, 2019, 6:18 PM IST

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नूंहः गुरुग्राम लोकसभा से किसी भी दल द्वारा किसी महिला को उम्मीदवार नहीं बनाना इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है. हरियाणा में जितनी महिलाओं को चुनाव में टिकट देकर उतारा गया है, उनका 33 फीसदी तो दूर कुल मिलाकर 10 फीसदी तक हिस्सा भी नहीं बनता.

वहीं अगर हम बात करें सूबे की तो कांग्रेस ने अंबाला लोकसभा से कुमारी सैलजा और भिवानी-महेंद्रगढ़ से श्रुति चौधरी को मैदान में उतारा है. वहीं बीजेपी ने सिरसा लोकसभा से सुनीता दुग्गल को मैदान में उतारा है.जेजेपी ने भिवानी-महेंद्रगढ़ से स्वाति यादव को उम्मीदवार बनाया है. हालांकि महिलाओं की चुनावी मैदान में इस गिनती से अंदाजा लगाया जा सकता है कि महिलाओं की बराबरी और उत्थान की बातें करने वाली राजनैतिक पार्टियां आखिर महिलाओं को कितना मौका देती है.

नूंहः गुरुग्राम लोकसभा से किसी भी दल द्वारा किसी महिला को उम्मीदवार नहीं बनाना इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है. हरियाणा में जितनी महिलाओं को चुनाव में टिकट देकर उतारा गया है, उनका 33 फीसदी तो दूर कुल मिलाकर 10 फीसदी तक हिस्सा भी नहीं बनता.

वहीं अगर हम बात करें सूबे की तो कांग्रेस ने अंबाला लोकसभा से कुमारी सैलजा और भिवानी-महेंद्रगढ़ से श्रुति चौधरी को मैदान में उतारा है. वहीं बीजेपी ने सिरसा लोकसभा से सुनीता दुग्गल को मैदान में उतारा है.जेजेपी ने भिवानी-महेंद्रगढ़ से स्वाति यादव को उम्मीदवार बनाया है. हालांकि महिलाओं की चुनावी मैदान में इस गिनती से अंदाजा लगाया जा सकता है कि महिलाओं की बराबरी और उत्थान की बातें करने वाली राजनैतिक पार्टियां आखिर महिलाओं को कितना मौका देती है.

Intro:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी ;- महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण की बात कोरी बेईमानी
राजनीति में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने के दावे भले ही किये जा रहे हों , लेकिन दावों और जमीनी हकीकत में बड़ा अंतर है। लोकसभा चुनाव की अगर बात करें तो गुरुग्राम लोकसभा में अभी तक किसी भी दल ने किसी महिला को मैदान में नहीं उतारा है। अगर बात सूबे की करें तो कांग्रेस ने अंबाला लोकसभा से कुमारी शैलजा और भिवानी - महेंद्रगढ़ से श्रुति चौधरी को मैदान में उतारा है। बात अगर भाजपा की करें तो उन्होंने सिरसा लोकसभा से सुनीता दुग्गल को मैदान में उतारा है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि महिलाओं की बराबरी और उत्थान की बातें करने वाली राजनैतिक पार्टियां कितनी सही हैं। इस बात को महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी गलत मानते हैं।
आपको बता दें कि महिलाएं किसी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। देश की राष्ट्रपति , लोकसभा स्पीकर , प्रधानमंत्री , सांसद , आईपीएस , आईएएस , पायलेट से लेकर सभी क्षेत्रों में कामयाबी के झंडे गाड़ रही हैं। राजनीति में भी रक्षा मंत्री , विदेश मंत्री के रूप में महिलाएं सही साबित हुई हैं। उसके बावजूद भी महिलाओं को राजनीती में उतना महत्व नहीं दिया जाता , जितना दावा किया जाता है। गुरुग्राम लोकसभा से किसी भी दल द्वारा किसी महिला को उम्मीदवार नहीं बनाना इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है। हरियाणा में जितनी महिलाओं को चुनावी समर में टिकट देकर उतारा गया है। उनका 33 फीसदी तो दूर कुल मिलाकर 10 फीसदी तक हिस्सा भी नहीं बनता। अब सिर्फ चंद घंटे उम्मीदवारों के एलान में बचे हैं। ऐसे में कोई महिला उम्मीदवार का मैदान में आना बहुत ही मुश्किल है। देश की आधी के करीब आबादी महिलाओं की होने के बावजूद उनको राजनीति में हिस्सेदारी नहीं मिल पा रही है। महिलाओं को आज भी पुरुष प्रधान घर की चारदीवारी के अंदर रखने तक ही सीमित रखना चाहते हैं।
बाइट;- अनंतराम खटाना समाजसेवी
बाइट;- रमजान चौधरी।
बाइट;- जुबैर खान
बाइट :- गुड्डी।
बाइट :- शबीना।
बाइट :- ज़ुल्फिकार
संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात
Body:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी ;- महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण की बात कोरी बेईमानी
राजनीति में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने के दावे भले ही किये जा रहे हों , लेकिन दावों और जमीनी हकीकत में बड़ा अंतर है। लोकसभा चुनाव की अगर बात करें तो गुरुग्राम लोकसभा में अभी तक किसी भी दल ने किसी महिला को मैदान में नहीं उतारा है। अगर बात सूबे की करें तो कांग्रेस ने अंबाला लोकसभा से कुमारी शैलजा और भिवानी - महेंद्रगढ़ से श्रुति चौधरी को मैदान में उतारा है। बात अगर भाजपा की करें तो उन्होंने सिरसा लोकसभा से सुनीता दुग्गल को मैदान में उतारा है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि महिलाओं की बराबरी और उत्थान की बातें करने वाली राजनैतिक पार्टियां कितनी सही हैं। इस बात को महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी गलत मानते हैं।
आपको बता दें कि महिलाएं किसी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। देश की राष्ट्रपति , लोकसभा स्पीकर , प्रधानमंत्री , सांसद , आईपीएस , आईएएस , पायलेट से लेकर सभी क्षेत्रों में कामयाबी के झंडे गाड़ रही हैं। राजनीति में भी रक्षा मंत्री , विदेश मंत्री के रूप में महिलाएं सही साबित हुई हैं। उसके बावजूद भी महिलाओं को राजनीती में उतना महत्व नहीं दिया जाता , जितना दावा किया जाता है। गुरुग्राम लोकसभा से किसी भी दल द्वारा किसी महिला को उम्मीदवार नहीं बनाना इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है। हरियाणा में जितनी महिलाओं को चुनावी समर में टिकट देकर उतारा गया है। उनका 33 फीसदी तो दूर कुल मिलाकर 10 फीसदी तक हिस्सा भी नहीं बनता। अब सिर्फ चंद घंटे उम्मीदवारों के एलान में बचे हैं। ऐसे में कोई महिला उम्मीदवार का मैदान में आना बहुत ही मुश्किल है। देश की आधी के करीब आबादी महिलाओं की होने के बावजूद उनको राजनीति में हिस्सेदारी नहीं मिल पा रही है। महिलाओं को आज भी पुरुष प्रधान घर की चारदीवारी के अंदर रखने तक ही सीमित रखना चाहते हैं।
बाइट;- अनंतराम खटाना समाजसेवी
बाइट;- रमजान चौधरी।
बाइट;- जुबैर खान
बाइट :- गुड्डी।
बाइट :- शबीना।
बाइट :- ज़ुल्फिकार
संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात
Conclusion:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी ;- महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण की बात कोरी बेईमानी
राजनीति में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने के दावे भले ही किये जा रहे हों , लेकिन दावों और जमीनी हकीकत में बड़ा अंतर है। लोकसभा चुनाव की अगर बात करें तो गुरुग्राम लोकसभा में अभी तक किसी भी दल ने किसी महिला को मैदान में नहीं उतारा है। अगर बात सूबे की करें तो कांग्रेस ने अंबाला लोकसभा से कुमारी शैलजा और भिवानी - महेंद्रगढ़ से श्रुति चौधरी को मैदान में उतारा है। बात अगर भाजपा की करें तो उन्होंने सिरसा लोकसभा से सुनीता दुग्गल को मैदान में उतारा है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि महिलाओं की बराबरी और उत्थान की बातें करने वाली राजनैतिक पार्टियां कितनी सही हैं। इस बात को महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी गलत मानते हैं।
आपको बता दें कि महिलाएं किसी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। देश की राष्ट्रपति , लोकसभा स्पीकर , प्रधानमंत्री , सांसद , आईपीएस , आईएएस , पायलेट से लेकर सभी क्षेत्रों में कामयाबी के झंडे गाड़ रही हैं। राजनीति में भी रक्षा मंत्री , विदेश मंत्री के रूप में महिलाएं सही साबित हुई हैं। उसके बावजूद भी महिलाओं को राजनीती में उतना महत्व नहीं दिया जाता , जितना दावा किया जाता है। गुरुग्राम लोकसभा से किसी भी दल द्वारा किसी महिला को उम्मीदवार नहीं बनाना इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है। हरियाणा में जितनी महिलाओं को चुनावी समर में टिकट देकर उतारा गया है। उनका 33 फीसदी तो दूर कुल मिलाकर 10 फीसदी तक हिस्सा भी नहीं बनता। अब सिर्फ चंद घंटे उम्मीदवारों के एलान में बचे हैं। ऐसे में कोई महिला उम्मीदवार का मैदान में आना बहुत ही मुश्किल है। देश की आधी के करीब आबादी महिलाओं की होने के बावजूद उनको राजनीति में हिस्सेदारी नहीं मिल पा रही है। महिलाओं को आज भी पुरुष प्रधान घर की चारदीवारी के अंदर रखने तक ही सीमित रखना चाहते हैं।
बाइट;- अनंतराम खटाना समाजसेवी
बाइट;- रमजान चौधरी।
बाइट;- जुबैर खान
बाइट :- गुड्डी।
बाइट :- शबीना।
बाइट :- ज़ुल्फिकार
संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात
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