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104 बच्चे और एक टीचर, कैसे पढ़ेंगे यहां के बच्चे ?

इस मिडिल स्कूल में 104 बच्चों को पढ़ाने के लिए मात्र एक अध्यापक है. जबकि स्कूल काफी पहले अपग्रेड किया गया था.

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Published : Aug 3, 2019, 10:16 PM IST

lack of teachers

नूंहः यहां के पिगनवां खंड के फिरोजपुर मेव में राजकीय मिडिल स्कूल है जो पहले प्राइमरी था. जिसे सरकार ने काफी मांग करने के बाद अपग्रेड तो कर दिया लेकिन स्कूल में अध्यापक नहीं हैं. मिडिल स्कूल के लिए यहां मात्र एक अध्यापक हैं वही सारे बच्चों को पढ़ाते हैं.

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104 बच्चे और एक अध्यापक
इस मिडिल स्कूल में 104 बच्चों को पढ़ाने के लिए मात्र एक अध्यापक है. जबकि स्कूल काफी पहले अपग्रेड किया गया था. हैडमास्टर कहते हैं कि उनके पास कई और स्कूलों का भी प्राभार है लेकिन फिर भी वो जितना हो सकता है ध्यान देते हैं.

प्राइमरी के टीचरों से कैसे चलेगा काम ?
मिडिल स्कूल के बच्चों को पढ़ाने के लिए क्योंकि सिर्फ एक टीचर है तो प्राइमरी के टीचर्स से काम चलाना पड़ रहा है वही गणित पढ़ा रहे हैं और वही इंग्लिश.

नूंहः यहां के पिगनवां खंड के फिरोजपुर मेव में राजकीय मिडिल स्कूल है जो पहले प्राइमरी था. जिसे सरकार ने काफी मांग करने के बाद अपग्रेड तो कर दिया लेकिन स्कूल में अध्यापक नहीं हैं. मिडिल स्कूल के लिए यहां मात्र एक अध्यापक हैं वही सारे बच्चों को पढ़ाते हैं.

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104 बच्चे और एक अध्यापक
इस मिडिल स्कूल में 104 बच्चों को पढ़ाने के लिए मात्र एक अध्यापक है. जबकि स्कूल काफी पहले अपग्रेड किया गया था. हैडमास्टर कहते हैं कि उनके पास कई और स्कूलों का भी प्राभार है लेकिन फिर भी वो जितना हो सकता है ध्यान देते हैं.

प्राइमरी के टीचरों से कैसे चलेगा काम ?
मिडिल स्कूल के बच्चों को पढ़ाने के लिए क्योंकि सिर्फ एक टीचर है तो प्राइमरी के टीचर्स से काम चलाना पड़ रहा है वही गणित पढ़ा रहे हैं और वही इंग्लिश.

Intro:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी ;- स्कूल में एक ही मास्टर , कैसे पढ़ेगा भविष्य
मैं डॉक्टर बनना चाहता हूँ , मैं टीचर बनना चाहती हूं , लेकिन अध्यापक नहीं होने से हमारा सपना अधूरा रहता दिखाई दे रहा है। प्राईमरी के अध्यापक एवं मिडिल स्कूल के मुख्याध्यापक पूरी मेहनत और लग्न से पढ़ाते हैं , लेकिन मिडिल स्कूल मुख्याध्यापक पर आठ अन्य मिडिल स्कूलों की डीडी पॉवर है। उन स्कूलों का कामकाज भी उन्हीं के कंधों पर है। यह कहना है देश का भविष्य उन नन्हें छात्रों का जो गरीबी की वजह से फिरोजपुर मेव के सरकारी स्कूल में विपरीत हालातों में रोज इस उम्मीद के साथ स्कूल जाते हैं कि आज नहीं तो कल किसी दिन तो सरकार उन पर मेहरबान होगी और उन्होंने जो सपने देखें हैं वे भी देर से ही सही एक दिन जरूर पूरे होंगे। शिक्षा विभाग का कामकाज जब से ऑनलाइन हुआ है , तब से एक अध्यापक का तो अधिकतर समय उसी में चला जाता है। शिक्षा विभाग के अधिकारी तत्काल आंकड़े इत्यादि कई मामलों उनसे मांगते हैं। बेटी बचाने - बेटी पढ़ाने का नारा देने वाली मनोहर लाल खट्टर सरकार में यह हाल है नूंह जिले के पिनगवां खंड के गांव राजकीय मिडिल स्कूल फिरोजपुर मेव का।
आपको बता दें कि मेव कौम लम्बे समय तक मंत्री रहे पूर्व मंत्री मोहमद इलियास के गांव सुल्तानपुर से महज दो - तीन किलोमीटर दूर है। मौजूदा विधायक रहीस खान ने भी स्कूल अपग्रेड कराने के बड़े - बड़े दावे पांच साल में किये , लेकिन जो स्कूल नेताओं ने अपग्रेड करा दिए , उनमें बच्चों का कैसे दम घुट रहा है। इसकी सुध किसी ने आज तक नहीं ली। फिरोजपुर मेव के मिडिल स्कूल में छात्र - छात्राओं की संख्या करीब 104 है। अध्यापक सिर्फ एक है , लेकिन चपरासी से लेकर सफाई कर्मचारी की जिम्मेवारी भी बच्चों - अध्यापकों के कंधे पर है। स्कूल के एकमात्र टीचर जो हैड मास्टर की जिम्मेवारी संभालते हैं , उनका नाम है गजे सिंह। गजे सिंह न केवल स्कूल में एकमात्र टीचर हैं बल्कि अड़ोस - पड़ोस के थोक के भाव अपग्रेड किये गए आठ स्कूलों की डीडी पॉवर की जिम्मेवारी भी अपने कंधों पर ढो रहे हैं। मैथ , साईंस , संस्कृत जैसे विषय जेबीटी प्राइमरी स्कूल टीचर पढ़ा रहे हैं। प्राईमरी के हैडमास्टर महेश कुमार बच्चों के भविष्य को देखते हुए खुद व अपने स्टाफ से कुछ विषयों को पढ़वाते हैं। लेकिन स्टाफ की स्तिथि प्राईमरी स्कूल में भी अच्छी नहीं है। 60 फीसदी स्टाफ प्राईमरी स्कूल में भी कम हैं। सरकार ने स्कूल तो 2008 में प्राईमरी से मिडिल तक अपग्रेड कर दिया , लेकिन स्टाफ की नियुक्ति करना भूल गई। अध्यापकों ने अपने उच्च अधिकारीयों को मौखिक तथा लिखित रूप में एक बार नहीं बल्कि बार - बार कहा , परंतु न कोई चिठ्ठी आई और न कोई अधिकारी आया। और वोट मांगने वाले सफेदपोश भी नहीं आये। अब अध्यापक ही अपनी और बच्चों की सुविधा के लिए दो अध्यापक स्थाई - अस्थाई रूप में मीडिया के माध्यम से सिस्टम से मांग रहे हैं। अब देखना है कि गहरी नींद में सोये हुए सिस्टम को देश के भविष्य की कोई चिंता होती है या फिर सपनों के मकड़जाल में उलझे बच्चे। इसी तरह सिस्टम की बेकारी - लाचारी के चलते स्कूल छोड़ देंगे। नूंह में ड्राप आउट को शिक्षा विभाग और डीसी तक चिंता का विषय मानते हैं , लेकिन हुजूर अगर आप इस तरह के इंतजाम सरकारी स्कूलों में बच्चों को दे रहे हैं , तो बोर्ड की परीक्षाओं में उनका नतीजा क्या होगा और स्कुल छोड़ने उनके सामने दूसरा रास्ता क्या होगा। सरकारें नूंह जिले के विकास और शिक्षा को लेकर बहुत लम्बे चौड़े भाषण देती रही हैं , लेकिन हकीकत आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं। हां इतना जरूर है कि स्कूलों के भवन और रखरखाव को देखकर अब सुधार देखने को जरूर मिल रहा है। बिजली - पानी तथा शौचालय का इंतजाम तो अध्यापकों ने जैसे - तैसे करा दिया , लेकिन नूंह जिले को सक्षम बनाने और नेताओं हजूरी करने वाले बीईओ को बच्चों की हकीकत जानकर लज्जा जरूर आनी चाहिए।
बाइट;- गजे सिंह मुख्याध्यापक मिडिल स्कूल फिरोजपुर मेव
बाइट;- महेश कुमार हैडमास्टर प्राईमरी स्कूल फिरोजपुर मेव
बाइट;- अंकित छात्र
-बाइट; - मनीषा छात्रा
संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात Body:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी ;- स्कूल में एक ही मास्टर , कैसे पढ़ेगा भविष्य
मैं डॉक्टर बनना चाहता हूँ , मैं टीचर बनना चाहती हूं , लेकिन अध्यापक नहीं होने से हमारा सपना अधूरा रहता दिखाई दे रहा है। प्राईमरी के अध्यापक एवं मिडिल स्कूल के मुख्याध्यापक पूरी मेहनत और लग्न से पढ़ाते हैं , लेकिन मिडिल स्कूल मुख्याध्यापक पर आठ अन्य मिडिल स्कूलों की डीडी पॉवर है। उन स्कूलों का कामकाज भी उन्हीं के कंधों पर है। यह कहना है देश का भविष्य उन नन्हें छात्रों का जो गरीबी की वजह से फिरोजपुर मेव के सरकारी स्कूल में विपरीत हालातों में रोज इस उम्मीद के साथ स्कूल जाते हैं कि आज नहीं तो कल किसी दिन तो सरकार उन पर मेहरबान होगी और उन्होंने जो सपने देखें हैं वे भी देर से ही सही एक दिन जरूर पूरे होंगे। शिक्षा विभाग का कामकाज जब से ऑनलाइन हुआ है , तब से एक अध्यापक का तो अधिकतर समय उसी में चला जाता है। शिक्षा विभाग के अधिकारी तत्काल आंकड़े इत्यादि कई मामलों उनसे मांगते हैं। बेटी बचाने - बेटी पढ़ाने का नारा देने वाली मनोहर लाल खट्टर सरकार में यह हाल है नूंह जिले के पिनगवां खंड के गांव राजकीय मिडिल स्कूल फिरोजपुर मेव का।
आपको बता दें कि मेव कौम लम्बे समय तक मंत्री रहे पूर्व मंत्री मोहमद इलियास के गांव सुल्तानपुर से महज दो - तीन किलोमीटर दूर है। मौजूदा विधायक रहीस खान ने भी स्कूल अपग्रेड कराने के बड़े - बड़े दावे पांच साल में किये , लेकिन जो स्कूल नेताओं ने अपग्रेड करा दिए , उनमें बच्चों का कैसे दम घुट रहा है। इसकी सुध किसी ने आज तक नहीं ली। फिरोजपुर मेव के मिडिल स्कूल में छात्र - छात्राओं की संख्या करीब 104 है। अध्यापक सिर्फ एक है , लेकिन चपरासी से लेकर सफाई कर्मचारी की जिम्मेवारी भी बच्चों - अध्यापकों के कंधे पर है। स्कूल के एकमात्र टीचर जो हैड मास्टर की जिम्मेवारी संभालते हैं , उनका नाम है गजे सिंह। गजे सिंह न केवल स्कूल में एकमात्र टीचर हैं बल्कि अड़ोस - पड़ोस के थोक के भाव अपग्रेड किये गए आठ स्कूलों की डीडी पॉवर की जिम्मेवारी भी अपने कंधों पर ढो रहे हैं। मैथ , साईंस , संस्कृत जैसे विषय जेबीटी प्राइमरी स्कूल टीचर पढ़ा रहे हैं। प्राईमरी के हैडमास्टर महेश कुमार बच्चों के भविष्य को देखते हुए खुद व अपने स्टाफ से कुछ विषयों को पढ़वाते हैं। लेकिन स्टाफ की स्तिथि प्राईमरी स्कूल में भी अच्छी नहीं है। 60 फीसदी स्टाफ प्राईमरी स्कूल में भी कम हैं। सरकार ने स्कूल तो 2008 में प्राईमरी से मिडिल तक अपग्रेड कर दिया , लेकिन स्टाफ की नियुक्ति करना भूल गई। अध्यापकों ने अपने उच्च अधिकारीयों को मौखिक तथा लिखित रूप में एक बार नहीं बल्कि बार - बार कहा , परंतु न कोई चिठ्ठी आई और न कोई अधिकारी आया। और वोट मांगने वाले सफेदपोश भी नहीं आये। अब अध्यापक ही अपनी और बच्चों की सुविधा के लिए दो अध्यापक स्थाई - अस्थाई रूप में मीडिया के माध्यम से सिस्टम से मांग रहे हैं। अब देखना है कि गहरी नींद में सोये हुए सिस्टम को देश के भविष्य की कोई चिंता होती है या फिर सपनों के मकड़जाल में उलझे बच्चे। इसी तरह सिस्टम की बेकारी - लाचारी के चलते स्कूल छोड़ देंगे। नूंह में ड्राप आउट को शिक्षा विभाग और डीसी तक चिंता का विषय मानते हैं , लेकिन हुजूर अगर आप इस तरह के इंतजाम सरकारी स्कूलों में बच्चों को दे रहे हैं , तो बोर्ड की परीक्षाओं में उनका नतीजा क्या होगा और स्कुल छोड़ने उनके सामने दूसरा रास्ता क्या होगा। सरकारें नूंह जिले के विकास और शिक्षा को लेकर बहुत लम्बे चौड़े भाषण देती रही हैं , लेकिन हकीकत आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं। हां इतना जरूर है कि स्कूलों के भवन और रखरखाव को देखकर अब सुधार देखने को जरूर मिल रहा है। बिजली - पानी तथा शौचालय का इंतजाम तो अध्यापकों ने जैसे - तैसे करा दिया , लेकिन नूंह जिले को सक्षम बनाने और नेताओं हजूरी करने वाले बीईओ को बच्चों की हकीकत जानकर लज्जा जरूर आनी चाहिए।
बाइट;- गजे सिंह मुख्याध्यापक मिडिल स्कूल फिरोजपुर मेव
बाइट;- महेश कुमार हैडमास्टर प्राईमरी स्कूल फिरोजपुर मेव
बाइट;- अंकित छात्र
-बाइट; - मनीषा छात्रा
संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात Conclusion:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी ;- स्कूल में एक ही मास्टर , कैसे पढ़ेगा भविष्य
मैं डॉक्टर बनना चाहता हूँ , मैं टीचर बनना चाहती हूं , लेकिन अध्यापक नहीं होने से हमारा सपना अधूरा रहता दिखाई दे रहा है। प्राईमरी के अध्यापक एवं मिडिल स्कूल के मुख्याध्यापक पूरी मेहनत और लग्न से पढ़ाते हैं , लेकिन मिडिल स्कूल मुख्याध्यापक पर आठ अन्य मिडिल स्कूलों की डीडी पॉवर है। उन स्कूलों का कामकाज भी उन्हीं के कंधों पर है। यह कहना है देश का भविष्य उन नन्हें छात्रों का जो गरीबी की वजह से फिरोजपुर मेव के सरकारी स्कूल में विपरीत हालातों में रोज इस उम्मीद के साथ स्कूल जाते हैं कि आज नहीं तो कल किसी दिन तो सरकार उन पर मेहरबान होगी और उन्होंने जो सपने देखें हैं वे भी देर से ही सही एक दिन जरूर पूरे होंगे। शिक्षा विभाग का कामकाज जब से ऑनलाइन हुआ है , तब से एक अध्यापक का तो अधिकतर समय उसी में चला जाता है। शिक्षा विभाग के अधिकारी तत्काल आंकड़े इत्यादि कई मामलों उनसे मांगते हैं। बेटी बचाने - बेटी पढ़ाने का नारा देने वाली मनोहर लाल खट्टर सरकार में यह हाल है नूंह जिले के पिनगवां खंड के गांव राजकीय मिडिल स्कूल फिरोजपुर मेव का।
आपको बता दें कि मेव कौम लम्बे समय तक मंत्री रहे पूर्व मंत्री मोहमद इलियास के गांव सुल्तानपुर से महज दो - तीन किलोमीटर दूर है। मौजूदा विधायक रहीस खान ने भी स्कूल अपग्रेड कराने के बड़े - बड़े दावे पांच साल में किये , लेकिन जो स्कूल नेताओं ने अपग्रेड करा दिए , उनमें बच्चों का कैसे दम घुट रहा है। इसकी सुध किसी ने आज तक नहीं ली। फिरोजपुर मेव के मिडिल स्कूल में छात्र - छात्राओं की संख्या करीब 104 है। अध्यापक सिर्फ एक है , लेकिन चपरासी से लेकर सफाई कर्मचारी की जिम्मेवारी भी बच्चों - अध्यापकों के कंधे पर है। स्कूल के एकमात्र टीचर जो हैड मास्टर की जिम्मेवारी संभालते हैं , उनका नाम है गजे सिंह। गजे सिंह न केवल स्कूल में एकमात्र टीचर हैं बल्कि अड़ोस - पड़ोस के थोक के भाव अपग्रेड किये गए आठ स्कूलों की डीडी पॉवर की जिम्मेवारी भी अपने कंधों पर ढो रहे हैं। मैथ , साईंस , संस्कृत जैसे विषय जेबीटी प्राइमरी स्कूल टीचर पढ़ा रहे हैं। प्राईमरी के हैडमास्टर महेश कुमार बच्चों के भविष्य को देखते हुए खुद व अपने स्टाफ से कुछ विषयों को पढ़वाते हैं। लेकिन स्टाफ की स्तिथि प्राईमरी स्कूल में भी अच्छी नहीं है। 60 फीसदी स्टाफ प्राईमरी स्कूल में भी कम हैं। सरकार ने स्कूल तो 2008 में प्राईमरी से मिडिल तक अपग्रेड कर दिया , लेकिन स्टाफ की नियुक्ति करना भूल गई। अध्यापकों ने अपने उच्च अधिकारीयों को मौखिक तथा लिखित रूप में एक बार नहीं बल्कि बार - बार कहा , परंतु न कोई चिठ्ठी आई और न कोई अधिकारी आया। और वोट मांगने वाले सफेदपोश भी नहीं आये। अब अध्यापक ही अपनी और बच्चों की सुविधा के लिए दो अध्यापक स्थाई - अस्थाई रूप में मीडिया के माध्यम से सिस्टम से मांग रहे हैं। अब देखना है कि गहरी नींद में सोये हुए सिस्टम को देश के भविष्य की कोई चिंता होती है या फिर सपनों के मकड़जाल में उलझे बच्चे। इसी तरह सिस्टम की बेकारी - लाचारी के चलते स्कूल छोड़ देंगे। नूंह में ड्राप आउट को शिक्षा विभाग और डीसी तक चिंता का विषय मानते हैं , लेकिन हुजूर अगर आप इस तरह के इंतजाम सरकारी स्कूलों में बच्चों को दे रहे हैं , तो बोर्ड की परीक्षाओं में उनका नतीजा क्या होगा और स्कुल छोड़ने उनके सामने दूसरा रास्ता क्या होगा। सरकारें नूंह जिले के विकास और शिक्षा को लेकर बहुत लम्बे चौड़े भाषण देती रही हैं , लेकिन हकीकत आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं। हां इतना जरूर है कि स्कूलों के भवन और रखरखाव को देखकर अब सुधार देखने को जरूर मिल रहा है। बिजली - पानी तथा शौचालय का इंतजाम तो अध्यापकों ने जैसे - तैसे करा दिया , लेकिन नूंह जिले को सक्षम बनाने और नेताओं हजूरी करने वाले बीईओ को बच्चों की हकीकत जानकर लज्जा जरूर आनी चाहिए।
बाइट;- गजे सिंह मुख्याध्यापक मिडिल स्कूल फिरोजपुर मेव
बाइट;- महेश कुमार हैडमास्टर प्राईमरी स्कूल फिरोजपुर मेव
बाइट;- अंकित छात्र
-बाइट; - मनीषा छात्रा
संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात
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