नूंह: तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर देशभर के 500 किसान संगठनों के द्वारा बनाए गए किसान संयुक्त मोर्चा में कोर कमेटी के सदस्य एवं पूर्व सांसद हन्नान मौला ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर पत्रकारों से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि केंद्र की सरकार किसानों से जीत नहीं पाई तो मामले को सुप्रीम कोर्ट में लेकर कोर्ट की आड़ लेकर मोदी सरकार किसानों को हराना चाहा रही है.
उन्होंने कहा कि कोर्ट से उम्मीद थी कि इमानदारी से गरीबों के हक में फैसला करेगा, लेकिन दुख की बात ये है कि कानूनों को रद्द नहीं किया, बल्कि स्थगित किया है. पूर्व सांसद ने कहा कि सरकार की मंशा थी कि किसान इसके बाद घर चला जाएगा. उसके बाद कमेटी बनाई जाएगी.
'सरकार ने लिया सुप्रीम कोर्ट का सहारा'
हन्नान ने कहा कि साल भर बाद कमेटी बात करेगी. उससे कोई रास्ता निकलेगा नहीं और सरकार जीत जाएगी. कुल मिलाकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसले भले ही तीनों कानूनों पर फिलहाल रोक लगाने का आदेश दिया हो, लेकिन किसान संगठन अभी भी घर लौटने का नाम नहीं ले रहे हैं. पत्रकारों से बातचीत के दौरान किसान नेता हन्नान मौला ने कहा कि देश की राजधानी दिल्ली को घेरने के लिए कई जगह पर धरना चल रहे हैं.
मंगलवार को राजस्थान -हरियाणा की सीमा सुनहेड़ा में एक नए पड़ाव की शुरुआत की है. जिसके लिए इस इलाके के किसान बधाई के पात्र हैं. सरकार आंदोलन को लंबा खींचना चाहती है. 9 दौर की मीटिंग अब तक हो चुकी है. सरकार किसानों को हटाना चाहती है, किसान मर जाएंगे, लेकिन कानून रद्द हुए बिना वापस नहीं जाएंगे. किसान जीतकर ही वापस घर लौट जाएगा.
'26 जनवरी को किसान करेंगे ट्रैक्टर मार्च'
उन्होंने कहा कि फिलहाल 700 जिलों में जिला उपायुक्त कार्यालय का घेराव चल रहा है. आगामी 23,24, 25 जनवरी को राज्यपाल का घेराव सभी जगह किया जाएगा. किसान नेता ने राज्यपालों को प्रधानमंत्री मोदी का एजेंट तक कह दिया. आगामी 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर सुबह के समय राष्ट्रीय परेड होगी और दोपहर बाद किसानों की परेड होगी.
एसएचओ पुन्हाना संतोष कुमार ने पत्रकारों को बताया कि किसान बॉर्डर से दिल्ली कूच करना चाहते थे, लेकिन जब उनको रोका गया तो उन्होंने यहीं पर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया. उन्होंने कहा कि हरियाणा पुलिस के जवानों के अलावा सीआरपीएफ के जवान पूरी तरह से मुस्तैद है और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है. किसान नेताओं से घर लोड जाने के लिए भी पुलिस प्रशासन ने बातचीत की है, लेकिन एक किसान नेता घर लौटने की बजाय प्रदर्शन कर रहे हैं. अब उनका खुद का फैसला है कि वह घर लौटेंगे या फिर शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन करेंगे, लेकिन किसानों को किसी सूरत में भी दिल्ली कूच नहीं करने दिया जाएगा.