नूंह: हरियाणा के नूंह जिले में भगवान शिव के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं. वहीं, इस जिले में एक ऐसा शिव मंदिर है, जिसके लेकर मान्यता है कि यहां पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान भोलेनाथ की तपस्या की थी, जिसके बाद शिवलिंग के रूप में विराजमान होकर भोलेनाथ ने पांडवों को दर्शन दिए थे. यह मंदिर नूंह जिले के फिरोजपुर झिरका शहर से करीब 4-5 किलोमीटर दूर अरावली पर्वत की वादियों में है. मान्यता है कि लगभग 5000 वर्ष पुराना झिरकेश्वर मंदिर अपने अंदर पौराणिक इतिहास को समेटे हुए है. यही वजह है कि सावन के हर सोमवार पर इस मंदिर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. आज हम इसी मंदिर के बारे में आपको बताने जा रहे हैं.
पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान बिताया था समय!: पौराणिक मान्यता है कि, पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहां पर समय बिताया था. मान्यता के अनुसार, लाक्षा गृह से निकलकर जब पांडव विराटनगर राजस्थान जा रहे थे तो यहीं उन्होंने एक गुफा में समय बिताया था. पांडवों ने यहीं पर महादेव की तपस्या की. जिसके बाद, महादेव ने शिवलिंग के रूप में पांडवों को दर्शन दिए. उस समय यहां पानी नहीं था तो पानी के लिए वरदान दिया. मान्यता है कि, उसी समय से यहां पर जमीन से अपने आप पानी निकलता है और दूर तक बहता है. इसी पानी की वजह से पहाड़ पर हरियाली दिखाई देती है. इसी पानी से धोबी समाज के लोग कपड़े धोकर अपनी आजीविका चलाते आ रहे हैं. कहते हैं कि, झरने की वजह से ही फिरोजपुर झिरका शहर का नाम झिरका पड़ा.
मंदिर को लेकर मान्यता: इतिहासकार का कहना है कि 1876 में पंडित जीवन लाल शर्मा फिरोजपुर झिरका में अंग्रेजी हुकूमत के समय तहसीलदार थे, उन्हें स्वप्न दिखाई दिया, कि भोलेनाथ यही विराजमान हैं. स्वप्न के आधार पर तत्कालीन तहसीलदार ने अपने कर्मचारियों से खोज कराई, लेकिन 3 दिन की खोज के बाद भी कर्मचारी किसी नतीजे तक नहीं पहुंच पाए. इसके 8-10 दिन बाद तहसीलदार जीवन लाल को फिर सपना आया कि जिस जगह पर पानी निकल रहा है, भगवान भोलेनाथ वहीं विराजमान हैं. कर्मचारी वहां पर पहुंचे तो उन्हें कुछ ग्वाले मिले, वहां से अरावली पर्वत में एक गुफा दिखाई दी. जब जीवन लाल वहां पहुंचे तो सपने में दिखी जगह वहीं पर मिली. वहां पर साफ-सफाई करने पर महादेव विराजमान मिले. इसके बाद पंडित जीवन लाल शर्मा ने सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और यहीं पर कुछ समय बिताया.
मंदिर में पूजा करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति: सबसे पहले पंडित जीवन लाल ने अपने निजी कोष से शिखर बनवाया. उनको कोई संतान नहीं थी. शिखर बनवाने के एक साल बाद उनको पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. समय बीतता गया और मंदिर का प्रांगण बड़ा होता चला गया. साल 1970 में फिरोजपुर झिरका शहर के लोगों के द्वारा एक ट्रस्ट बनाया गया, जिसमें मंदिर की देखरेख से लेकर उसके विकास पर ध्यान दिया. पिछले करीब 18 सालों से फिरोजपुर झिरका शहर के अनिल गोयल शिव मंदिर विकास समिति फिरोजपुर झिरका की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.
सोमवार को लगता है भक्तों का तांता: हर सोमवार को यहां श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं. मंदिर परिसर में शिवरात्रि के अवसर पर मेला लगता है. हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली समेत कई राज्यों से श्रद्धालु आकर मन्नत मांगते हैं. मंदिर समिति प्रधान अनिल गोयल का कहना है कि जिनको पुत्र रत्न की प्राप्ति नहीं होती या बच्चों की शादी नहीं होती, ऐसे लोग बड़ी संख्या में आकर यहां मन्नत मांगते हैं. इसलिए यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.
यहां बरसती है भोलेनाथ की कृपा : सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर परिसर में सैकड़ों बंदर हैं और मधुमक्खी के दर्जनों छत्ते हैं, लेकिन आज तक मधुमक्खियों और बंदरों ने किसी पर हमला नहीं किया. श्रद्धालुओं का कहना है कि यहां पूरी तरह से मन को शांति मिलती है. पांडव कालीन झिरकेश्वर मंदिर में न केवल श्रद्धालुओं की मुराद पूरी होती है, बल्कि इलाके के लोग एक पर्यटक स्थल के रूप में भी यहां घूमने आते हैं.
कई मुख्यमंत्री और नेता मंदिर में कर चुके हैं पूजा-अर्चना: झिरकेश्वर मंदिर का इतिहास बेहद पौराणिक है. पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल ने सबसे पहले इस मंदिर परिसर में पानी की कमी को दूर करने के लिए बोरवेल लगवाया था. बंसीलाल ने महज 3 दिन में 4-5 किलोमीटर दूरी पर फिरोजपुर झिरका से बिजली की व्यवस्था मंदिर परिसर में कराई थी. इसके अलावा हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला या फिर मौजूदा मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी इस मंदिर समिति की किसी न किसी रूप में मदद जरूर की है. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, हरियाणा सरकार में दिग्गज मंत्री राव नरबीर सिंह जैसे कई राजनेता अपने चुनावी अभियान की शुरुआत यहां से कर चुके हैं.