नूंह: चार दिन बाद मुसलमानों का पवित्र त्यौहार ईद उल फितर है. ईदगाह में सिर्फ ईद उल फितर या बकरा ईद की नमाज ही सालभर में पढ़ी जाती है. इन दो बड़े त्यौहारों पर नमाज के लिए मुस्लिम समाज के लोग नए कपड़े पहनकर, परफ्यूम आदि लगाकर खुशी-खुशी ईदगाह में नमाज पढ़ने जाते हैं. ईदगाह में एक साथ हजारों-लाखों मुसलमान नमाज पढ़ देश और दुनिया की सलामती के लिए दुआ करते हैं, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से इस बार ये नजारा देश में देखने को नहीं मिलेगा.
लॉकडाउन 4.0 में केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि किसी भी धार्मिक स्थल में लोग पूजा अर्चना या नमाज आदि के लिए इकट्ठे नहीं होंगे. इसलिए इस बार ईद की नमाज पर ईदगाह में रौनक दिखाई नहीं देगी. ईदगाह को ईद से पहले पेंट, सफेदी के अलावा झाड़ू आदि लगाकर पूरी तरह साफ-सुथरा किया जाता है.
इस बार ईदगाह में कोई तैयारी दिखाई नहीं दे रही है. कस्बे के अलावा आसपास के गांव बड़ी तादाद में ईद की नमाज पढ़ने आते हैं. इसलिए ईदगाह को पहले से ही साफ-सुथरा किया जाता है, लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से मुस्लिम समाज के लोग अपने घरों में ही नमाज अदा करेंगे. मुस्लिम समाज के लोगों ने भी अपील की है कि इस बार कोरोना महामारी से जंग जीतने के लिए लोग अपने घरों में ही ईद की नमाज अदा करें.
मुस्लिम समाज के लोग इस बात से थोड़े उदास तो जरूर है, लेकिन वो भी जानते हैं कि कोरोना महामारी में जीवित रहेंगे तो हर साल ईदगाह में ईद/बकरा ईद की नमाज अदा कर सकेंगे. अगर कोरोना महामारी की चपेट में आए और जान चली गई, तो कहीं पर भी नमाज नहीं पढ़ सकेंगे. इसी बात को ध्यान में रखते हुए मुस्लिम समाज के लोग पूरी समझदारी दिखा रहे हैं.