नूंह: पुरातत्व विभाग हरियाणा सरकार एवं नूंह जिले के प्रशासनिक सचिव वरिष्ठ आईएएस अशोक खेमका 2 दिन के मेवात दौरे पर हैं. आईएएस अशोक खेमका ने गुरुवार को नूंह जिले की तावडू व अनाज मंडी नूंह का दौरा किया. तावडू और नूंह शहर की अनाज मंडी में आईएएस अशोक खेमका के दौरे के दौरान जिला उपायुक्त प्रदीप दहिया सहित तमाम आला अधिकारी मौजूद रहे. अनाज मंडियों के निरीक्षण के बाद उन्होंने दोपहर बाद करीब 2 घंटे तक जिले के तमाम विभागों के आला अधिकारियों के साथ बैठक की और जिले को विकास की गति पर लाने के लिए जरूरी दिशा निर्देश दिए.
मीडिया से बातचीत के दौरान एसीएस अशोक खेमका ने कहा कि सरकार प्रतिबद्ध है कि एमएसपी पर उनकी समूची फसल खरीद की जाएगी. उन्होंने कहा कि किसान भाइयों से गुजारिश है कि पोर्टल पर अपनी फसल का रजिस्ट्रेशन करें और उसके बदले में गेहूं के प्रति क्विंटल 2125 रुपए उनके खाते में आएंगे.
अशोक खेमका ने कहा कि अनाज मंडियों में निरीक्षण के दौरान छोटी-मोटी खामियां मिली हैं. उन्हें जल्द ही सुधार देखने को मिलेगा. कोई बड़ी खामी तावडू तथा अनाज मंडी नूंह में उन्हें निरीक्षण के दौरान नहीं मिली है. आपको बता दें कि वरिष्ठ आईएएस अशोक खेमका हरियाणा में अपने बयानों के लिए जाने जाते हैं. इसी के चलते उनका बार-बार तबादला हो जाता है. लेकिन, पिछले कुछ दिनों से वरिष्ठ आईएएस अशोक खेमका के तेवर ढीले पड़े हैं.
कुल मिलाकर अशोक खेमका के दौरे को लेकर जिले के तमाम अधिकारी पूरी तरह से अलर्ट दिखे. अनाज मंडी नूंह व तावडू तथा उनके दौरे के दौरान हैफेड, मार्केट कमेटी, कृषि विभाग सहित अन्य विभागों के अधिकारी पूरी तरह से अलर्ट दिखाई दिए. किसानों के अधिकारियों के साथ बातचीत करते हुए एसीएस अशोक खेमका ने कहा कि किसानों की फसल की रकम का एक तिहाई आमद माना जाए और दो तिहाई रकम को किसान की फसल खर्च के रूप में देखा जाए. ताकि उसका बीपीएल राशन कार्ड कटने से बच सके.
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खेमका ने कहा कि इस बारे में वह सरकार से भी बातचीत करेंगे और इसका कोई ना कोई समाधान निकालने की हर संभव कोशिश की जाएगी. एसएस खेमका ने भारतीयों किसानों से बातचीत के दौरान पूछा कि पोर्टल पर किसान रजिस्ट्रेशन कराने के बजाय सीधे अनाज मंडियों में अपनी फसल क्यों बेच रहे हैं. बातचीत के दौरान यह बात सामने आई कि किसान दो-तीन लाख रुपए से ज्यादा रकम अगर अपने खाते में दर्शाता है. तो उसका बीपीएल राशन कार्ड कटने का खतरा रहता है. इसीलिए वह पोर्टल पर अपनी फसल का रजिस्ट्रेशन कराने से कतराते हैं और उसे ओने पौने दाम पर सीधे आढ़ती को बेचता है.