नूंह: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है. हर वर्ग और क्षेत्र के लोग इस महामारी से बूरी तरह प्रभावित हुए हैं. वहीं अगर हम बात सरकारी स्कूलों में मिलने वाले मिड-डे-मील की करें, तो वहां स्थिति कुछ बेहतर दिखती है. छात्रों को कोरोना काल में भी राशन दिया जा रहा है. इसके लिए विभाग ने खुद स्कूल अध्यापकों की ड्यूटी लगाई है जो घर-घर जाकर बच्चों को सूखा राशन देने का काम रहे हैं.
जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि जिले के हर स्कूल के अध्यापक की ड्यूटी लगाई गई है, जो घर-घर जाकर छात्रों तक राशन पहुंचाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि जिन छात्रों के घर राशन नहीं पहुंच पा रहा है, उनको 800 रुपये प्रति महीना आर्थिक सहायता दी जा रही है.
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छात्र लखन ने हमारी टीम को बताया कि जब से लॉकडाउन लगा है तभी से वो घर पर ऑनलाइन एजुकेशन ले रहा है. लखन ने बताया कि पहले तो स्कूल में पका पकाया भोजन मिलता था, लेकिन अब लॉकडाउन की वजह से स्कूल घर पर ही राशन पहुंचाने का काम कर रहा है. इसके साथ-साथ 800 रुपये की सहायता भी दी जा रही है.
छात्र की अभिभावक ने बताया कि स्कूल के अध्यापक ही घर पर सूखा राशन लेकर आते हैं. इसके साथ-साथ छात्रों को कुछ कीताबें भी मुहैया करवाई गई हैं. उन्होंने बताया कि मिड-डे-मील के तहत छात्रों का दूध भी घर पहुंचाया जा रहा है. इसके साथ-साथ शिक्षा विभाग ने उन्हें आर्थिक सहायता भी दे रहा है.
कुल मिलाकर कोरोना काल में भी छात्रों को घर-घर राशन पहुंचाकर शिक्षा विभाग ने बड़ा ही नेक काम किया है. भले ही छात्रों को पका हुआ भोजन ना मिला हो, लेकिन सूखा राशन पहुंचाकर गरीब परिवारों के इन बच्चों को किसी प्रकार की कोई तकलीफ नहीं होने दी गई.