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घटते भूजल से परेशान किसान ने लगाया बेर का बाग, अब एक एकड़ से कमा रहा 80 हजार रुपये

नूंह में पानी की कमी होने की वजह से किसान परंपरागत खेती को छोड़कर दूसरे रास्ते अपना रहे हैं. बेर और अमरूद के बाग लगाकर किसान दोगुना मुनाफा कमा रहे हैं. आप भी इन बातों का ध्यान रख मोटा मुनाफा कमा सकते हैं.

Plum Garden Nuh
Plum Garden Nuh
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Published : Oct 28, 2021, 5:15 PM IST

नूंह: मंढी गांव (Mandi Village Nuh) में लंबे समय से पीने के पानी की किल्लत (water problem nuh) चल रही है. यहां भूजल बेहद गहरा और खारा है. जिसकी वजह से आमजन को रोजर्मरा की चीजों में परेशानी तो होती ही है, साथ में किसानों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जल की कमी से उनकी फसलों की पैदावार पर असर पड़ता है. इन्हीं सब चीजों से परेशान नूंह के किसान तैयब ने दूसरे किसानों के लिए मिसाल पेश की है.

किसान तैयब ने अपनी अथक मेहनत और लगन से बंजर भूमि में बेर का बाग (Plum Garden Nuh) लगाया है. इससे पानी की बचत होती ही है साथ में आमदन भी अच्छी हो रही है. इस मुनाफे को देखते हुए 3 एकड़ के बेर बाग को बढ़ाकर किसान तैयब ने 6 एकड़ तक कर दिया है. किसान के मुताबिक प्रति एकड़ तकरीबन 1 लाख रुपए के बेर बिक जाते हैं. जिस पर करीब 20,000 की लागत आती है, तो सीधा 80 हजार का मुनाफा किसान कमा रहा है.

घटते भूजल से परेशान किसान ने लगाया बेर का बाग, अब एक एकड़ से कमा रहा 80 हजार रुपये

जिला बागवानी अधिकारी डॉक्टर दीन मोहम्मद ने बताया कि नूंह में 93 एकड़ भूमि में बेर के नए बाग लगाए गए हैं, जबकि 267 एकड़ भूमि में पहले से ही बेर के बाग नूंह जिले में लगाए गए हैं. दीन मोहम्मद ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान बताया कि बागवानी विभाग किसान को बेर का बाग लगाने पर 40% अनुदान राशि देता है.

उन्होंने कहा कि पहले साल 3400, दूसरे और तीसरे साल 1700 रुपये खाद-दवाई के लिए बागवानी विभाग मदद करता है. उन्होंने कहा कि 3 साल बाद बेर आने शुरू हो जाते हैं. जिससे किसान को लगातार आमदनी होती रहती है. डॉक्टर दीन मोहम्मद ने बताया कि मढ़ी व जाटका गांव के अलावा कई गांव ऐसे हैं जहां पीने तक का पानी नहीं है और किसान टैंकरों से 700 रुपये प्रति टैंकर पानी खरीद कर बेर के बाग में सिंचाई कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि इसके लिए पानी की जरूरत कम होती है. इसलिए बेर और अमरूद से बाग से किसानों को अच्छी आमदन हो रही है.

Plum Garden Nuh
मुनाफे को देखते हुए किसान ने बाग को बढ़ाकर 3 से 6 एकड़ कर दिया है.

ये भी पढ़ें- पलवल की ये खास मूंग 60 दिन में बना देती है लखपति, दिल्ली एनसीआर की पहली पसंद

उन्होंने कहा कि गर्मी के सीजन में भी बेर और अमरुद के पौधे को ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती. डॉक्टर दीन मोहम्मद ने बताया कि नूंह जिले से गुरुग्राम कैनाल गुजरती है. जिसमें केमिकल मिला हुआ पानी आता है. जिसका रंग बिल्कुल काला होता है. उससे फसलों का उत्पादन बढ़ने की जगह उल्टा कम हो जाता है. अब नूंह के किसानों का रुझान बाग की खेती की तरफ हो रहा है. बागवानी अधिकारी ने किसानों से आग्रह किया कि जिस भूमि में पानी की कमी है या फसल अच्छी नहीं होती है तो वहां बेर या अमरूद के बाग लगाकर किसान आमदनी को 2 गुणा बढ़ा सकता है.

नूंह: मंढी गांव (Mandi Village Nuh) में लंबे समय से पीने के पानी की किल्लत (water problem nuh) चल रही है. यहां भूजल बेहद गहरा और खारा है. जिसकी वजह से आमजन को रोजर्मरा की चीजों में परेशानी तो होती ही है, साथ में किसानों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जल की कमी से उनकी फसलों की पैदावार पर असर पड़ता है. इन्हीं सब चीजों से परेशान नूंह के किसान तैयब ने दूसरे किसानों के लिए मिसाल पेश की है.

किसान तैयब ने अपनी अथक मेहनत और लगन से बंजर भूमि में बेर का बाग (Plum Garden Nuh) लगाया है. इससे पानी की बचत होती ही है साथ में आमदन भी अच्छी हो रही है. इस मुनाफे को देखते हुए 3 एकड़ के बेर बाग को बढ़ाकर किसान तैयब ने 6 एकड़ तक कर दिया है. किसान के मुताबिक प्रति एकड़ तकरीबन 1 लाख रुपए के बेर बिक जाते हैं. जिस पर करीब 20,000 की लागत आती है, तो सीधा 80 हजार का मुनाफा किसान कमा रहा है.

घटते भूजल से परेशान किसान ने लगाया बेर का बाग, अब एक एकड़ से कमा रहा 80 हजार रुपये

जिला बागवानी अधिकारी डॉक्टर दीन मोहम्मद ने बताया कि नूंह में 93 एकड़ भूमि में बेर के नए बाग लगाए गए हैं, जबकि 267 एकड़ भूमि में पहले से ही बेर के बाग नूंह जिले में लगाए गए हैं. दीन मोहम्मद ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान बताया कि बागवानी विभाग किसान को बेर का बाग लगाने पर 40% अनुदान राशि देता है.

उन्होंने कहा कि पहले साल 3400, दूसरे और तीसरे साल 1700 रुपये खाद-दवाई के लिए बागवानी विभाग मदद करता है. उन्होंने कहा कि 3 साल बाद बेर आने शुरू हो जाते हैं. जिससे किसान को लगातार आमदनी होती रहती है. डॉक्टर दीन मोहम्मद ने बताया कि मढ़ी व जाटका गांव के अलावा कई गांव ऐसे हैं जहां पीने तक का पानी नहीं है और किसान टैंकरों से 700 रुपये प्रति टैंकर पानी खरीद कर बेर के बाग में सिंचाई कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि इसके लिए पानी की जरूरत कम होती है. इसलिए बेर और अमरूद से बाग से किसानों को अच्छी आमदन हो रही है.

Plum Garden Nuh
मुनाफे को देखते हुए किसान ने बाग को बढ़ाकर 3 से 6 एकड़ कर दिया है.

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उन्होंने कहा कि गर्मी के सीजन में भी बेर और अमरुद के पौधे को ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती. डॉक्टर दीन मोहम्मद ने बताया कि नूंह जिले से गुरुग्राम कैनाल गुजरती है. जिसमें केमिकल मिला हुआ पानी आता है. जिसका रंग बिल्कुल काला होता है. उससे फसलों का उत्पादन बढ़ने की जगह उल्टा कम हो जाता है. अब नूंह के किसानों का रुझान बाग की खेती की तरफ हो रहा है. बागवानी अधिकारी ने किसानों से आग्रह किया कि जिस भूमि में पानी की कमी है या फसल अच्छी नहीं होती है तो वहां बेर या अमरूद के बाग लगाकर किसान आमदनी को 2 गुणा बढ़ा सकता है.

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