नूंह: जिले के पिनगवां कस्बे में पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. पिछले काफी लंबे समय से गांव को लोग पीने के पानी को तरस गए हैं. जिन लोगों के पास पैसा है वो तो पानी खरीदकर पी लेते हैं, लेकिन जो लोग करीब हैं, वो खारा पानी पीने को मजबूर हैं. इस खारे पाने के लिए भी महिलाओं को हर रोज कई-कई किलोमीटर तक मटका लेकर जाना पड़ता है. ऐसे तपती धूप में इन महिलाओं का अधिकतर समय तो घर परिवार के लिए पानी की व्यवस्था में ही निकल जाता है.
सरकार ने करीब 16 साल पहले नूंह के 503 गांवों की प्यास बुझाने के लिए राजीव गांधी पेयजल योजना की शुरुआत की थी, जिसके तहत पानी की पाइप लाइनें तो बिछा दी गई हैं, लेकिन जन स्वास्थ्य विभाग पानी देना भूल गया. जिसकी वजह से यहां के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. यहां की स्थानीय महिलाओं का आरोप है कि पानी छोड़ने वाले कर्मचारी अपनी मनमानी करते हैं. ये कर्मचारी कई-कई दिन तक पानी नहीं छोड़ता. अगर छोड़ते भी हैं तो रात में करीब 2 बजे. ऐसे में दिनभर की हारी थकी महिलाएं सोएं या पानी भरें. जिसको लेकर महिलाएं काफी नाराज हैं.
हरियाणा सरकार लगातार विकास के कसीदे तो पढ़ रही है, लेकिन लोगों को पीने का पानी तक मुहैया नहीं करा पा रही है. सरकार ने लोगों को पानी देने के लिए नल से जल देने जैसी तमाम योजनाएं शुरू की हैं. इन योजनाओं के बाद भी यहां के लोग साफ पानी को तरस रहे हैं. इन महिलाओं की दुर्दशा को देखकर तो लगता है कि सरकार की तमाम योजनाएं ठंडे बस्ते में जा रही हैं.
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