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पानी की किल्लत से जूझ रहे नूंह के 32 स्कूल, थैलियां खरीदकर प्यास बुझाते हैं बच्चे - नूंह न्यूज

मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र नूंह के सरकारी से लेकर निजी स्कूलों में स्वच्छ पेयजल के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं. हालात ये हैं कि बच्चों को घरों से बोतलों में पानी भरकर लाना पड़ता है. यहीं नहीं जब स्कूल में बोतल का पानी खत्म हो जाता है तो बच्चों को आधी छुट्टी में पानी की थैलियां खरीदकर अपनी प्यास बुझानी पड़ती है.

drinking water crisis in schools of nuh haryana
नूंह के स्कूलों में पानी की भारी किल्लत, थैलियां लेकर बच्चे बुझा रहे हैं प्यास
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Published : Oct 21, 2020, 5:39 PM IST

Updated : Oct 21, 2020, 5:57 PM IST

नूंहः आजादी के 70 साल बाद भी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से महज 70 किलोमीटर दूरी पर बसा हरियाणा का नूंह जिला पानी की किल्लत झेल रहा है. सरकारी स्कूलों में तो दूर जिले के निजी स्कूलों में भी स्वच्छ पेयजल के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं. हालात ये हैं कि बच्चों को घरों से बोतलों में पानी भरकर लाना पड़ता है.

नूंह के स्कूलों में पानी की भारी किल्लत, थैलियां लेकर बच्चे बुझा रहे हैं प्यास

यहीं नहीं जब स्कूल में बोतल का पानी खत्म हो जाता है तो बच्चों को आधी छुट्टी में पानी की थैलियां खरीदकर अपनी प्यास बुझानी पड़ती है. कक्षा दसवीं में पढ़ने वाली छात्रा प्रिया का कहना है कि

प्रशासन द्वारा उनके स्कूल में पीने के पानी के कोई इंतजाम नहीं है. नजीजन उन्हें घरों से बोतल में पीने का पानी लाना पड़ता है. यही नहीं और जब उनका बोतल का पानी खत्म हो जाता है तो वो आधी छुट्टी में या तो घर जाती हैं या फिर पानी की थैलियां खरीदती हैं.

पीने के लायक नहीं है पानी

मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र नूंह के कुछ स्कूलों में पंचायत और सरपंच की मदद से भूमिगत टैंक बनवाए गए हैं. जिनमें 1 हजार रुपये का टैंकर का पानी हर सप्ताह डलवाया जाता है. बात अगर नगीना खंड की करें तो इस गांव के तकरीबन 60 गांव में भूजल बेहद गहरा और खारा है. इन गांवों में पानी पीने योग्य तो दूर पेड़ पौधों के लायक भी नहीं है. स्कूल में शिक्षक के पद पर तैनात मुकेश जैन बताते हैं कि

स्कूल में बच्चे मूलभूत सेवा के अभाव में पढ़ाई कर रहे हैं. बार-बार शिकायत करने के बाद भी प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. जिसके चलते पंचायत और ग्रामीणों ने मिलकर स्कूल में प्लास्टिक की टंकी लगवाई है. साथ ही एक छोटा वॉटर कूलर भी लगवाया है ताकि बच्चों को ज्यादा समस्या ना हो.

छात्राओं की मांग

छात्रा मंजू और शिल्पी ने भी सरकार से उनके स्कूल में जल्द से जल्द पानी मुहैया करवाने की मांग की है. कक्षा 9वीं की छात्रा मंजू बताती हैं कि उनके स्कूल में पानी की पहले की कमी है और जो थोड़ा बहुत पानी मिलता भी है तो वो भी गंदा होता है. पानी की टंकी साफ नहीं होने के चलते पानी में गंदगी हो जाती है.

drinking water crisis in schools of nuh haryana
वॉटर कुलर बने शोपीस

ये भी पढ़ेंः अनलॉक के साथ जींद की हवा में फिर घुला जहर, AQI पहुंचा 290 के पार

लिखित में दी शिकायत

स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के चेयरमैन डॉ फखरुद्दीन ने कहा है कि उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी को इस बारे में अवगत कराया है. उन्होंने बताया कि

पिनगवां कस्बे के सरकारी स्कूलों की अगर बात करें तो सरकारी छोड़िए यहां के प्राइवेट स्कूलों में भी साफ पानी का इंतजाम नहीं है. स्कूल मैनेजमेंट ने ही ग्राम पंचायत की मदद से प्लास्टिक की पानी की टंकी और वाटर कूलर का इंतजाम करवाया है. लेकिन पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं होने की वजह से ये भी केवल शोपीस बनकर रह गए हैं.

आज भी 32 स्कूलों को नहीं मिला पानी

3 साल पहले किए गए सर्वे के मुताबिक नूंह जिले के 72 स्कूल ऐसे थे जहां पीने के पानी की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं थी. हालांकि शिक्षा अधिकारियों का कहना है कि आज ये आंकड़ा घट चुका है. लेकिन आज भी तकरीबन 32 स्कूल ऐसे हैं जिनमें पीने के पानी की किल्लत नजर आती है.

कुल मिलाकर हरियाणा राज्य के नूंह जिले के स्कूलों में पीने के पानी का कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है. सरकारें भले ही देश और प्रदेश को विकास की दिशा में ले जाने की बातें करती हों लेकिन आज भी नूंह जैसे ना जाने कितने जिले ऐसे हैं जो बुनियादी सुविधाओं के अभाव से जूझ रहे हैं.

नूंहः आजादी के 70 साल बाद भी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से महज 70 किलोमीटर दूरी पर बसा हरियाणा का नूंह जिला पानी की किल्लत झेल रहा है. सरकारी स्कूलों में तो दूर जिले के निजी स्कूलों में भी स्वच्छ पेयजल के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं. हालात ये हैं कि बच्चों को घरों से बोतलों में पानी भरकर लाना पड़ता है.

नूंह के स्कूलों में पानी की भारी किल्लत, थैलियां लेकर बच्चे बुझा रहे हैं प्यास

यहीं नहीं जब स्कूल में बोतल का पानी खत्म हो जाता है तो बच्चों को आधी छुट्टी में पानी की थैलियां खरीदकर अपनी प्यास बुझानी पड़ती है. कक्षा दसवीं में पढ़ने वाली छात्रा प्रिया का कहना है कि

प्रशासन द्वारा उनके स्कूल में पीने के पानी के कोई इंतजाम नहीं है. नजीजन उन्हें घरों से बोतल में पीने का पानी लाना पड़ता है. यही नहीं और जब उनका बोतल का पानी खत्म हो जाता है तो वो आधी छुट्टी में या तो घर जाती हैं या फिर पानी की थैलियां खरीदती हैं.

पीने के लायक नहीं है पानी

मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र नूंह के कुछ स्कूलों में पंचायत और सरपंच की मदद से भूमिगत टैंक बनवाए गए हैं. जिनमें 1 हजार रुपये का टैंकर का पानी हर सप्ताह डलवाया जाता है. बात अगर नगीना खंड की करें तो इस गांव के तकरीबन 60 गांव में भूजल बेहद गहरा और खारा है. इन गांवों में पानी पीने योग्य तो दूर पेड़ पौधों के लायक भी नहीं है. स्कूल में शिक्षक के पद पर तैनात मुकेश जैन बताते हैं कि

स्कूल में बच्चे मूलभूत सेवा के अभाव में पढ़ाई कर रहे हैं. बार-बार शिकायत करने के बाद भी प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. जिसके चलते पंचायत और ग्रामीणों ने मिलकर स्कूल में प्लास्टिक की टंकी लगवाई है. साथ ही एक छोटा वॉटर कूलर भी लगवाया है ताकि बच्चों को ज्यादा समस्या ना हो.

छात्राओं की मांग

छात्रा मंजू और शिल्पी ने भी सरकार से उनके स्कूल में जल्द से जल्द पानी मुहैया करवाने की मांग की है. कक्षा 9वीं की छात्रा मंजू बताती हैं कि उनके स्कूल में पानी की पहले की कमी है और जो थोड़ा बहुत पानी मिलता भी है तो वो भी गंदा होता है. पानी की टंकी साफ नहीं होने के चलते पानी में गंदगी हो जाती है.

drinking water crisis in schools of nuh haryana
वॉटर कुलर बने शोपीस

ये भी पढ़ेंः अनलॉक के साथ जींद की हवा में फिर घुला जहर, AQI पहुंचा 290 के पार

लिखित में दी शिकायत

स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के चेयरमैन डॉ फखरुद्दीन ने कहा है कि उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी को इस बारे में अवगत कराया है. उन्होंने बताया कि

पिनगवां कस्बे के सरकारी स्कूलों की अगर बात करें तो सरकारी छोड़िए यहां के प्राइवेट स्कूलों में भी साफ पानी का इंतजाम नहीं है. स्कूल मैनेजमेंट ने ही ग्राम पंचायत की मदद से प्लास्टिक की पानी की टंकी और वाटर कूलर का इंतजाम करवाया है. लेकिन पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं होने की वजह से ये भी केवल शोपीस बनकर रह गए हैं.

आज भी 32 स्कूलों को नहीं मिला पानी

3 साल पहले किए गए सर्वे के मुताबिक नूंह जिले के 72 स्कूल ऐसे थे जहां पीने के पानी की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं थी. हालांकि शिक्षा अधिकारियों का कहना है कि आज ये आंकड़ा घट चुका है. लेकिन आज भी तकरीबन 32 स्कूल ऐसे हैं जिनमें पीने के पानी की किल्लत नजर आती है.

कुल मिलाकर हरियाणा राज्य के नूंह जिले के स्कूलों में पीने के पानी का कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है. सरकारें भले ही देश और प्रदेश को विकास की दिशा में ले जाने की बातें करती हों लेकिन आज भी नूंह जैसे ना जाने कितने जिले ऐसे हैं जो बुनियादी सुविधाओं के अभाव से जूझ रहे हैं.

Last Updated : Oct 21, 2020, 5:57 PM IST
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