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Nuh Violence: नूंह में हिंसा के बाद बुलडोजर कार्रवाई से लोगों को करोड़ों का नुकसान, अब सरकार से कर रहे ये मांग

हरियाणा के नूंह में हुई हिंसा के बाद बुलडोजर कार्रवाई से परेशान नूंह के लोग सरकार से न्याय की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि जिला प्रशासन की बुलडोजर कार्रवाई की वजह से उनको करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है. तोड़फोड़ के शिकार हुए लोग अब सरकार से मुआवजा मांग रहे हैं.

Bulldozer action on Medical shops in Nuh
नूंह में बुलडोजर कार्रवाई
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Published : Aug 10, 2023, 6:16 PM IST

सरकार से न्याय की मांग कर रहे स्थानीय

नूंह: हरियाणा के नूंह जिले में हुई हिंसा के बाद प्रशासन ने बुलडोजर चलाकर कई घरों को तोड़ दिया. इस दौरान कई दुकानों पर भी तोड़फोड़ की गई. बाद में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर स्टे लगा दिया. लेकिन जब तक कोर्ट का स्टे ऑर्डर आता, तब तक लोगों को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हो गया. कई गरीब परिवारों का घर भी तोड़ दिया गया.

ये भी पढ़ें: Nuh Violence: हिंसा के बाद BPL परिवार के मकानों पर भी चला बुलडोजर, सुनिये उन परिवारों की गुहार

बुलडोजर कार्रवाई से राजकीय शहीद हसन खान मेवाती मेडिकल कॉलेज नल्हड़ के बाहर खानजादा अब्दुल करीम के परिवार की करीब 20 पक्की व कच्ची दुकानों को भी काफी नुकसान पहुंचा है. खानजादा अब्दुल करीम का कहना है कि ज्यादातर दुकान किराये पर दी गई थी. इसके अलावा, किरायेदारों को भी भारी नुकसान हुआ है. अब्दुल करीम का दावा है कि मेडिकल कॉलेज 94 एकड़ भूमि में बना था, वह जमीन चारागाह की थी. जिस पर उसके परिवार का भी ढाई एकड़ जमीन पर हक था. तत्कालीन उपायुक्त सीआर राणा ने सभी भूमि मालिकों की बैठक बुलाई और लोगों ने इस जमीन को मेडिकल कॉलेज के लिए दे दिया.

परिवार का दावा है कि उन्होंने ढाई एकड़ जमीन बिना मुआवजा लिए दान में दे दी थी. उनका कहना है कि उन्होंने अपनी जमीन में 15 पक्की दुकान बनाकर उन्हें किराए पर छोड़ दिया और 3 खोखा में परिवार के बच्चे लैब खोलकर अपनी आजीविका चला रहे थे. लेकिन बुलडोजर कार्रवाई के दौरान दुकानों और कच्चे आशियाने को तोड़ दिया गया. जबकि सरकार ने कोई नोटिस भी जारी नहीं किया था. उन्होंने कहा कि यहां पर सभी धर्म के लोगों में अच्छा भाईचारा है. आज से पहले कभी भी इस तरह का विवाद नहीं हुआ था.

ये भी पढ़ें: Nuh Violence Update: कांग्रेस-AAP पर रोक लेकिन BJP डेलीगेशन की नूंह में एंट्री, 11 अगस्त तक इंटरनेट सेवा बंद

वहीं अब्दुल रशीद उर्फ नवाब का कहना है कि कार्रवाई के दौरान वह अपनी जमीन के कागजात लेकर अधिकारियों के पास गया था. उसने दुकानों को नहीं तोड़ने की भी अपील की थी. अब्दुल रशीद उर्फ नवाब का आरोप है कि कार्रवाई के दौरान पुलिस उसे घसीटते हुए ले गई और 3 घंटे तक हिरासत में रखा. पुलिस ने अपशब्दों का भी इस्तेमाल किया. जब पुलिस ने नवाब को छोड़ा तब तक उसकी करोड़ों रुपये की संपत्ति जमीदोज हो चुकी थी.

स्थानीय प्रशासन द्वारा की गई बुलडोजर कार्रवाई से खानजादा परिवार बेहद परेशान है. उनका कहना है कि उनकी दुकानें पूरी तरह से वैध थी. खानजादा परिवार का कहना है कि प्रशासन ने इस जमीन पर बुलडोजर चलाकर हमारी सारी मेहनत और जीवन भर के संघर्ष को मिट्टी में मिला दिया. स्थानीय प्रशासन ने बिना कोई नोटिस दिए दंगे की आड़ में पीला पंजा चला दिया. खानजादा परिवार ने सरकार से न्याय की मांग की है.

ये भी पढ़ें: Nuh Violence Update: नूंह हिंसा में अब तक 142 FIR, 312 लोग गिरफ्तार

सरकार से न्याय की मांग कर रहे स्थानीय

नूंह: हरियाणा के नूंह जिले में हुई हिंसा के बाद प्रशासन ने बुलडोजर चलाकर कई घरों को तोड़ दिया. इस दौरान कई दुकानों पर भी तोड़फोड़ की गई. बाद में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर स्टे लगा दिया. लेकिन जब तक कोर्ट का स्टे ऑर्डर आता, तब तक लोगों को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हो गया. कई गरीब परिवारों का घर भी तोड़ दिया गया.

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बुलडोजर कार्रवाई से राजकीय शहीद हसन खान मेवाती मेडिकल कॉलेज नल्हड़ के बाहर खानजादा अब्दुल करीम के परिवार की करीब 20 पक्की व कच्ची दुकानों को भी काफी नुकसान पहुंचा है. खानजादा अब्दुल करीम का कहना है कि ज्यादातर दुकान किराये पर दी गई थी. इसके अलावा, किरायेदारों को भी भारी नुकसान हुआ है. अब्दुल करीम का दावा है कि मेडिकल कॉलेज 94 एकड़ भूमि में बना था, वह जमीन चारागाह की थी. जिस पर उसके परिवार का भी ढाई एकड़ जमीन पर हक था. तत्कालीन उपायुक्त सीआर राणा ने सभी भूमि मालिकों की बैठक बुलाई और लोगों ने इस जमीन को मेडिकल कॉलेज के लिए दे दिया.

परिवार का दावा है कि उन्होंने ढाई एकड़ जमीन बिना मुआवजा लिए दान में दे दी थी. उनका कहना है कि उन्होंने अपनी जमीन में 15 पक्की दुकान बनाकर उन्हें किराए पर छोड़ दिया और 3 खोखा में परिवार के बच्चे लैब खोलकर अपनी आजीविका चला रहे थे. लेकिन बुलडोजर कार्रवाई के दौरान दुकानों और कच्चे आशियाने को तोड़ दिया गया. जबकि सरकार ने कोई नोटिस भी जारी नहीं किया था. उन्होंने कहा कि यहां पर सभी धर्म के लोगों में अच्छा भाईचारा है. आज से पहले कभी भी इस तरह का विवाद नहीं हुआ था.

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वहीं अब्दुल रशीद उर्फ नवाब का कहना है कि कार्रवाई के दौरान वह अपनी जमीन के कागजात लेकर अधिकारियों के पास गया था. उसने दुकानों को नहीं तोड़ने की भी अपील की थी. अब्दुल रशीद उर्फ नवाब का आरोप है कि कार्रवाई के दौरान पुलिस उसे घसीटते हुए ले गई और 3 घंटे तक हिरासत में रखा. पुलिस ने अपशब्दों का भी इस्तेमाल किया. जब पुलिस ने नवाब को छोड़ा तब तक उसकी करोड़ों रुपये की संपत्ति जमीदोज हो चुकी थी.

स्थानीय प्रशासन द्वारा की गई बुलडोजर कार्रवाई से खानजादा परिवार बेहद परेशान है. उनका कहना है कि उनकी दुकानें पूरी तरह से वैध थी. खानजादा परिवार का कहना है कि प्रशासन ने इस जमीन पर बुलडोजर चलाकर हमारी सारी मेहनत और जीवन भर के संघर्ष को मिट्टी में मिला दिया. स्थानीय प्रशासन ने बिना कोई नोटिस दिए दंगे की आड़ में पीला पंजा चला दिया. खानजादा परिवार ने सरकार से न्याय की मांग की है.

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