कुरुक्षेत्र: कुरुक्षेत्र के रहने वाले अश्विनी ने अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति की बदौलत युवाओं के लिए मिसाल पेश की है. विदेश में लाखों के पैकेज को ठुकरा कर अश्विनी ने खुद का स्टार्टअप प्रारंभ किया. शुरुआत में कुछ दिक्कतें आयी लेकिन हिम्मत नहीं हारी. अपने लोगों के लिए कुछ करने की प्रबल इच्छा ने अपने राह से उन्हें डिगने नहीं दिया.
अपने मिट्टी की खातिर वतन लौटने का फैसला: कुरुक्षेत्र के मंथाना गांव के रहने वाले अश्विनी कुमार होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई के बाद आस्ट्रेलिया में सात साल तक बड़े होटल में अच्छे पैकेज पर नौकरी की. उनको वहां की नागरिकता भी मिल गयी थी लेकिन दिल में अपनी मिट्टी की खातिर कुछ करने की इच्छा उनको अपने वतन वापस लौटने को मजबूर कर दी. अश्विनी का कहना है कि विदेश में पैसा तो है लेकिन वहां इंसान सिर्फ मशीन बन कर रह जाता है. सोशल लाइफ नहीं है. उनकी इच्छा थी कि वे अपने आस पास के लोगों के लिए कुछ कर सकें. लिहाजा उन्होंने भारत लौटने का फैसला किया. उनकी सोच थी कि वे कुछ ऐसा करें जिससे खुद के साथ दूसरे लोगों के लिए भी रोजगार मुहैया करा सकें.
शुद्ध दूध के लिए खोला डेयरी फार्म: 2015 में जब अश्विनी भारत लौटे तो उन्होंने डेयरी के क्षेत्र में काम करना शुरु किया. क्योंकि वे एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे तो उन्हें लगा कि डेयरी के क्षेत्र में अच्छा कर सकते हैं. बड़े स्तर पर उन्होंने डेयरी फार्म बनाया जिसमें 80 से 90 गायें थी. अश्विनी का कहना है कि मीडिया में नकली दूध से बनी दुग्ध उत्पादों की खबर देखने पर उन्होंने सोचा कि वे लोगों को हर हालत में शुद्ध दूध देंगे. उसमें किसी तरह की मिलावट नहीं करेंगे ताकि लोगों के स्वास्थ्य साथ खिलवाड़ न हो. इसी सोच के साथ उन्होंने डेयरी फार्म खोला.
आसान नहीं था सफर: अश्विनी का सफर आसान नहीं रहा. जब उन्होंने काम की शुरुआत की तो समाज के ताने भी सुनने पड़े, लेकिन इसको अनसुना करके उन्होंने अपना काम जारी रखा. अश्विनी को इस बात का भरोसा था कि उनको सफलता अवश्य मिलेगी. अश्विनी बताते हैं कि लोग कहते थे कि अच्छी जिंदगी छोड़कर एक बार फिर से गोबर की जिंदगी जीने के लिए तुम यहां पर आ गए, तुम्हें आने वाले समय में पछताना पड़ेगा. लेकिन अश्वनी इन सब बातों से घबराए नहीं क्योंकि उन्होंने अपना टारगेट निश्चित कर रखा था उसको पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे थे.
खुद के ब्रांड की बनायी पहचान: डेयरी के काम में अश्विनी को पहले हानि भी उठानी पड़ी. दूध की शुद्धता पर जोर देने के कारण उनको मुनाफा नहीं हो रहा था. अश्विनी के अनुसार तीन-चार साल हो जाने के बाद उनको लगा कि लोग असली और नकली दूध को नहीं पहचानते सिर्फ कम दर पर दूध लेना पसंद करते हैं. ऐसे में उन्होंने खुद का स्टार्टअप स्टार्ट किया और दूध से बने उत्पादों को अपने ब्रांड से बेचना शुरू किया. केडी फ्रेश के नाम से अश्विनी ने दूध से बने प्रोडक्ट को बेचना प्रारंभ किया. उनकी सोच थी कि जैसे लोगों के घरों तक शुद्ध दूध पहुंचाया है वैसे ही दूध से बने शुद्ध प्रोडक्ट लोगों को मुहैया कराया जाए. इसके लिए उन्होंने कई जिलों में अपने आउटलेट खोले. अब उनके आउटलेट पर बड़ी संख्या में ग्राहक पहुंचते हैं. अश्विनी अपने फार्म के शुद्ध दूध से कई प्रकार की कुल्फी, आइसक्रीम, फ्लेवर दूध, दही, रबड़ी, रसमलाई, खोया, खोये की बर्फी लोगों को मुहैया कराते हैं.
लोगों को दिया रोजगार: अश्विनी ने अपने डेयरी फार्म और आउटलेट्स पर करीब 20 से अधिक लोगों को नौकरी भी दी है. उनके यहां काम करने वाले लोग भी खुश हैं. उनका जीवन यापन पहले से बेहतर ढंग से हो रहा है. उन्हें मजदूरी अच्छी मिल जा रही है. अश्विनी के आउटलेट पर काम करने वाली रीना के अनुसार जब से उसने यहां नौकरी की है उसका जीवन यापन अच्छे से हो रहा है. रीना के अनुसार पहले वह मजदूरी कर के अपने परिवार का किसी तरह पालन पोषण कर रही थी. मेहनत करने के बावजूद पैसे नहीं बच पाते थे, लेकिन जबसे उसने यहां काम करना शुरू किया है वह पैसे की बचत भी कर पा रही है.उ से यहां काम करना बहुत अच्छा लगता है. एक अन्य वर्कर बिहार निवासी पंकज के अनुसार वह अपनी मजदूरी से इतने पैसे बचा लेता है कि अपने घर भी पैसे भेज पाता है.
युवाओं को अश्विनी की सलाह: अश्विनी की युवाओं को सलाह है कि वे विदेश की चमक दमक से दूर खुद अपने देश में भी स्वरोजगार कर सकते हैं और अपना जीवन यापन बेहतर तरीके से कर सकते हैं.सरकार भी ऐसी कई योजनाएं चला रही है जो मददगार साबित हो सकती है.
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