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किस्सा हरियाणे का: महाभारत काल का वो गांव जहां कौरवों ने की थी चक्रव्युह की रचना!

ये वो गांव हैं जहां द्रोणाचार्य और कौरवों ने चक्रव्युह की रचना के लिए चुना था. इसी गांव के मुंहाने पर कर्ण वीरगति को प्राप्त हुआ. ये वही गांव है जहां ऋषि आदिति को भगवान शिव ने शिवलिंग रूप में दर्शन दिया था.

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Published : Jul 14, 2019, 3:25 AM IST

Updated : Jul 14, 2019, 3:42 AM IST

किस्सा हरियाणे का: महाभारत काल का वो गांव जहां कौरवों ने की थी चक्रव्युह की रचना!

कुरुक्षेत्र: 'किस्सा हरियाणे का' के इस एपिसोड में हम आपको लेकर चलते हैं कुरुक्षेत्र के ऐतिहासिक अमीन गांव में. इस गांव का जिक्र महाभारत में भी हुआ है. अमीन गांव. ये वहीं जगह है जहां अर्जुन के बेटे अभिन्यु को वीरगति प्राप्त हुई. इसीलिए इस गांव को अभिमन्यु पुर के नाम से जाना जाता था.

देखिए ईटीवी भारत हरियाणा की महाभारत कालीन आमीन गांव से रिपोर्ट

किले पर की गई थी चक्रव्युह की रचना!
कहा जाता है कि यहां द्रोणाचार्य ने यहां एक किले पर चक्रव्यूह रचा था. इसे अभिमन्यु किला के नाम से जाना जाता है. इस चक्रव्युह में ही अर्जुन के बेटे अभिमन्यु को वीरगति प्राप्त हुई थी. बताया ये भी जाता है कि इसी गांव के तालाब के मुहाने पर कर्ण का युद्ध करते समय रथ का पहिया धंस गया था. जिसके चलते ही कर्ण की मृत्यु हुई थी.

एपिसोड 1- किस्सा हरियाणे का: जिन्नों ने एक रात में बनाई ये मजार, जहां पूरी होती है हर मुराद

'इस कुएं से निकलता था दूध'
यहीं एक कर्णवेध नाम की एक तालाब है जहां अर्जुन ने कर्ण को युद्ध के समय मारा था. अभिमन्यु किले पर बताया जाता है कि यहां एक कुआं हुआ करता था. कहा जाता है इस कुएं से दूध निकलता था. ग्रामीणों और प्रशासन की मदद से उस कुएं को दोबारा खोज कर सफाई कर करवाई गई. इस कुएं को एक धरोहर के रूप में रखा गया है.

एपिसोड 2- किस्सा हरियाणे का: हरियाणा के ये 12 गांव कुत्ते को मानते हैं भगवान!

अजीबो-गरीब मान्याताएं भी हैं!
लोगों को मानना है कि अभिमन्यु के किले से निकली बड़ी ईंटें जिस पर हाथ के पंजे का निशान बने हैं उस ईंट को पानी में डाल कर गर्भवती महिला को प्रसव के दौरान पिलाने से प्रसव पीड़ा कम हो जाती है. कहा जाता है कि इस ईंट के पानी को पीने से बांझपन जैसी बड़ी बीमारी भी दूर हो जाती है. हालांकि ये बेहद खतरनाक है और वैज्ञानिक दृष्टि से इसे लोगों का अंधविश्वास ही कहा जा सकता है.

एपिसोड 3- किस्सा हरियाणे का: यहां लोग 22 सौ साल से एक जिन्न के खौफ में जीते हैं

गांव में है आदिति तीर्थ
इसी गांव में आदिति तीर्थ नाम से एक और धार्मिक स्थल है. जिसमें लोगों की काफी आस्था जुड़ी हुई है. बताया जाता है कि यहां ऋषि अदिति ने अट्ठारह सौ साल तपस्या की थी. ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर शंकर भगवान ने शिवलिंग रूप में दर्शन दिए थे. यहां जो कुंड बना हुआ है इसमें स्नान करने से महिला बलवान पुत्र को जन्म देती है.

एपिसोड 4- फरीदाबाद की सम्मोहन करने वाली 'डेथ वैली'! जिसने सैकड़ों लोगों को मौत की नींद सुला दिया

'ये अभिमन्युपुर के निवासी हैं'
हजारों सालों से अभिमन्युपुर के ग्रामीण खुद को अभिमन्यु के गांव का निवासी बताते हैं. यहां के बुजुर्ग कर्ण, द्रोणाचार्य और उनके किले पर बनाया गए चक्रव्यूह से जूड़ी सैकड़ों कहानियां सुनाते हैं. इन कहानियों में कितनी सच्चाई है ये तो नहीं पता, लेकिन ये जरूर है कि यहां मौजूद चिन्ह इन कहानियों पर विश्वास करने को मजबूर कर देते हैं. 'किस्सा हरियाणे का' के इस ऐपिसोड में फिलहाल बस इतना ही अगले एपिसोड़ में हम आपको रूबरू करवाएंगे एक नई कहानी से.

एपिसोड 5- इस मंदिर में महिलाएं प्रवेश कर जाएं तो सात जन्मों के लिए विधवा हो जाएंगी!

कुरुक्षेत्र: 'किस्सा हरियाणे का' के इस एपिसोड में हम आपको लेकर चलते हैं कुरुक्षेत्र के ऐतिहासिक अमीन गांव में. इस गांव का जिक्र महाभारत में भी हुआ है. अमीन गांव. ये वहीं जगह है जहां अर्जुन के बेटे अभिन्यु को वीरगति प्राप्त हुई. इसीलिए इस गांव को अभिमन्यु पुर के नाम से जाना जाता था.

देखिए ईटीवी भारत हरियाणा की महाभारत कालीन आमीन गांव से रिपोर्ट

किले पर की गई थी चक्रव्युह की रचना!
कहा जाता है कि यहां द्रोणाचार्य ने यहां एक किले पर चक्रव्यूह रचा था. इसे अभिमन्यु किला के नाम से जाना जाता है. इस चक्रव्युह में ही अर्जुन के बेटे अभिमन्यु को वीरगति प्राप्त हुई थी. बताया ये भी जाता है कि इसी गांव के तालाब के मुहाने पर कर्ण का युद्ध करते समय रथ का पहिया धंस गया था. जिसके चलते ही कर्ण की मृत्यु हुई थी.

एपिसोड 1- किस्सा हरियाणे का: जिन्नों ने एक रात में बनाई ये मजार, जहां पूरी होती है हर मुराद

'इस कुएं से निकलता था दूध'
यहीं एक कर्णवेध नाम की एक तालाब है जहां अर्जुन ने कर्ण को युद्ध के समय मारा था. अभिमन्यु किले पर बताया जाता है कि यहां एक कुआं हुआ करता था. कहा जाता है इस कुएं से दूध निकलता था. ग्रामीणों और प्रशासन की मदद से उस कुएं को दोबारा खोज कर सफाई कर करवाई गई. इस कुएं को एक धरोहर के रूप में रखा गया है.

एपिसोड 2- किस्सा हरियाणे का: हरियाणा के ये 12 गांव कुत्ते को मानते हैं भगवान!

अजीबो-गरीब मान्याताएं भी हैं!
लोगों को मानना है कि अभिमन्यु के किले से निकली बड़ी ईंटें जिस पर हाथ के पंजे का निशान बने हैं उस ईंट को पानी में डाल कर गर्भवती महिला को प्रसव के दौरान पिलाने से प्रसव पीड़ा कम हो जाती है. कहा जाता है कि इस ईंट के पानी को पीने से बांझपन जैसी बड़ी बीमारी भी दूर हो जाती है. हालांकि ये बेहद खतरनाक है और वैज्ञानिक दृष्टि से इसे लोगों का अंधविश्वास ही कहा जा सकता है.

एपिसोड 3- किस्सा हरियाणे का: यहां लोग 22 सौ साल से एक जिन्न के खौफ में जीते हैं

गांव में है आदिति तीर्थ
इसी गांव में आदिति तीर्थ नाम से एक और धार्मिक स्थल है. जिसमें लोगों की काफी आस्था जुड़ी हुई है. बताया जाता है कि यहां ऋषि अदिति ने अट्ठारह सौ साल तपस्या की थी. ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर शंकर भगवान ने शिवलिंग रूप में दर्शन दिए थे. यहां जो कुंड बना हुआ है इसमें स्नान करने से महिला बलवान पुत्र को जन्म देती है.

एपिसोड 4- फरीदाबाद की सम्मोहन करने वाली 'डेथ वैली'! जिसने सैकड़ों लोगों को मौत की नींद सुला दिया

'ये अभिमन्युपुर के निवासी हैं'
हजारों सालों से अभिमन्युपुर के ग्रामीण खुद को अभिमन्यु के गांव का निवासी बताते हैं. यहां के बुजुर्ग कर्ण, द्रोणाचार्य और उनके किले पर बनाया गए चक्रव्यूह से जूड़ी सैकड़ों कहानियां सुनाते हैं. इन कहानियों में कितनी सच्चाई है ये तो नहीं पता, लेकिन ये जरूर है कि यहां मौजूद चिन्ह इन कहानियों पर विश्वास करने को मजबूर कर देते हैं. 'किस्सा हरियाणे का' के इस ऐपिसोड में फिलहाल बस इतना ही अगले एपिसोड़ में हम आपको रूबरू करवाएंगे एक नई कहानी से.

एपिसोड 5- इस मंदिर में महिलाएं प्रवेश कर जाएं तो सात जन्मों के लिए विधवा हो जाएंगी!

Intro:नोट :-यह स्टोरी ,किस्सा हरियाणा का ,के लिए है।

राजीव जी द्वारा असाइन


धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में हुए महाभारत के युद्ध के प्रमाण जगह-जगह बिखरे हुए हैं इन्हीं में से एक जगह है अमीन

कुरुक्षेत्र में 48 कोस का एरिया आज भी महाभारत के युद्ध का प्रमाण है

अमीन गांव को पहले अभिमन्यु पुर के नाम से जाना जाता था कहा जाता है कि यहां द्रोणाचार्य ने चक्रव्यूह यहां स्थित एक किले पर रचा था जिसे आज अभिमन्यु किला के नाम से जाना जाता है जिसमें अर्जुन के बेटे अभिमन्यु को वीरगति प्राप्त हुई थी आमीन महाभारत कालीन नगर है जो वर्तमान में थानेसर से करीब 8 किलोमीटर दिल्ली अंबाला रेल मार्ग पर स्थित है महाभारत युद्ध के समय गुरु द्रोणाचार्य ने चक्रव्यूह की रचना इसी अमीन गांव के पास की थी इसी चक्रव्यू को तोड़ते हुए अभिमन्यु ने यहां वीरगति प्राप्त की थी इसका विस्तृत वर्णन महाभारत के दौरान आप ओके पेज नंबर 714 और 717 पर मिलता है पास ही में ही एक तालाब है जहां अर्जुन ने कर्ण को मारा था मिली जानकारी के अनुसार इसी गांव के तालाब के मुहाने पर करण का युध्द करते समय रथ का पहिया धंस गया था जिसके चलते ही करण की युद्ध मे मृत्यु हुई थी

अमीन शब्द को अभिमन्यु से संबंधित कहा जाता है इसी के पास ही एक कर्णवेध नाम की एक तालाब है जहां अर्जुन ने कर्ण को युद्ध के समय मारा था| अभिमन्यु किले पर बताया जाता है कि यहाँ एक कुंआ होता जिसमे से पहले दूध निकलता था वह कुंआ भी अब लुपत हो चुका था ग्रामीणों और प्रशासन की मदद से उस कुंऐ को दुबारा खोज कर सफाई कर एक धरोहर के रूप में रखा गया है।

अभिमन्यु के किले को लेकर जुड़ी है और भी मान्यताएं

लोगो को मानना है कि अभिमन्यु के किले से निकली बड़ी ईट जिस पर हाथ के पंजे का निशान बना हो उस ईट को पानी में डाल कर और गर्भवती महिला को प्रसव के दौरान वह पानी पिलाने से प्रसव पीड़ा कम हो जाती है कहा जाता है कि इस ईट के पानी से पीने से बांझपन जैसी बड़ी बीमारी भी दूर हो जाती है।

इसी गांव में एक आदिति तीर्थ नाम से एक और धार्मिक स्थल है जिसमें लोगों की काफी आस्था जुड़ी हुई है बताया जाता है कि यहां अदिति ने अट्ठारह सौ साल तपस्या की थी और यहां शंकर भगवान ने शिवलिंग रूप में दर्शन दिए थे और यहां जो कुंड बना हुआ है इसमें स्नान करने से महिला बलवान पुत्र को जन्म देती है

हाल ही में भाजपा सरकार ने इस गांव का नाम अमीन से बदलकर अभिमन्यु पूर्व भी रखा है।

बाईट:-राम निवास
बाईट:-हज़ारा सिंह
बाईट:-नीरू



Body:5


Conclusion:5
Last Updated : Jul 14, 2019, 3:42 AM IST
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