कुरुक्षेत्र: धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में हर सूर्य ग्रहण के मौके पर लाखों श्रद्धालु स्नान के लिए आया करते थे, लेकिन इस बार ब्रह्मसरोवर कोरोना वायरस के कारण सूना दिखाई देगा. दरअसल, कोरोना महामारी के चलते अब कुरुक्षेत्र में सूर्य ग्रहण पर शाही स्नान नहीं होगा. पहले यहां लगभग 8 से 10 लाख श्रद्धालु देश-विदेश से आकर धार्मिक अनुष्ठान करते थे, भजन कीर्तन करते थे और ग्रहण लगते ही आस्था की डुबकी लगाया करते थे, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा.
हर साल नागा बाबा और दूर-दूर से आए साधु ब्रह्मसरोवर में शाही स्नान किया करते थे, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से अबकी बार ऐसा नहीं होगा. ब्रह्मसरोवर के चारों गेट पर अबकी बार पुलिस का कड़ा पहरा रहेगा और बस और रेल सेवा भी यहां बाधित रहेंगी. यही नहीं 19 जून से 21 जून शाम 6 बजे तक यहां कर्फ्यू लगा दिया गया है, ताकि सूर्य ग्रहण के दौरान लोगों की सुरक्षा और शांति व्यवस्था बनाए रखी जा सके.
बता दें कि इस साल 21 जून को कुरुक्षेत्र में सूर्य ग्रहण पर किसी प्रकार के बड़े स्तर के कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जा रहा है. इस साल 21 जून को सुबह 10 बजकर 20 मिनट से दोपहर 1 बजकर 47 मिनट तक सूर्य ग्रहण लगेगा. इस सूर्य ग्रहण के दौरान लोगों को कुरुक्षेत्र में ना आने की अपील सरकार और प्रशासन द्वारा लगातार की जा रही है. इतना ही नहीं कुरुक्षेत्र जिले के चारों तरफ नाकाबंदी की गई है और ब्रहमसरोवर, सन्निहित सरोवर के साथ-साथ अन्य सरोवरों पर बैरिकेडिंग के साथ नाकाबंदी के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं.
उपायुक्त धीरेंद्र खडगटा ने बताया कि सूर्य ग्रहण के दौरान श्रद्धालुओं की कुरुक्षेत्र में आकर स्नान करने की आस्था रही है, लेकिन पूरे विश्व में कोरोना महामारी फैल चुकी है. इस महामारी के दौरान भीड़ के एकत्रित ना होने देने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि सूर्य ग्रहण को लेकर साधु-संतों, संस्थाओं के प्रतिनिधियों से विचार-विमर्श किया गया और निर्णय लिया गया कि कुरुक्षेत्र में सूर्य ग्रहण मेले का बड़े स्तर पर आयोजन नहीं किया जाएगा. सभी लोग अपने-अपने घरों में बैठकर ही पूजा-अर्चना करेंगे. इस सूर्य ग्रहण पर लोगों को कोराना महामारी से बचाने के लिए कुरुक्षेत्र में किसी भी जगह पर भीड़ एकत्रित नहीं होने दी जाएगी.
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उन्होंने बताया कि सूर्य ग्रहण पर कुछ सीमित साधु-संतों को ब्रहमसरोवर पर पूर्जा अर्चना करने की अनुमति दी गई है. इस पूजा अर्चना के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की पालना करते हुए सभी 6-6 फीट की दूरी पर बैठकर धार्मिक अनुष्ठान करेंगे.