कुरुक्षेत्र: धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के पिहोवा कस्बे में आज भी देवी देवताओं से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य और प्रमाण मौजूद हैं. जिनसे लोग आज भी अनजान हैं. किसा हरियाणे का के इस एपिसोड में हम आपको लिए चलते हैं सरस्वती किनारे स्थित ब्रह्म योनि तीर्थ पर. ये तीर्थ सरस्वती के मुहाने पर ही बना हुआ है.
इस तीर्थ का जिक्र महाभारत, वामन पुराण, स्कंद पुराण, मार्कंडेय पुराण और धर्म ग्रंथों में है. कहा जाता है कि ब्रह्मा ने यहीं से मानव जाति की रचना की थी. सृष्टि के रचयिता ब्रह्मदेव ने यही हजारों साल बैठ कर तप किया था और सृष्टि के क्रम को बनाया था.
जनश्रुतियों के मुताबिक ब्रह्मा देव ने यहां मनुष्य की प्रजाति को क्रम में विभाजित किया था. कहा जाता है कि यहां बने ब्रह्म योनि तीर्थ पर स्नान मात्र करने से मृत्यु उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है. तीर्थ के महंत बबला ने बताया कि ब्रह्म योनि तीर्थ पर लोग देश-विदेश थे मोक्ष की प्राप्ति के लिए स्नान के लिए पहुंचते हैं.
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कहा जाता है कि मनुष्य का जनम चार भागों में विभाजित किया गया है. पहले भाग में 1 से 25 साल तक मनुष्य का जीवन ब्रह्मचर्य होता है. दूसरा 25 से 50 साल तक मानव गृहस्थ जीवन जीता है. तीसरे भाग में ब्रह्मा ने 50 से 75 साल के मनुष्यों के लिए वानप्रस्थ आश्रम बनाया और उसके बाद ब्रह्मा ने सन्यास आश्रम बनाया. आज भी ये सनातन परंपरा का अभिन्न अंग है और आज भी सनातन परंपरा इसी परंपरा को लेकर ही आगे बढ़ रहा है.