कुरुक्षेत्रः बांके बिहारी लाल भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव पर हम आपको उनकी लीलाओं से जुड़े कुछ रोचक और दिलचस्प किस्से आज बता रहे हैं. मान्यता है कि महाभारत की रणभूमि धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर के उत्तर तट पर भगवान श्री कृष्ण और राधा का मिलन हुआ. उत्तरी तट पर स्थित तमाल वृक्ष इस मिलन की आज भी गवाही दे रहा है.
राधा-कृष्ण के अटूट प्रेम का साक्ष्य!
श्री कृष्ण और राधा के अटूट प्रेम का साक्षी ये वृक्ष धर्म नगरी के श्री व्यास गोरिया मठ में स्थित श्री राधा कृष्ण मिलन मंदिर में स्थित है. श्रीमद् भागवत पुराण के अनुसार द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण जब बलराम सहित गोकुल छोड़कर कंस वध के लिए मथुरा जा रहे थे, तब सभी गोपियां राधा रानी, यशोदा और नंद बाबा श्री कृष्ण के विरह में बहुत ही दुखी हुए थे. तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें वचन देते हुए कहा सभी गोकुल वासियों से एक बार मिलन अवश्य होगा.
श्री कृष्ण ने इसी वचन को निभाते हुए द्वापर युग में सोमवती अमावस्या के दिन जब पूर्ण सूर्य ग्रहण लगा था तो इस अवसर पर कुरुक्षेत्र स्थित ब्रह्मसरोवर के उत्तरी तट पर माता देवकी, पिता वासुदेव, नंद बाबा और सभी गोपियों सहित राधा रानी से मिले थे.
कृष्ण समझकर इस वृक्ष का आलिंगन करती थीं राधा!
निधिवन में तमाल के वृक्ष की छाया में भगवान श्री कृष्ण राधा रानी के साथ रासलीला किया करते थे. मान्यता है राधा कृष्ण की अनुपस्थिति में कृष्ण समझकर इस वृक्ष का आलिंगन किया करती थीं.
कहा जाता है कि इस वृक्ष की बनावट कुछ इस प्रकार की होती है कि इस वृक्ष की हर टहनी एक दूसरी टहनी के साथ ऊपर जाकर मिल जाती है. इस वृक्ष की टहनी जैसे-जैसे ऊपर की ओर बढ़ती है तो वो एक दूसरे के साथ लिपट जाती है और आलिंगन करती है, ठीक उसी प्रकार जैसे राधा और कृष्ण का अगाध प्रेम था.