कुरुक्षेत्रः केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी गुरुवार को कुरुक्षेत्र के कैंथला स्थित गुरुकुल में पहुंचे थे. इस मौके पर उन्होंने कहा कि देश में किसानों की आय को दोगुना करने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जीरो बजट खेती (Zero budget farming) पर जोर दे रहे हैं. जीरो बजट खेती तभी संभव है जब किसान प्राकृतिक खेती करें. इसलिये सरकार देश में जीरो बजट प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के अवसर तलाश रही है.
कैलाश चौधरी के साथ गुजरात के राज्यपाल एवं गुरुकुल कुरुक्षेत्र में प्राकृतिक खेती (Organic farming in kurukshetra gurukul) के जनक आचार्य देवव्रत भी थे. केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को साकार करने तथा देश के प्रत्येक किसान को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से देश में आईसीएआर (इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च) और कृषि संस्थानों के माध्यम से प्राकृतिक खेती का रोल मॉडल तैयार किया जाएगा.
इस खेती का आधार और मुख्य शोध केंद्र गुरुकुल कुरुक्षेत्र रहेगा. प्राकृतिक खेती को अपनाने और शोध करने के लिए देश के 425 कृषि विज्ञान केंद्रों व 20 बड़े कृषि संस्थानों के 25 फीसदी भूमि पर प्रयोग किया जाएगा. इतना ही नहीं देश में स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में तीसरी कक्षा से लेकर पीएचडी तक प्राकृतिक खेती पर पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए एक कमेटी का भी गठन कर दिया गया है. इस कमेटी की रिपोर्ट आने के तुरंत बाद प्राकृतिक खेती विषय को पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया जाएगा.कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने गुरुकुल गौशाला में प्राकृतिक खाद मॉडल (Natural Fertilizer Model Kurukshetra) का अवलोकन किया.
केंद्रीय राज्य कृषि मंत्री कैलाश चौधरी ने गुरुकुल कुरुक्षेत्र की लगभग 180 एकड़ प्राकृतिक खेती का अवलोकन करने के बाद ये जानकारी दी. गुजरात के राज्यपाल एवं गुरुकुल कुरुक्षेत्र में प्राकृतिक खेती के जनक आचार्य डा. देवव्रत (governor of Gujrat Acharya Devvart ) ने प्राकृतिक खेती के बारे में बताया. उन्होंने वर्ष 2018 से शुरू की गई प्राकृतिक खेती के लाभ के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से प्रत्येक फसल की उपज बहुत अधिक हो रही है.
कैलाश चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narender Modi) देश के किसानों को आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं. उनकी आय को दोगुना करने के लिये बजट में प्राकृतिक खेती के लिए अलग से प्रावधान किया है. सरकार का उद्देश्य है कि किसानों को कम लागत पर अच्छी पैदावार मिले. खेत केमिकल से मुक्त हों. उन्होंने कहा कि गुरुकुल में राज्यपाल आचार्य डा. देवव्रत ने प्राकृतिक खेती करके देश ही नहीं विश्व को रोशनी दिखाई है.
अब इस प्राकृतिक खेती के मॉडल को देश में अपनाया जाएगा. इसके लिए आईसीएआर और कृषि संस्थानों ने निर्णय लिया है कि आने वाले समय में कृषि संस्थानों में 25 फीसदी भूमि पर प्राकृतिक खेती पर प्रयोग और शोध किया जाएगा. ताकि प्राकृतिक खेती का एक रोल मॉडल तैयार किया जा सके. इन संस्थानों के शोध केंद्र में किसानों को प्रशिक्षण देने के साथ-साथ प्राकृतिक खेती अपनाने के प्रति जागरूक किया जाएगा.
इस खेती को अपनाने से देसी गाय का महत्व भी बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि राज्यपाल आचार्य डा. देवव्रत के प्रयासों से हिमाचल में 2 लाख और गुजरात में ढाई लाख किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाया है. गुजरात के राज्यपाल आचार्य डा. देवव्रत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिशन को सफल बनाने के लिए और रासायनिक खेती के विकल्प के रूप में प्राकृतिक खेती को अपनाया गया है.
प्राकृतिक खेती से किसान आत्मनिर्भर होंगे और लागत कम होने से आय में इजाफा होगा. लोगों को रसायन मुक्त खाद्य सामग्री मिल पाएगी जिससे देश के नागरिक स्वस्थ होंगे. इससे पर्यावरण शुद्ध होगा, पानी की बचत होगी और धरती की सेहत में सुधार होगा. एनसीईआरटी के निदेशक प्रोफेसर दिनेश शकलानी ने कहा कि एनईपी के तहत प्राकृतिक खेती को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा. जिससे देश के 30 करोड़ विद्यार्थियों को प्राकृतिक खेती के बारे में जानकारी दी जाएगी.
सरकार तीसरी से पांचवी कक्षा तक के स्कूलों में प्राकृतिक खेती के छोटे फार्म हाउस भी स्थापित करेगी. छटी से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को प्राकृतिक खेती पर प्रैक्टिकल करवाया जाएगा. नौंवी से बारहवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों का एक पेपर प्राकृतिक खेती पर होगा. इसके उपरांत उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रम में भी प्राकृतिक खेती के विषय को शामिल किया जाएगा.
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