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उठ गया महाभारत के इस रहस्य से पर्दा! जानें आखिर क्यों ईश्वर ने युद्ध के लिए चुना कुरुक्षेत्र की धरा

महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में हुआ था ये तो सभी को पता है लेकिन कुरुक्षेत्र ही क्यों चुना गया महाभारत के लिए इसके बारे में शायद कम ही लोगों को पता है. आज हम बताएंगे कि महाभारत के युद्ध के लिए कुरुक्षेत्र को ही क्यों चुना गया था?

mystery about selection of kurushetra for mahabarat yudh
किस्सा हरियाणे का
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Published : Dec 20, 2019, 12:29 PM IST

कुरुक्षेत्र: महाभारत का युद्ध कौरवों और पांडवों के बीच आज से करीब 5 हजार साल से 7 हजार साल पहले हुआ था. जिसमें दोनों तरफ से करोड़ों योद्धा मारे गए थे. इस युद्ध से पहले ना कभी ऐसा युद्ध हुआ था और ना ही भविष्य में होने की संभावना है.

अधर्म पर धर्म की विजय सुनिश्चित करने के लिए चुना गया था कुरुक्षेत्र को

धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः ।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय ॥

यह श्लोक महाभारत का पहला श्लोक माना जाता है जिसमें धृतराष्ट्र और संजय का संवाद होता है. जिसमें कुरुक्षेत्र को धर्म क्षेत्र कहा गया है. भगवान कृष्ण का अवतार धरती पर बढ़ते पाप को रोकने के लिए हुआ था. उस समय सदीयों पुरानी चली आ रही निर्मूल और जड़ हो चुकी परंपराओं को खत्म कर धर्म की स्थापना के लिए भगवान को ऐसी भूमि की तलाश थी जिसपर धर्म की विजय सुनिश्चित हो. इसलिए उन्होंने कुरुक्षेत्र को चुना.

उठ गया महाभारत के इस रहस्य से पर्दा! जानें आखिर क्यों ईश्वर ने युद्ध के लिए चुना कुरुक्षेत्र की धरा

इसे भी पढ़ें: दानवीर कर्ण की नगरी करनाल, रोज सवा मन सोना दान करता था यहां का राजा

इस बारे में केडीबी के सचिव मदन मोहन छाबड़ा बताते हैं कि मान्यता है कि कुरुक्षेत्र की धरती पर पवित्र सरस्वती नदी बहा करती थी. जिसके जल से कुरुक्षेत्र पुण्य धरा थी. मदन मोहन बताते हैं कि इस पुण्य भूमि पर ही धर्म की विजय सुनिश्चित की जा सकती थी. इसलिए कुरुक्षेत्र को युद्ध क्षेत्र के स्थान के रुप में चुना गया.

दूसरे मत के अनुसार सामाजिक और भौगोलिक कारण के अनुसार चुना गया कुरुक्षेत्र

केडीबी के सचिव मदन मोहन बताते हैं कि इस बारे में दूसरा मत यह है कि भगवान कृष्ण ने इस भूमि को इसकी भौगोलिक और सामाजिक कारण के अनुसार चुना था. विद्वान बताते हैं कि इस कुरुक्षेत्र भूमि में पवित्र सरस्वती नदी बहा करती थी और यहां मरने के बाद अस्थियों के क्रिया कर्म की आवश्यकता नहीं पड़ती. जिसके कारण युद्ध में विलंब नहीं होता. इसीलिए भगवान ने महाभारत के लिए कुरुक्षेत्र को चुना.

मदन मोहन कहते हैं कि यह मान्यता आज भी कुरुक्षेत्र में है. यहां मरने के बाद शव की अस्थियों का विसर्जन नहीं किया जाता.

कुरुक्षेत्र: महाभारत का युद्ध कौरवों और पांडवों के बीच आज से करीब 5 हजार साल से 7 हजार साल पहले हुआ था. जिसमें दोनों तरफ से करोड़ों योद्धा मारे गए थे. इस युद्ध से पहले ना कभी ऐसा युद्ध हुआ था और ना ही भविष्य में होने की संभावना है.

अधर्म पर धर्म की विजय सुनिश्चित करने के लिए चुना गया था कुरुक्षेत्र को

धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः ।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय ॥

यह श्लोक महाभारत का पहला श्लोक माना जाता है जिसमें धृतराष्ट्र और संजय का संवाद होता है. जिसमें कुरुक्षेत्र को धर्म क्षेत्र कहा गया है. भगवान कृष्ण का अवतार धरती पर बढ़ते पाप को रोकने के लिए हुआ था. उस समय सदीयों पुरानी चली आ रही निर्मूल और जड़ हो चुकी परंपराओं को खत्म कर धर्म की स्थापना के लिए भगवान को ऐसी भूमि की तलाश थी जिसपर धर्म की विजय सुनिश्चित हो. इसलिए उन्होंने कुरुक्षेत्र को चुना.

उठ गया महाभारत के इस रहस्य से पर्दा! जानें आखिर क्यों ईश्वर ने युद्ध के लिए चुना कुरुक्षेत्र की धरा

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इस बारे में केडीबी के सचिव मदन मोहन छाबड़ा बताते हैं कि मान्यता है कि कुरुक्षेत्र की धरती पर पवित्र सरस्वती नदी बहा करती थी. जिसके जल से कुरुक्षेत्र पुण्य धरा थी. मदन मोहन बताते हैं कि इस पुण्य भूमि पर ही धर्म की विजय सुनिश्चित की जा सकती थी. इसलिए कुरुक्षेत्र को युद्ध क्षेत्र के स्थान के रुप में चुना गया.

दूसरे मत के अनुसार सामाजिक और भौगोलिक कारण के अनुसार चुना गया कुरुक्षेत्र

केडीबी के सचिव मदन मोहन बताते हैं कि इस बारे में दूसरा मत यह है कि भगवान कृष्ण ने इस भूमि को इसकी भौगोलिक और सामाजिक कारण के अनुसार चुना था. विद्वान बताते हैं कि इस कुरुक्षेत्र भूमि में पवित्र सरस्वती नदी बहा करती थी और यहां मरने के बाद अस्थियों के क्रिया कर्म की आवश्यकता नहीं पड़ती. जिसके कारण युद्ध में विलंब नहीं होता. इसीलिए भगवान ने महाभारत के लिए कुरुक्षेत्र को चुना.

मदन मोहन कहते हैं कि यह मान्यता आज भी कुरुक्षेत्र में है. यहां मरने के बाद शव की अस्थियों का विसर्जन नहीं किया जाता.

Intro:kissa haryana ka
assigned by:- rajiv verma

यह तो सबको पता है कि गीता का उपदेश श्री कृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र में दिया था जहां महाभारत का युद्ध हुआ था लेकिन आज भी महाभारत से जुड़े ऐसे कई रहे ऐसे हैं जिनके बारे में बहुत ही कम लोगों को पता है आज हम एक ऐसे ही रहस्य से पर्दा उठाने जा रहे हैं और आपको बताने जा रहे हैं कि महाभारत का युद्ध आखिर कुरुक्षेत्र में ही क्यों हुआ था किसी और जगह क्यों नहीं.
महाभारत का युद्ध कौरवों और पांडवों के बीच हुआ था जिसमें दोनों तरफ से करोड़ों योद्धा मारे गए थे यह संसार का सबसे भीषण युद्ध इससे पहले ना तो कभी ऐसा युद्ध हुआ था और ना ही भविष्य में ऐसा युद्ध होने की संभावना है कुरुक्षेत्र की धरती को महाभारत के युद्ध के लिए श्री कृष्ण भगवान ने चुना था लेकिन उन्होंने कुरुक्षेत्र को ही महाभारत युद्ध के लिए क्यों चुना इसके पीछे एक गहरा रहस्य छुपा हुआ है शास्त्रों के मुताबिक महाभारत का युद्ध हो गया तो उसके लिए जमीन तलाश की जाने लगी भगवान श्री कृष्ण ने इस युद्ध के जरिए धरती पर बढ़ते पाप को मिटाना चाहते थे और धर्म की स्थापना करना चाहते थे गीता के पहले पन्ने पर भी शुरुआत में यही लिखा हुआ

कुछ लोगों का कहना हैं कि भगवान श्रीकृष्ण को यह डर था कि भाई भाइयों के गुरु शिष्य और सगे संबंधियों के इस युद्ध में एक दूसरे को मरता देख कर कहीं कौरवों और पांडवों आपस में संधि ना कर ले इसलिए उन्होंने युद्ध के लिए ऐसी भूमि को चुना जहां दया भावना हो परंतु अगर विद्वानों की माने और संगीता में लिखी बातें पड़े तो श्री कृष्ण ने इस क्षेत्र की भूमि को इसलिए चुना था जो कि इस कुरुक्षेत्र भूमि में सरस्वती नदी बहा करती थी और यहां पर मरने के बाद अस्थियों के क्रिया कांड आवश्यकता नहीं पड़ती और इस युद्ध में करोड़ों योद्धा मारे जाएंगे और युद्ध में विलंब ना हो तो इसी धरती को चुना गया था और यही प्रथा आज भी प्रचलित है यहां किसी की मौत के बाद अस्थियों का विसर्जन भी नहीं किया जाता

बाईट:- मदन मोहन छाबड़ा मानद सचिव केडीबी


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