कुरुक्षेत्र: पिहोवा सरस्वती तीर्थ के पावन तट पर चैत्र मेला लगा है. चैत्र चौदस से शुरु होने वाले इस मेले का आज आखिरी दिन है. मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु अपने पूर्वजों का पिंडदान करवाने के लिए आते हैं. जिला प्रशासन की तरफ से मेले में सुविधाओं के पूरे बंदोबस्त किये गये हैं. पिंडदान के अलावा ये मेला स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार और कमाई का जरिया भी मुहैय्या कराता है. महिलाओं की हाथों से बनाए उत्पादों की यहां पर जमकर बिक्री होती है.
अहम पहलू यह है कि पिहोवा चौदस मेला धार्मिक आस्था के साथ-साथ स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के लिए आय का साधन भी बन रहा है. सरस्वती तीर्थ के पावन तट पर 19 मार्च से 21 मार्च तक चलने वाले इस चैत्र चौदस मेले में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा अपने सामानों का इंस्टॉल लगाया गया है. मेले में आने वाले पर्यटक और श्रद्धालु इन उत्पादों की जमकर खरीददारी कर रहे हैं. गांव दबखेडी जिला कुरुक्षेत्र से आई सत्या देवी ने बताया कि वे स्वयं सहायता समूह में काफी वर्षों से कार्य कर रही है. इस मेले में वो अपने हाथ से बने हुए घर के साज सजावट का सामान, टोकरी, दीवार, शीशा और ऊन से बने कई सामान लेकर आई हैं.
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सत्या देवी ने बताया कि ये सामान वे खुद अपने हाथों से बनाती हैं. इसको बनाने में कम से कम 2 से 4 दिन का समय लगता है और करीब 100 से 400 रुपए तक की कीमत आती है. पिहोवा चौदस मेला सहायता समूह महिलाओं को आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी प्रदान कर रहा है. प्रशासन की तरफ से पहली बार मेले में आने वाले पर्यटकों के लिए स्वयं सहायता समूह द्वारा यह स्टॉल लगाया गया है और इन स्टालों पर पर्यटकों को हाथ से बनी अनोखी कारीगरी देखने को मिल रही है.
मेला क्षेत्र में प्रशासन द्वारा काफी अच्छे प्रबंध किए गए हैं. इस मेले में उन्हें किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं आ रही है और श्रद्धालु भी उनके हाथों से बनाए गए उत्पादों की जमकर खरीदारी कर रहे है. गांव ज्योतिसर से आई कांता देवी ने बताया कि वो इस मेले में पहली बार आई हैं. उनके पास भी सजावट के सामान हैं जिन्हें हाथों से बनाया गया है. इसकी कीमत 80 रुपए से 100 रुपए तक है. उन्होंने बताया के वे स्वयं सहायता समूह के साथ पिछले 3 सालों से जुड़ी हुई हैं. यह सारा सामान वे खुद अपने हाथों से तैयार करती हैं. इतना ही नहीं वे इस मेले के साथ-साथ प्रदेश के कई अंतर्राष्ट्रीय स्तर के आयोजनों में भी जा चुकी हैं. इन आयोजनों में पर्यटक इनके हाथों की अनोखी कारीगरी को देखकर हैरान होते हैं.
स्वयं सहायता समूह सरकार द्वारा चलाई गई एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसमें महिलाओं को घर बैठे रोजगार देने के साथ-साथ आत्मनिर्भर बनने का भी अवसर प्रदान किया जा रहा है. इस स्वयं सहायता समूह में दूर दराज से काफी महिलाएं कार्य करती है और आत्मनिर्भर बन चुकी हैं. सरकार के आत्मनिर्भर अभियान में यह महिलाएं मिलकर योगदान कर रही हैं. इन स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं और उनकी आर्थिक हालत बेहतर हो रही है.
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