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भगवान कृष्ण के विराट रूप का साक्षी है ये 5 हजार साल पुराना वट वृक्ष !

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Published : Aug 11, 2020, 8:24 PM IST

Updated : Aug 11, 2020, 10:23 PM IST

कृष्ण जन्मोत्सव के मौके पर आज हम कृष्ण के अहम पहलू पर जिक्र कर रहे हैं. हम आपको आज लिए चलते हैं श्रीकृष्ण की कर्मभूमि धर्मनगरी कुरुक्षेत्र. जो ना सिर्फ महाभारत युद्ध का गवाह है बल्कि यहां मौजूद वट वृक्ष आज भी उनके विराट रूप का साक्षी है.

janamashtami special jyotisar temple in kurukshetra
यहां आज भी मौजूद है 5 हजार साल पुराना वट वृक्ष

कुरुक्षेत्र: पूरे देश में आज श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. मंदिर हो, बाजार हो, टीवी या सोशल मीडिया, चहूं ओर कान्हां-कान्हा और उनकी लीलाओं की चर्चा हो रही है. तो ऐसे में सर्वशक्तिमान कृष्ण की कर्मभूमि की चर्चा ना हो ऐसा हो नहीं सकता. श्री कृष्ण जन्मोत्सव के पावन दिन आज हम आपको लिए चलते हैं धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में, जहां की 48 कोस धरती का कण कण श्रीकृष्ण की अद्भुद लीलाओं का जीता जागता गवाह है.

यहां मौजूद वट वृक्ष है महाभारत का गवाह

बताया जाता है कि ज्योतिसर में मौजूद अक्षय वट वृक्ष के नीचे करीब पांच हजार वर्ष पहले कौरवों और पांडवों की सेनाओं के बीच खड़े पीतांबरधारी श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिव्य नेत्र देकर अपने विराट स्वरूप के दर्शन करवाए थे.

आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी ज्योतिसर की खोज

बताया जाता है इस वट वृक्ष की खोज आदि गुरू शंकराचार्य ने की थी. काशी जाते समय गुरु शंकराचार्य यहां विश्राम के लिए रुके थे. कुछ समय की तपस्या में उन्हें आभास हुआ कि ये स्थान ज्योतिसर है. इस धरती पर श्री कृष्ण के द्वारा अर्जुन को गीता का उपदेश दिया गया था. तभी से लोग अपनी आस्था और विश्वास के साथ यहां दर्शनों के लिए पहुंचते हैं.

यहां आज भी मौजूद है 5 हजार साल पुराना वट वृक्ष, देखिए वीडियो

कोरोना की वजह से इस साल नहीं लगा मेला

कुरुक्षेत्र जिले के थानेसर शहर से ज्योतिसर गांव लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर है. सरकार द्वारा यहां लेजर लाइट एंड साउंड का आयोजन किया जाता था. जिसमें टूरिस्ट महाभारत की प्रमुख घटनाओं को भी देख सकते थे और सुन सकते थें.

जन्मअष्टमी के दिन हर साल यहां भारी संख्यां में श्रद्धालु इस वट वृक्ष के दर्शन करने पहुंचते हैं, लेकिन इस साल कोरोना की वजह से यहां भक्त नहीं पहुंच पाएं. शायद यही नियती है, लेकिन उम्मीद है परिस्थितियां बदलेंगी. फिर यहां भक्तों का मेला लगेगा.

ये पढ़ें- कृष्ण जन्माष्टमी : जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि

कुरुक्षेत्र: पूरे देश में आज श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. मंदिर हो, बाजार हो, टीवी या सोशल मीडिया, चहूं ओर कान्हां-कान्हा और उनकी लीलाओं की चर्चा हो रही है. तो ऐसे में सर्वशक्तिमान कृष्ण की कर्मभूमि की चर्चा ना हो ऐसा हो नहीं सकता. श्री कृष्ण जन्मोत्सव के पावन दिन आज हम आपको लिए चलते हैं धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में, जहां की 48 कोस धरती का कण कण श्रीकृष्ण की अद्भुद लीलाओं का जीता जागता गवाह है.

यहां मौजूद वट वृक्ष है महाभारत का गवाह

बताया जाता है कि ज्योतिसर में मौजूद अक्षय वट वृक्ष के नीचे करीब पांच हजार वर्ष पहले कौरवों और पांडवों की सेनाओं के बीच खड़े पीतांबरधारी श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिव्य नेत्र देकर अपने विराट स्वरूप के दर्शन करवाए थे.

आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी ज्योतिसर की खोज

बताया जाता है इस वट वृक्ष की खोज आदि गुरू शंकराचार्य ने की थी. काशी जाते समय गुरु शंकराचार्य यहां विश्राम के लिए रुके थे. कुछ समय की तपस्या में उन्हें आभास हुआ कि ये स्थान ज्योतिसर है. इस धरती पर श्री कृष्ण के द्वारा अर्जुन को गीता का उपदेश दिया गया था. तभी से लोग अपनी आस्था और विश्वास के साथ यहां दर्शनों के लिए पहुंचते हैं.

यहां आज भी मौजूद है 5 हजार साल पुराना वट वृक्ष, देखिए वीडियो

कोरोना की वजह से इस साल नहीं लगा मेला

कुरुक्षेत्र जिले के थानेसर शहर से ज्योतिसर गांव लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर है. सरकार द्वारा यहां लेजर लाइट एंड साउंड का आयोजन किया जाता था. जिसमें टूरिस्ट महाभारत की प्रमुख घटनाओं को भी देख सकते थे और सुन सकते थें.

जन्मअष्टमी के दिन हर साल यहां भारी संख्यां में श्रद्धालु इस वट वृक्ष के दर्शन करने पहुंचते हैं, लेकिन इस साल कोरोना की वजह से यहां भक्त नहीं पहुंच पाएं. शायद यही नियती है, लेकिन उम्मीद है परिस्थितियां बदलेंगी. फिर यहां भक्तों का मेला लगेगा.

ये पढ़ें- कृष्ण जन्माष्टमी : जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि

Last Updated : Aug 11, 2020, 10:23 PM IST
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