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लॉकडाउन इफेक्ट: स्मार्टफोन्स से बच्चों में बढ़ा चिड़चिड़ापन, ऑनलाइन क्लास बनी आफत - स्मार्ट फोन से बच्चों में बढ़ रहा मोटापा कुरुक्षेत्र

बच्चों में बढ़ता चिड़चिड़ापन और अकेलापन लॉकडाउन में ज्यादा बढ़ा है. सिविल अस्पताल के किशोर परामर्श केंद्र यानी की मित्रता क्लीनिक में लॉकडाउन से लेकर अब तक 801 केस बच्चों के चिड़चिड़ेपन और अकेले होने के सामने आ चुके हैं.

irritability Increased in children
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Published : Sep 16, 2020, 5:47 PM IST

Updated : Sep 16, 2020, 7:40 PM IST

कुरुक्षेत्र: ऑनलाइन एजुकेश अभिभवकों और बच्चों के लिए राहत कम और आफत ज्यादा साबित हो रही है. घर पर अब बच्चे ज्यादातर वक्त अब स्मार्टफोन्स पर बिता रहे हैं. जिससे उनमें आखों की बीमारी, चिड़चिड़ापन और अकेलापन बढ़ रहा है. ज्यातर वक्त घर में बिताने की वजह से बच्चों में मोटापा भी बढ़ रहा है.

स्मार्ट फोन से बढ़ा चिड़चिड़ापन

स्मार्ट फोन और इंटरनेट की वजह से बच्चे गलत आदतों का भी शिकार हो रहे हैं. परिजनों से नजदीकियां बढ़ाने की जगह बच्चे स्मार्ट फोन से नजदीकियां बढ़ा रहे हैं. जो उनके स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल सही नहीं है.

लॉकडाउन में स्मार्टफोन्स के बढ़ते चलन से बच्चों में बढ़ा चिड़चिड़ापन, क्लिक कर देखें वीडियो

बच्चों में बढ़ता चिड़चिड़ापन और अकेलापन लॉकडाउन में ज्यादा बढ़ा है. सिविल अस्पताल के किशोर परामर्श केंद्र यानी की मित्रता क्लीनिक में लॉकडाउन से लेकर अब तक 801 केस बच्चों के चिड़चिड़ेपन और अकेले होने के सामने आ चुके हैं. सबसे अधिक 303 केस मई महीने में सामने आए हैं. इन सब की काउंसलिंग की जा रही है और इन सबकी वजह स्मार्ट फोन्स ही है.

साल 2019 के आंकड़ों की बात करें तो करीब दो हजार बच्चों की काउंसलिंग के केस सामने आए थे. अब 5 महीनों में ही 800 केस आना अपने आप में चिंता का विषय है. समर्थ केंद्र की काउंसलर सोनिया ने ईटीवी भारत हरियाणा से बातचीत में बताया कि बच्चे अब सिगरेट और तंबाकू का भी शिकार हो रहे हैं.

ये भी पढ़ें- कृषि अध्यादेशों के खिलाफ आज संसद के बाहर प्रदर्शन करेंगे हरियाणा के किसान

बच्चों में बढ़ती गलत संगत और अकेलापन की बड़ी वजह ये भी है कि अभिभावक बच्चों पर नजर नहीं रख पाते. बच्चों को इस लत से बचाने का एकमात्र उपाय अभिभावकों का उनपर ध्यान देना है. अभिभावकों को बच्चों के टाइम टेबल तय कर देना चाहिए. जिससे कि वो सिर्फ ऑनलाइन क्लास के वक्त ही फोन का इस्तेमाल कर सके. इसके साथ उनको बच्चों से दोस्ताना व्यवहार रखना चाहिए ताकि बच्चे कोई भी बात बिना हिचके उनसे साझा कर सके.

कुरुक्षेत्र: ऑनलाइन एजुकेश अभिभवकों और बच्चों के लिए राहत कम और आफत ज्यादा साबित हो रही है. घर पर अब बच्चे ज्यादातर वक्त अब स्मार्टफोन्स पर बिता रहे हैं. जिससे उनमें आखों की बीमारी, चिड़चिड़ापन और अकेलापन बढ़ रहा है. ज्यातर वक्त घर में बिताने की वजह से बच्चों में मोटापा भी बढ़ रहा है.

स्मार्ट फोन से बढ़ा चिड़चिड़ापन

स्मार्ट फोन और इंटरनेट की वजह से बच्चे गलत आदतों का भी शिकार हो रहे हैं. परिजनों से नजदीकियां बढ़ाने की जगह बच्चे स्मार्ट फोन से नजदीकियां बढ़ा रहे हैं. जो उनके स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल सही नहीं है.

लॉकडाउन में स्मार्टफोन्स के बढ़ते चलन से बच्चों में बढ़ा चिड़चिड़ापन, क्लिक कर देखें वीडियो

बच्चों में बढ़ता चिड़चिड़ापन और अकेलापन लॉकडाउन में ज्यादा बढ़ा है. सिविल अस्पताल के किशोर परामर्श केंद्र यानी की मित्रता क्लीनिक में लॉकडाउन से लेकर अब तक 801 केस बच्चों के चिड़चिड़ेपन और अकेले होने के सामने आ चुके हैं. सबसे अधिक 303 केस मई महीने में सामने आए हैं. इन सब की काउंसलिंग की जा रही है और इन सबकी वजह स्मार्ट फोन्स ही है.

साल 2019 के आंकड़ों की बात करें तो करीब दो हजार बच्चों की काउंसलिंग के केस सामने आए थे. अब 5 महीनों में ही 800 केस आना अपने आप में चिंता का विषय है. समर्थ केंद्र की काउंसलर सोनिया ने ईटीवी भारत हरियाणा से बातचीत में बताया कि बच्चे अब सिगरेट और तंबाकू का भी शिकार हो रहे हैं.

ये भी पढ़ें- कृषि अध्यादेशों के खिलाफ आज संसद के बाहर प्रदर्शन करेंगे हरियाणा के किसान

बच्चों में बढ़ती गलत संगत और अकेलापन की बड़ी वजह ये भी है कि अभिभावक बच्चों पर नजर नहीं रख पाते. बच्चों को इस लत से बचाने का एकमात्र उपाय अभिभावकों का उनपर ध्यान देना है. अभिभावकों को बच्चों के टाइम टेबल तय कर देना चाहिए. जिससे कि वो सिर्फ ऑनलाइन क्लास के वक्त ही फोन का इस्तेमाल कर सके. इसके साथ उनको बच्चों से दोस्ताना व्यवहार रखना चाहिए ताकि बच्चे कोई भी बात बिना हिचके उनसे साझा कर सके.

Last Updated : Sep 16, 2020, 7:40 PM IST
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