कुरुक्षेत्र: अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2022 (international gita festival) में ब्रह्मसरोवर के घाटों पर विभिन्न राज्यों की लोक संस्कृति के अलग-अलग रंग देखने को मिल रहे हैं. इन राज्यों से आए कलाकार महोत्सव के दौरान अपने-अपने प्रदेशों की लोककला को प्रदर्शित कर रहे हैं. इस महोत्सव का आयोजन 6 दिसंबर तक होगा. कोरोना काल के लगभग दो वर्ष बाद एक बार फिर से महोत्सव का आयोजन हो रहा है.
दर्शकों को ब्रह्मसरोवर के तट पर विभिन्न लोक संस्कृतियों को जानने और देखने का अवसर मिल रहा है. अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में सोमवार को देश के विभिन्न राज्यों की कला का संगम (ghat Brahmasarovar in Kurukshetra) देखने को मिला. कलाकारों ने अपने-अपने राज्य की कला का बखूबी बखान किया. कलाकारों का कहना है कि कोरोना काल में वे अपने घरों में कैद थे. लेकिन उन्होंने अपनी कला को जिंदा रखा है. इस कला के माध्यम से ही आज वे भी जिंदा हैं.
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अपनी कला को विदेशों तक पहुंचा रहे हैं. विदेशी धरती पर भी उन्हें अपनी कला से मान और सम्मान मिला है. एनजेडसीसी के अधिकारी भूपिंद्र सिंह ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में आने के लिए देश का प्रत्येक कलाकार आतुर रहता है. उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केन्द्र (एनजेडसीसी) की तरफ से विभिन्न राज्यों के कलाकार अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में पहुंच चुके हैं. यह कलाकार 6 दिसंबर तक अपनी लोक संस्कृति की छठा बिखेरेंगे.
गीता महोत्सव में पहुंचे कलाकारों ने महोत्सव को कला प्रदर्शित करने का बेहतरीन मंच बताया. कोरोना काल में कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन ऑनलाइन किया. इससे उन्हें अपनी कला निखारने का मौका भी मिला. अब वह फिर से गीता महोत्सव में पहुंचकर अपनी कला का रंग जमाते नजर आए. महोत्सव में जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, वेस्ट बंगाल, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, असम आदि राज्यों के कलाकार अपने प्रदेश की लोक संस्कृति को प्रदर्शित कर रहे हैं.