पानीपत: ऑनलाइन गेम ने देशभर में युवाओं को पूरी तरह से जकड़ लिया है. बर्बादी का ऑनलाइन खेल इन दिनों इंटरनेट पर खुलेआम (health effects of online games) चल रहा है. इसके अलावा गेम के द्वारा ऑनलाइन पैसा कमाने का धंधा भी जोरों पर है. खुल कर कहा जाए तो ऑनलाइन गेम खेलने का धन्धा कह सकते है. इंटरनेट का ज्ञान रखने वाले लड़के हो या लड़की इसी तरह से पैसा कमाने के लिए अग्रसर हो रहे हैं.
हालंकि मिडल क्लास के पास इतने पैसे नही होते हैं कि वह महंगा मोबाइल फोन लैपटॉप और रिचार्ज का (Financial loss due to online gaming) पैसा उपलब्ध करा सके. इसलिए अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ये गलत काम करने के लिए प्रेरित होते हैं और अंततः आज की युवा पीढ़ी गलत रास्ते पर चलने लगती है.और शॉर्टकट से पैसा कमाने के लिए इन ऑनलाइन गेम का सहारा लेती है.
नाम ना बताने की शर्त पर एक व्यक्ति ने बताया कि उसने पहले ऑनलाइन गेम तीन पत्ती से खेलना शुरू किया था. शुरुआती दौर में उसने काफी रकम भी इस गेम से जरूर जीती परंतु कुछ समय बाद वह लगातार हारना शुरू हो गया और थोड़ा-थोड़ा करके वह आज कर्ज के (online games are dangerous) तले दब चुका है. इसी तरह एक और शख्स सामने आया जिस ने बताया कि घर पर फोन बच्चों के हाथ में होने पर भी बड़ा नुकसान हो सकता है.
जानकारी देते हुए मनोज ने बताया कि साथी पड़ोसी जिसका बेटा हरदम मोबाइल पर गेम खेलता था और गेम से ही उसने लगभग 1 लाख 18 हजार बर्बाद कर दिए. खास बात ये है कि जुआ (Financial loss due to online gaming) सबसे ज्यादा पढ़े लिखे या अध्ययनरत युवा को अपना शिकार बना रहा है. शहर में विविध क्षेत्रों में ऐसे लोग मिल जाएंगेे जो आक्ट्रो तीन पत्ती नाम से गेम लगाने व गेम के लिए ऑनलाइन क्वाइन बिक्री में लगे हैं.
पुलिस तक इन मामलों की शिकायत नहीं पहुंच रही है. ऑनलाइन गेम के कारण कई युवा बर्बाद हुए जा रहे हैं. ऑनलाइन गेम चलाने वाली टोली क्वाइन बिक्री करके बड़े पैमाने पर रुपया बटौर रही है. इस बारे में मनोवैज्ञानिक अमित मलिक का कहना है कि ऑनलाइन गेमिंग एक एडिक्शन की तरह है शुरुआती दौर में यह गेम ऐप चलाने वाली कंपनियां लालच देती है और इक्का-दुक्का बार जब इंसान इसमें जितने लगता है तो उसकी दिमाग में ऐसे हारमोंस उत्पन्न (online games are dangerous) होने लगते हैं.
जिससे वह इसका आदी बन जाता है और लालच के चलते इसमें डूबता चला जाता है. रोजाना उनके पास 40 में से दो ऐसे मरीज आते हैं. जो मोबाइल में ऑनलाइन गेम या फिर इंटरनेट के एडिक्शन से ग्रसित है. ऑनलाइन गेम एडिक्शन में फंसे हुए बच्चे या युवा अपने (online games are dangerous) आप को इस तरह अकेला रखना चाहते हैं जैसे इस समाज से उनका कोई लेना-देना ही नहीं.
जितना हो सके इससे बचें: मनोवैज्ञानिक डॉक्टर अमित मलिक ने बताया कि जो बच्चा या युवा एडिक्शन का शिकार हो जाए तो उसे मोबाइल और इंटरनेट से दूर रखना चाहिए. उसकी काउंसलिंग एक अच्छे मनोवैज्ञानिक से करवानी चाहिए. युवाओं या बच्चों को physical sports की ओर रुख करने की सलाह दी जाती है.
संबंधित स्कूल में शिक्षकों के माध्यम से अभिभावकों और बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग के खतरों से बचाव के लिए जागरुक किया जा सकता है.
ये भी पढ़ें: रेवाड़ी में शीतलहर का प्रकोप, न्यूनतम तापमान 9 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा