कुरुक्षेत्र: कहते है कि पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती है, इसलिए जब तक हमारे पास आयु का दायरा है, तब तक हमें और ऊपर उठने की कोशिश करनी चाहिए. इस वकत्व्य पर कुरुक्षेत्र के डॉ. हरीश रंगा पूरी तरह से सार्थक रूप में उभर कर आ रहे है. जेल विभाग से रिटायर्ड आईजी डॉ. हरीश रंगा (Retired IG Dr. Harish Ranga) एक ऐसे इंसान हैं, जिन्होंने 9 बार मास्टर डिग्री की हुई है और उन्होंने संकल्प लिया हुआ है कि जब तक जीवन है, तब तक वही विद्यार्थी जीवन जिएंगे.
दरअसल डॉ. हरीश रंगा 1991 में हरियाणा पब्लिक कमिशन के द्वारा डायरेक्ट हरियाणा जेल विभाग में बतौर डीएसपी भर्ती हुए थे. इस समय तक उनके पास केवल स्नातक की डिग्री थी. वहीं उनकी धर्मपत्नी डॉ. कृष्णा रंगा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में विभाग की एचओडी है, तो 19 साल पहले उन्होंने बातों-बातों में अपने पति को एक ताना मार दिया कि, मैं अपने बच्चों को मास्टर डिग्री, पीएचडी करवाती हूं, लेकिन मेरे पति के पास खुद ही मास्टर डिग्री नहीं है. पत्नी के ताने से उनको एक मोटिवेशन मिला और उन्होंने एक बार फिर से 19 साल पहले पढ़ाई करना शुरू कर दी और अब तक वह 9 बार मास्टर डिग्री और पीएचडी की भी उपाधि हासिल कर चुके है.
19 साल बाद जब डॉ. हरीश रंगा ने दोबारा मास्टर डिग्री की, तो उन्होंने हर मास्टर डिग्री में प्रथम श्रेणी में अंक प्राप्त किए. इतने सालों बाद पढ़ाई शुरू करके प्रथम श्रेणी के अंक लाना अपने आप में एक गर्व की बात है. इतना ही नहीं जब कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से डॉ. हरीश ने एमबीए की मास्टर डिग्री की, तब वह एमबीए मास्टर डिग्री में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के टॉप टेन विद्यार्थियों में शामिल थे. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पढ़ाई के प्रति वह कितना समर्पित हो चुके थे.
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डॉ. हरीश रंगा के मन मे फिर से पढ़ाई के अलख जगने के बाद उन्होंने 2019 में समय से पहले जेल विभाग से रिटायरमेंट ले लिया. उस दौरान वह बतौर आईजी हरियाणा जेल विभाग में तैनात थे और उसके बाद वह लगातार सामाजिक कार्य करते आ रहे हैं. इसके साथ ही मोटिवेशन स्पीकर के तौर पर युवाओं को लेक्चर भी देते है. 9 बार मास्टर डिग्री करने (9 times master degree in Haryana) बाद अब डॉ. हरीश की पत्नी ने उन्हें पढ़ाई छोड़ने की बात भी कही, लेकिन डॉ. हरीश अब अब रुकने का नाम नहीं ले रहे है और प्रण ले लिया है कि जब तक जिऊंगा तब तक विद्यार्थी जीवन ही जिऊंगा.
डॉ. हरीश का दावा है कि पूरे भारत में पुलिस और जेल विभाग में उन जितना पढ़ा लिखा अधिकारी और कर्मचारी अभी तक कोई नहीं है. वह एक अकेले ऐसे इंसान हैं, जिन्होंने पुलिस व जेल विभाग में पूरे भारत में सबसे ज्यादा पढ़ाई की हुई है. डॉ. हरीश उन सभी युवाओं के लिए और दूसरे लोगों के लिए एक प्रेरणा का काम करते हैं, जो हालातों से तंग होकर पढ़ाई छोड़ देते है. डॉ. हरीश ने पत्नी के ताने को मोटिवेशन के रूप में लेकर पढ़ाई के क्षेत्र में कई नए आयाम स्थापित कर दिए है. 58 वर्षीय डॉ. हरीश का कहना है कि पढ़ाई के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में भी उनकी काफी रूचि है और साथ ही अपने स्वास्थ्य के प्रति भी वह काफी गंभीर है. इसीलिए उन्होंने अपने जीवन को काफी आराम दे बना दिया है और रिटायरमेंट लेने के बाद एक आनंद भरी जिंदगी जी रहे हैं.
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