कुरुक्षेत्र: किसानों के लिए परंपरागत घाटे का सौदा बनती जा रही है. इस कारण कुछ किसान खेती छोड़ने को मजबूर है. वहीं कुछ ऐसे किसान भी हैं जिन्होंने आधुनिक खेती करनी शुरू कर दी है. इस आधुनिक खेती के जरिए वे अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं. इनमें एक नाम कुरूक्षेत्र के मथाना गांव के रहने वाले किसान रामप्रकाश का भी है.m रामप्रकाश केडी सिंह के नाम से अपनी सीड कंपनी चला रहे हैं.
कंपनी के जरिए रामप्रकाश गेहूं और धान के बीज खुद तैयार करके किसानों तक पहुंचा रहे हैं. रामप्रकाश ने कहा कि परंपरागत तरीके से खेती करने में इतना मुनाफा नहीं मिलता था. इसलिए हमें आधुनिक तरीके की तरफ बढ़ना पड़ा. हम पिछले 6 साल से आधुनिक तरीके से धान की नर्सरी तैयारी हैं. उन्होंने कहा कि इस नर्सरी में बीजों को वे खुद तैयार करते हैं. इसके बाद इसे किसानों को बेचते हैं जिससे अच्छा मुनाफा मिल जाता है.
25 दिन में वैज्ञानिक तरीके से तैयार करते हैं धान की नर्सरी- उन्होंने कहा कि अगर किसान परंपरागत तरीके से धान की नर्सरी तैयार करते हैं तो इसमें ज्यादा वक्त लगता है. दिन ज्यादा होने के चलते पैदावार पर काफी प्रभाव पड़ता है इसलिए हम 25 दिन में वैज्ञानिक तरीके से धान की नर्सरी तैयार करते हैं. लगभग 5 से 10 दिन के अंदर उसको खेत में लगाना होता है. उसके अंतराल में ही हम सारे अपनी धान की नर्सरी किसानों को बेच देते हैं. यहां प्यार धान, बासमती धान और हाइब्रिड की कई किसमें तैयार करके किसानों तक पहुंचा रहे हैं.
लैब में जांच के बाद होती है खेत में बुआई- उन्होंने कहा कि हम पहले अपने बीज को साइंटिफिक तरीके से तैयार करते हैं. लैब में जांच के बाद ही उसको तैयार करके खेत में बुआई करते हैं. खेत में बीज डालने से पहले वैज्ञानिक तरीके से खेत की मिट्टी का इलाज किया जाता है. इसके साथ बीज का भी उपचार किया जाता है. इस प्रक्रिया के चलते बीज का जमाव अच्छा होता है और कोई भी जड़ में गलने की समस्या पैदा नहीं होती और जब खेत में इसकी रोपाई की जाती है तब जल्दी उसका जमाव हो जाता है.
प्रति एकड़ डेढ़ लाख रुपये का मुनाफा- रामप्रकाश ने बताया कि उनके पास से हरियाणा भर से किसान धान की नर्सरी लेने के लिए आते हैं. अब धीरे धीरे यूपी से भी कुछ किसान उनके पास धान की नर्सरी लेने के लिए आते हैं. उन्होंने बताया कि वह 5 एकड़ में नर्सरी तैयार करते हैं जिसमें 1 एकड़ में लगभग 2 से ढाई लाख रुपये तक की नर्सरी बिक जाती है. जिसमें शुद्ध मुनाफा लगभग डेढ़ लाख रुपया प्रति एकड़ हो जाता है. यह एक से डेढ़ महीने में समाप्त हो जाती है. इसके बाद वह अपने खेत में धान की रोपाई भी करते हैं. उन्होंने कहा कि अगर दूसरे किसान भी आधुनिक तरीके से खेती करें तो वे भी खेती को मुनाफा का सौदा बना सकते हैं. हालांकि इसके लिए उनको कहीं ना कहीं नई तकनीक को साथ लेकर चलना होगा.
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