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पर्यटन क्षेत्र पर कोरोना का 'महाप्रहार', छह महीने बाद भी ठप पड़ा कारोबार

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Published : Sep 26, 2020, 8:28 PM IST

यहां सूर्य ग्रहण और गीता जयंती समारोह के दिनों में 40 से 50 लाख लोगों की भीड़ पहुंचती थी, लेकिन इस साल यहां मंदिरों में सन्नाटा छाया रहा. इस साल कुरुक्षेत्र में छोटे से लेकर बड़े कारोबारी को श्रद्धालुओं के नहीं पहुंचने से आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा है.

corona bad effect on kurukshetra tourism
पर्यटन क्षेत्र पर कोरोना का 'महाप्रहार'

कुरुक्षेत्र: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कहर से पूरी दुनिया में कोहराम मचा हुआ है. पूरी दुनिया में कारोबारी गतिविधियों पर बहुत नकारात्मक असर पड़ा है. वहीं लोगों के आने जाने पर लगी पाबंदी की वजह से पर्यटन उद्योग भी बर्बाद हो चुका है. कुछ ऐसी ही हालत धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के पर्यटन उद्योग की हुई है.

लॉकडाउन ने तोड़ी कारोबारियों की कमर!

कुरुक्षेत्र को हरियाणा का सबसे बड़ा धार्मिक पर्यटन स्थल कहा जा सकता है. यहां सूर्य ग्रहण और गीता जयंती समारोह के दिनों में 40 से 50 लाख लोगों की भीड़ पहुंचती थी, लेकिन इस साल यहां मंदिरों में सन्नाटा छाया रहा. ना तीर्थ स्थल सजे, ना मेला लगा, ना श्रद्धालु आए, होटलों में बुकिंग नहीं हुई, प्रसाद के स्टाल नहीं लगे, डेकोरेशन वालों को काम नहीं मिला और बाजार में बस सुन्न मायूसी छाई रही. यानी कि इस साल कुरुक्षेत्र पर्यटन से जुड़ा कारोबार पूरी तरह से डूब गया.

पर्यटन क्षेत्र पर कोरोना का 'महाप्रहार', देखिए रिपोर्ट

आर्थिक संकट से जूझ रहे पंडित

वहीं यहां कर्मकांड करवाने वाले पंडितों की आजीविका कोरोना महामारी के चलते खत्म हो गई है. पूरे जिले में करीब 378 छोटे बड़े मंदिर है. लॉक डाउन के शुरुआती तीन महीनों में इन मंदिरों के अंदर कोई भी दर्शनों के लिए नहीं पहुंचा, क्योंकि सरकार के आदेशानुसार इन सभी मंदिरों के कपाट बंद किए गए थे. जिससे इन मंदिरों में रहने वाले पुजारी भी आर्थिक संकट के दौर से गुजरे, फिलहाल स्थिति समान्य नहीं हुई.

फोटो ग्राफर्स हुए बेरोजगार

कुरुक्षेत्र में फोटोग्राफर्स की भी जमकर कमाई होती थी. पर्यटक यहां यादगार के लिए फोटो करवाते थे, लेकिन अब पिछले तीन महीने से फोटोग्राफर्स पर रोजीरोटी की तंगी आ गई है. यहां तक कि कई फोटोग्राफर्स ने फोटोग्राफी का प्रोफेशन छोड़ने का भी मन बना लिया.

बस स्थिति ठीक होने की उम्मीद

वहीं कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा के मुताबिक धर्मनगरी कुरुक्षेत्र प्रदेश का ही नहीं बल्कि देश का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है. यहां की अर्थव्यवस्था भी तीर्थ स्थलों पर आधारित है. लॉकडाउन का सबसे बड़ा असर पर्यटन क्षेत्र को पड़ा है. हालांकि उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही स्थिति समान्य हो जाएगी.

लॉकडाउन किसी भी कारोबारी के लिए बुरे सपने की तरह था. पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए तो अभी भी स्थिति समान्य नहीं हुई. हालांकि अब कारोबारियों के मन में उम्मीद जगी है. बस यही दुआ कर रहे हैं कि जल्द कोरोना वायरस नाम की बला से निजात मिलेगा और फिर मंदिर सजेंगे, श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी, चारों तरफ रौनक लगेगी और उनका मंदा पड़ा कारोबार चल पड़ेगा.

ये भी पढ़ें: गृहमंत्री अनिल विज ने भारत बंद को बताया बेअसर

कुरुक्षेत्र: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कहर से पूरी दुनिया में कोहराम मचा हुआ है. पूरी दुनिया में कारोबारी गतिविधियों पर बहुत नकारात्मक असर पड़ा है. वहीं लोगों के आने जाने पर लगी पाबंदी की वजह से पर्यटन उद्योग भी बर्बाद हो चुका है. कुछ ऐसी ही हालत धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के पर्यटन उद्योग की हुई है.

लॉकडाउन ने तोड़ी कारोबारियों की कमर!

कुरुक्षेत्र को हरियाणा का सबसे बड़ा धार्मिक पर्यटन स्थल कहा जा सकता है. यहां सूर्य ग्रहण और गीता जयंती समारोह के दिनों में 40 से 50 लाख लोगों की भीड़ पहुंचती थी, लेकिन इस साल यहां मंदिरों में सन्नाटा छाया रहा. ना तीर्थ स्थल सजे, ना मेला लगा, ना श्रद्धालु आए, होटलों में बुकिंग नहीं हुई, प्रसाद के स्टाल नहीं लगे, डेकोरेशन वालों को काम नहीं मिला और बाजार में बस सुन्न मायूसी छाई रही. यानी कि इस साल कुरुक्षेत्र पर्यटन से जुड़ा कारोबार पूरी तरह से डूब गया.

पर्यटन क्षेत्र पर कोरोना का 'महाप्रहार', देखिए रिपोर्ट

आर्थिक संकट से जूझ रहे पंडित

वहीं यहां कर्मकांड करवाने वाले पंडितों की आजीविका कोरोना महामारी के चलते खत्म हो गई है. पूरे जिले में करीब 378 छोटे बड़े मंदिर है. लॉक डाउन के शुरुआती तीन महीनों में इन मंदिरों के अंदर कोई भी दर्शनों के लिए नहीं पहुंचा, क्योंकि सरकार के आदेशानुसार इन सभी मंदिरों के कपाट बंद किए गए थे. जिससे इन मंदिरों में रहने वाले पुजारी भी आर्थिक संकट के दौर से गुजरे, फिलहाल स्थिति समान्य नहीं हुई.

फोटो ग्राफर्स हुए बेरोजगार

कुरुक्षेत्र में फोटोग्राफर्स की भी जमकर कमाई होती थी. पर्यटक यहां यादगार के लिए फोटो करवाते थे, लेकिन अब पिछले तीन महीने से फोटोग्राफर्स पर रोजीरोटी की तंगी आ गई है. यहां तक कि कई फोटोग्राफर्स ने फोटोग्राफी का प्रोफेशन छोड़ने का भी मन बना लिया.

बस स्थिति ठीक होने की उम्मीद

वहीं कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा के मुताबिक धर्मनगरी कुरुक्षेत्र प्रदेश का ही नहीं बल्कि देश का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है. यहां की अर्थव्यवस्था भी तीर्थ स्थलों पर आधारित है. लॉकडाउन का सबसे बड़ा असर पर्यटन क्षेत्र को पड़ा है. हालांकि उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही स्थिति समान्य हो जाएगी.

लॉकडाउन किसी भी कारोबारी के लिए बुरे सपने की तरह था. पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए तो अभी भी स्थिति समान्य नहीं हुई. हालांकि अब कारोबारियों के मन में उम्मीद जगी है. बस यही दुआ कर रहे हैं कि जल्द कोरोना वायरस नाम की बला से निजात मिलेगा और फिर मंदिर सजेंगे, श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी, चारों तरफ रौनक लगेगी और उनका मंदा पड़ा कारोबार चल पड़ेगा.

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