करनाल: हरियाणा में सब्जी की खेती (Vegetable farming in Haryana) बड़े पैमाने पर होती हैं. सर्दी का मौसम शुरू होते ही किसानों के लिए फसलों का ध्यान रखना मुश्किल हो जाता है. जब सर्दी अपनी चरम सीमा पर होती है तो उस वक्त खासकर सब्जी किसानों को भी अपनी फसलों को बचाने की चिंता सताने लगती है. कड़क सर्दी के कारण फसलों पर पाला पड़ने की आंशका बढ़ जाती है, जिससे रबी की फसलों को काफी नुकसान पहुंचता है. किसान चाहते हैं कि वे पाले से किसी भी तरह अपनी सब्जियों को बचाएं.
पाला कब पड़ता है- पाला पड़ने की आशंका दिसम्बर अंत और जनवरी तक अधिक रहती है. जब आसमान साफ हो, हवा न चल रही हो और तापमान कम हो जाये तब पाला पड़ने की आशंका ज्यादा बढ़ जाती है. रात में जमीन का तापमान गिर जाता है, क्योंकि पृथ्वी को गर्मी नहीं मिलती और इसमें मौजूद गर्मी विकिरण द्वारा नष्ट हो जाती है. तापमान कई बार 0 डिग्री सेल्सियस या इससे भी कम हो जाता है. ऐसी अवस्था में ओस की बूंदें जम जाती हैं. इसी को पाला कहा जाता है.
पाले से कैसे बचायें फसल- वरिष्ठ कृषि विशेषज्ञ डॉक्टर सीबी सिंह ने कहा कि पाले से सबसे अधिक नुकसान नर्सरी में होता है. नर्सरी में पौधों को रात में प्लास्टिक की चादर से ढकने की सलाह दी जाती है. ऐसा करने से प्लास्टिक के अंदर का तापमान 2-3 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है. इससे सतह का तापमान जमाव बिंदु तक नहीं पहुंच पाता और पौधे पाले से बच जाते हैं, लेकिन यह महंगी तकनीक है. गांव में पुआल का इस्तेमाल पौधों को ढकने के लिए किया जा सकता है. पौधों को ढकते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि पौधों का दक्षिण-पूर्वी भाग खुला रहे, ताकि पौधों को सुबह व दोपहर को धूप मिलती रहे. पुआल का प्रयोग दिसंबर से फरवरी तक करें.
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फसलों को बचाने का तरीका- पाले से बचाव के लिए खेत के चारों ओर मेड़ पर पेड़ झाड़ियों की बाड़ लगा दी जाती है. इससे शीतलहर द्वारा होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है. अगर खेत के चारों ओर मेड़ पर पेड़ों की कतार लगाना संभव न हो तो कम से कम उत्तर-पश्चिम दिशा में जरूर पेड़ की कतार लगानी चाहिये, जो अधिकतर इसी दिशा से आने वाली शीतलहर को रोकने का काम करेगी. पेड़ों की कतार की ऊंचाई जितनी अधिक होगी शीतलहर से सुरक्षा उसी के अनुपात में बढ़ती जाती है और यह सुरक्षा चार गुना दूरी तक होती. पेड़ की ऊंचाई के 25-30 गुना दूरी तक जिधर शीतलहर की हवा जा रही है, फसल सुरक्षित रहती है.
पराली से ढक सकते हैं फसल- डॉ सी बी सिंह ने बताया कि ठंड और कोहरा कुदरत की देन है, लेकिन किसान कुछ उपाय करके ठंढ व कोहरे की मार से फसलों को बचा सकते हैं. जहां कहीं सब्जियां व दूसरी फसलें लगी हों, ठंड में पानी देते रहें. इससे तापमान उचित बना रहता है. अगर खेत में पहले हुई बारिश का पानी समाया हुआ है तो पानी देने की जरूरत नहीं. वहीं खेत के चारों कोने में सूखी घासफूस का ढेर बना लें और धुंए के लिए इस सूखी घासफूस को सुबह शाम जलाएं.
बेड बनाकर खेती करने वाले रखें ध्यान- इससे फसल को ठंड व कोहरे से निजात मिलेगी और पौधे बचे रहेंगे. अगर संभव हो तो सब्जी के पौधों को इन दिनों पराली से ढांप दिया जाना चाहिए. इससे ठंड व कोहरे से पौधे बचे रहते हैं. कुछ किसान खासकर बेड पर सब्जी की खेती करने वाले किसान तो पॉलिथीन की टनल बनाकर पौधों को ढांपते हैं. पॉलिथीन का कुछ ही हिस्सा नंगा रखते हैं ताकि हवा जा जा सके.
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