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कड़ाके की सर्दी से किसानों को मिल सकता है फायदा, 105 मिलियन टन गेहूं उत्पादन की उम्मीद

शुक्रवार को करनाल के राष्ट्रीय गेहूं अनुसंधान संस्थान में किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान किसानों को बताया कि ठंड का मौसम गेंहू और सरसों की फसल के लिए अच्छा है.

Wheat will benefit from winter in haryana
Wheat will benefit from winter in haryana
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Published : Dec 20, 2019, 6:10 PM IST

करनाल: जिस तरह मौसम बदल रहा है वो गेहूं की फसल के लिए फायदेमंद साबित होगा. कृषि वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है की अगर ठंड लंबी चली तो इस बार गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हो सकता है. बता दें कि शुक्रवार को करनाल के राष्ट्रीय गेहूं अनुसंधान संस्थान में किसान प्रशिक्षण कार्यक्रर्म आयोजित किया गया.

संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने बताया की इस कार्यक्रम में लाहौल स्पीति (हिमाचल) से आए किसानों को कृषि और बागवानी की आधुनिक तकनीक से रूबरू कराया जा रहा है और उन्हें नई किस्मों की जानकारी दी जा रही है.

कड़ाके की सर्दी से गेहूं को मिलेगा फायदा, देखें वीडियो

ये भी पढ़ें- प्रदेश में ठंड का कहर जारी, अभी लोगों को नहीं मिलेगी राहत: मौसम विभाग

उन्होंने कहा की संस्थान ने डीबीडब्ल्यू 187 किस्म विकसित की है जिसमें 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर गेहूं उत्पादन की क्षमता है. इससे किसान को 12 से 15 हजार का फायदा मिलेगा. उन्होंने बताया की अब ऐसी किस्में बाजार में हैं जिनमें बीमारी की संभावना न के बराबर है. इसके आलावा 11 ऐसी किस्में विकसित की गई हैं जिनमें आयरन और प्रोटीन की मात्रा काफी अधिक है.

सांसद संजय भाटिया ने कहा की केंद्र सरकार किसानों की आय को दोगुना करना चाहती है. ऐसे रिसर्च संस्थान इस दिशा में काफी अच्छा काम कर रहे हैं. जल्द ही इसके अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे.

करनाल: जिस तरह मौसम बदल रहा है वो गेहूं की फसल के लिए फायदेमंद साबित होगा. कृषि वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है की अगर ठंड लंबी चली तो इस बार गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हो सकता है. बता दें कि शुक्रवार को करनाल के राष्ट्रीय गेहूं अनुसंधान संस्थान में किसान प्रशिक्षण कार्यक्रर्म आयोजित किया गया.

संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने बताया की इस कार्यक्रम में लाहौल स्पीति (हिमाचल) से आए किसानों को कृषि और बागवानी की आधुनिक तकनीक से रूबरू कराया जा रहा है और उन्हें नई किस्मों की जानकारी दी जा रही है.

कड़ाके की सर्दी से गेहूं को मिलेगा फायदा, देखें वीडियो

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उन्होंने कहा की संस्थान ने डीबीडब्ल्यू 187 किस्म विकसित की है जिसमें 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर गेहूं उत्पादन की क्षमता है. इससे किसान को 12 से 15 हजार का फायदा मिलेगा. उन्होंने बताया की अब ऐसी किस्में बाजार में हैं जिनमें बीमारी की संभावना न के बराबर है. इसके आलावा 11 ऐसी किस्में विकसित की गई हैं जिनमें आयरन और प्रोटीन की मात्रा काफी अधिक है.

सांसद संजय भाटिया ने कहा की केंद्र सरकार किसानों की आय को दोगुना करना चाहती है. ऐसे रिसर्च संस्थान इस दिशा में काफी अच्छा काम कर रहे हैं. जल्द ही इसके अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे.

Intro:
मौसम ने ली करवट , कड़ाके की सर्दी से गेहूं को मिलेगा फायदा , राष्ट्रिय गेहूं अनुसंधान संस्थान ने जताई इस बार 105 मिलियन टन गेहूं उत्पादन की उम्मीद , संस्थान की नई किस्म डीबीडब्ल्यू 187 से प्रति एकड़ होगा 100 क्विंटल गेहूं उत्पादन , आयरन और प्रोटीन से भरपूर गेहूं से मिटेगा कुपोषण , लाहौल स्पीति से आये किसानों के दल ने करनाल के कृषि वैज्ञानिकों से सीखी फसल उत्पादन की आधुनिक तकनीक , सांसद संजय भाटिया ने की मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत।



Body:
जिस तरह मौसम बदल रहा है वह गेहूं की फसल के फायदेमंद साबित होगा , ठण्ड बढ़ने से कृषि वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है की अगर ठंड लम्बी चली तो इस बार गेहूं का रिकार्ड उत्पादन होने की उम्मीद है। आज करनाल के राष्ट्रिय गेहूं अनुसंधान संस्थान में आयोजित किसान प्रशिक्षण कार्य्रकम के दौरान बोलते हुए संस्थान के निदेशक डॉ ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने बताया की इस कार्यक्रम में लाहौल स्पीति से आये किसानों को कृषि व बागवानी की आधुनिक तकनीक से रूबरू कराया जा रहा है और उन्हें नई किस्मों की जानकारी दी जा रही है। उन्होंने कहा की संस्थान ने डी बी डब्ल्यू 187 किस्म विकसित की है जिसमे 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर गेहूं उत्पादन की क्षमता है। इससे किसान को 12 से 15 हजार का फायदा मिलेगा। उन्होंने बताया की अब ऐसी किस्मे बाजार में हैं जिनमे बीमारी की सम्भावना न के बराबर हैं। इसके आलावा 11 ऐसी किस्मे विकसित की गई हैं जिनमे आयरन और प्रोटीन की मात्रा काफी अधिक है। Conclusion:सांसद संजय भाटिया ने कहा की केंद्र सरकार किसानों की आय को दोगुना करना चाहती है , ऐसे रिसर्च संस्थान इस दिशा में काफी अच्छा काम कर रहे हैं। जल्द ही इसके अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे।

बाइट - डॉ ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह , निदेशक
बाइट - सांसद , संजय भाटिया
बाइट - शांति देवी , किसान
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