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अधिक तापमान में भी गेहूं की होगी अच्छी पैदावार, भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान में 24 किस्मों पर हुआ शोध

आने वाले वर्षों में तापमान बढ़ने के बावजूद (wheat varieties Scientists research in Karnal) गेहूं की फसल को नुकसान नहीं होगा. करनाल में गेहूं की ऐसी किस्मों पर शोध किया जा रहा है. वैज्ञानिकों का दावा है कि 5 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ने पर भी गेहूं की पैदावार पर तापमान का असर नहीं होगा.

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Published : Mar 18, 2023, 3:56 PM IST

wheat varieties Scientists research in Karnal
अधिक तापमान में भी गेहूं की होगी अच्छी पैदावार, करनाल में गेहूं की 24 किस्मों पर वैज्ञानिकों का शोध
तापमान बढ़ने पर भी गेहूं की पैदावार पर नहीं होगा असर.

करनाल: देश में गेहूं उत्पादन पर ग्लोबल वार्मिंग के संभावित खतरे से निपटने के लिए कृषि वैज्ञानिकों की पूरी तैयारी है. वे ऐसी किस्मों पर काम कर रहे हैं, जो ज्यादा तापमान पर भी अच्छी पैदावार देगी. भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान करनाल में अगले ढ़ाई दशक को जेहन में रखकर शोध चल रहे हैं. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अभी तक के तापमान को देखते हुए इस बार गेहूं की पैदावार काफी अच्छी हो सकती है. गेहूं की जिन 24 किस्मों पर शोध चल रहा है, यह वर्ष 2022 में ही शुरू हुआ था.

शोध के तहत इनमें से 20 किस्मों को खेतों में उगाया जा रहा है. वैज्ञानिक फरवरी में 25 से 30 डिग्री तापमान को 5 डिग्री बढ़ाकर शोध कर रहे हैं ताकि पता चल सके कि ज्यादा तापमान सहन करने की शक्ति कैसे बढ़ाई जाए. वैज्ञानिक किसानों को नमी को लेकर जागरूक कर रहे हैं. क्योंकि नमी घटने से उत्पादन 3.50 प्रतिशत गिर गया था. उत्पादन देश में पिछले साल जब गेहूं की फसल खेत में पकी थी, तब खेत में ही गेहूं में नमी 8 से 9 प्रतिशत रह गई थी.

पढ़ें: करनाल में बेमौसम बारिश से दोबारा लौटी ठंड, तेज हवा और बारिश से फसलें हुई खराब

अमूमन खेत में गेहूं की फसल में नमी 12 से 13 प्रतिशत होती है. सामान्यतया गेहूं में नमी 4 से 5 प्रतिशत घटने में 3 से 4 महीने लगते हैं. गेहूं वैज्ञानिक डॉ. रत्न तिवारी बताते हैं कि इस बार गेहूं की पैदावार काफी अच्छी हो सकती है. करनाल में गेहूं की 24 किस्मों पर शोध चल रहा है. जब 1 डिग्री से ज्यादा तापमान बढ़ता है तो गेहूं की फसल पर भी असर पड़ता है लेकिन अभी तक गेहूं पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा है.

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इस बार गेहूं की अच्छी पैदावार होने की संभावना जताई है.

उन्होंने बताया, 'हमने इस पर 5 साल पहले रिसर्च करना शुरू कर दिया था, अभी तक ऐसा कुछ नजर नहीं आया है जिससे गेहूं की इन किस्मों पर असर हो.' उन्होंने कहा कि यहां का तापमान बाहर के तापमान से 5 डिग्री अधिक है. इन रिसर्च के द्वारा हम किसानों को बता सकते हैं कि आगे चलकर वह कौन सी किस्म लगा सकते हैं जो बढ़ते तापमान से बची रहेगी. गेहूं अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा कि फिलहाल गेहूं की फसल बहुत अच्छी है और जनवरी फरवरी-मार्च का जो तापमान चल रहा है उस के लिए अनुकूल है.

पढ़ें: Ice cream New Flavour : बाजरे-दूध-शहद से बनी आइसक्रीम बढ़ाएगी पौष्टिकता

वर्तमान में अधिकतम तापमान 35 डिग्री के नीचे है और न्यूनतम 15 डिग्री तक है जो गेहूं की फसल के लिए बहुत अच्छा है. मौसम विभाग का जो अनुमान है उसके अनुसार 25 मार्च तक यह तापमान इससे नीचे रहने वाला है. निदेशक ने कहा कि अगर तापमान बढ़ता भी है तो किसान खेतों में पानी देते रहें और पोटैशियम क्लोराइड का छिड़काव करें. अगर मौसम खराब हो और आंधी का खतरा हो तो पानी रोक दें. उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि किसानों ने इस बार एडवांस में गेहूं की बिजाई कर दी थी, जिसकी वजह से उच्च तापमान से नुकसान का कोई खतरा नहीं है.

तापमान बढ़ने पर भी गेहूं की पैदावार पर नहीं होगा असर.

करनाल: देश में गेहूं उत्पादन पर ग्लोबल वार्मिंग के संभावित खतरे से निपटने के लिए कृषि वैज्ञानिकों की पूरी तैयारी है. वे ऐसी किस्मों पर काम कर रहे हैं, जो ज्यादा तापमान पर भी अच्छी पैदावार देगी. भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान करनाल में अगले ढ़ाई दशक को जेहन में रखकर शोध चल रहे हैं. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अभी तक के तापमान को देखते हुए इस बार गेहूं की पैदावार काफी अच्छी हो सकती है. गेहूं की जिन 24 किस्मों पर शोध चल रहा है, यह वर्ष 2022 में ही शुरू हुआ था.

शोध के तहत इनमें से 20 किस्मों को खेतों में उगाया जा रहा है. वैज्ञानिक फरवरी में 25 से 30 डिग्री तापमान को 5 डिग्री बढ़ाकर शोध कर रहे हैं ताकि पता चल सके कि ज्यादा तापमान सहन करने की शक्ति कैसे बढ़ाई जाए. वैज्ञानिक किसानों को नमी को लेकर जागरूक कर रहे हैं. क्योंकि नमी घटने से उत्पादन 3.50 प्रतिशत गिर गया था. उत्पादन देश में पिछले साल जब गेहूं की फसल खेत में पकी थी, तब खेत में ही गेहूं में नमी 8 से 9 प्रतिशत रह गई थी.

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अमूमन खेत में गेहूं की फसल में नमी 12 से 13 प्रतिशत होती है. सामान्यतया गेहूं में नमी 4 से 5 प्रतिशत घटने में 3 से 4 महीने लगते हैं. गेहूं वैज्ञानिक डॉ. रत्न तिवारी बताते हैं कि इस बार गेहूं की पैदावार काफी अच्छी हो सकती है. करनाल में गेहूं की 24 किस्मों पर शोध चल रहा है. जब 1 डिग्री से ज्यादा तापमान बढ़ता है तो गेहूं की फसल पर भी असर पड़ता है लेकिन अभी तक गेहूं पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा है.

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इस बार गेहूं की अच्छी पैदावार होने की संभावना जताई है.

उन्होंने बताया, 'हमने इस पर 5 साल पहले रिसर्च करना शुरू कर दिया था, अभी तक ऐसा कुछ नजर नहीं आया है जिससे गेहूं की इन किस्मों पर असर हो.' उन्होंने कहा कि यहां का तापमान बाहर के तापमान से 5 डिग्री अधिक है. इन रिसर्च के द्वारा हम किसानों को बता सकते हैं कि आगे चलकर वह कौन सी किस्म लगा सकते हैं जो बढ़ते तापमान से बची रहेगी. गेहूं अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा कि फिलहाल गेहूं की फसल बहुत अच्छी है और जनवरी फरवरी-मार्च का जो तापमान चल रहा है उस के लिए अनुकूल है.

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वर्तमान में अधिकतम तापमान 35 डिग्री के नीचे है और न्यूनतम 15 डिग्री तक है जो गेहूं की फसल के लिए बहुत अच्छा है. मौसम विभाग का जो अनुमान है उसके अनुसार 25 मार्च तक यह तापमान इससे नीचे रहने वाला है. निदेशक ने कहा कि अगर तापमान बढ़ता भी है तो किसान खेतों में पानी देते रहें और पोटैशियम क्लोराइड का छिड़काव करें. अगर मौसम खराब हो और आंधी का खतरा हो तो पानी रोक दें. उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि किसानों ने इस बार एडवांस में गेहूं की बिजाई कर दी थी, जिसकी वजह से उच्च तापमान से नुकसान का कोई खतरा नहीं है.

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