करनाल: हरियाणा में ई टेंडरिंग को लेकर प्रदेश सरकार और सरपंच आमने सामने हैं. हरियाणा सरपंच एसोसिएशन ई टेंडरिंग का विरोध कर रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह 2 लाख से अधिक के कार्य ई टेंडरिंग के जरिए कराए जाने का निर्णय है. इससे पहले सरपंच अपने गांवों में 20 लाख तक के विकास कार्य करवा सकते थे और इससे अधिक के कार्यो के लिए ई टेंडरिंग व्यवस्था लागू की गई थी. अब सरपंच केवल 2 लाख तक के कार्य ही अपने स्तर पर करवा सकेंगे. इसको लेकर हरियाणा के सरपंच सरकार का विरोध कर रहे हैं. ईटीवी भारत ने इस मुद्दे पर ग्रामीणों और पूर्व सरपंचों से बात की और इस बारे में उनकी राय जानी है.
इस दौरान ग्रामीणों ने बताया कि सरपंच गांव का मुखिया होता है और वह जानता है कि गांव में क्या-क्या विकास कार्य कराए जाने हैं. ऐसे में 2 लाख की सीमा के तहत विकास कार्य कैसे संभव होंगे. आज दो लाख के बजट में गांव की एक गली में सड़क भी नहीं बन सकती है. ऐसे में कुछ ग्रामीण इसका विरोध कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार को जब यह व्यवस्था लागू करनी थी तो इस बारे में हरियाणा में पंचायत चुनाव से पहले बताया जाना था. हालांकि प्रदेश सरकार का दावा है कि ई टेंडरिंग व्यवस्था को इसीलिए लागू किया गया था क्योंकि सरकार ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार को खत्म करना चाहती है. जिससे सरकार के बजट का पूरा उपयोग गांव के विकास कार्यो पर ही हो सके.
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वहीं करनाल के कुछ ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच ही गांव के विकास कार्य करवाते हैं और इतनी कम राशि में गांव का विकास कार्य नहीं हो सकता. इसलिए सरकार को चाहिए कि सरपंचों के साथ बैठकर इस मुद्दे का हल निकालना चाहिए. इस बार पंचायत चुनाव 2 साल की देरी से हुए हैं और अब भी गांव में विकास कार्य नहीं हो रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार को यह व्यवस्था लागू करनी है, तो पहले विधायक और मंत्री पर भी इसे लागू करना चाहिए.
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ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रदेश सरकार अपने इसी निर्णय पर अडिग रहती है, तो सरकार को आने वाले चुनावों में भुगतना पड़ सकता है. कुछ ग्रामीण प्रदेश सरकार के इस निर्णय के साथ खड़े नजर आते हैं, उनका कहना है कि ई टेंडरिंग व्यवस्था से ग्राम पंचायतों में होने वाले भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा.