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बाढ़ राहत का रियलिटी चेक: लॉकडाउन के चलते नहीं बन पाए स्टड, किसान बेचैन

मानसून के दौरान यमुना उफान पर होती है. यमुना के पानी से हरियाणा में हर साल करोड़ों रुपये की फसल बर्बाद होती है तो वहीं हर साल कई घर जलमग्न हो जाते हैं. इस साल लॉकडाउन की वजह से कोई भी तैयारी नहीं हो पाई है. ईटीवी भारत ने इसका जायजा लिया.

stud construction delay due to lockdown in karnal
करनाल में दोबारा शुरू हुए स्टड निर्माण का काम
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Published : Jun 6, 2020, 3:13 AM IST

Updated : Jun 7, 2020, 3:53 PM IST

करनाल: हरियाणा के कई ऐसे जिले हैं जो बाढ़ प्रभावित हैं. हर साल भारी बारिश के बाद यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, अंबाला, सोनीपत और करनाल के कई इलाकों में यमुना और मारकंडा की बाढ़ कहर बरपाती है. अगर बात सीएम सिटी करनाल की करें तो यहां के इंद्री ओर घरौंडा के गावों में मानसून के दौरान जलभराव और बाढ़ जैसे हालात बन जाते हैं. इन क्षेत्रों के लालूपुरा, मुस्तफाबाद, शेरगढ़ टापू, मुंडिगढ़ी, फरीदपुर, गुमथला, बहलोलपुर वो गांव हैं जो सबसे ज्यादा यमुना के रौद्र रूप से प्रभावित होते हैं.

बाढ़ राहत का रियलिटी चेक: लॉकडाउन के चलते नहीं बन पाए स्टड, किसान बेचैन

ऐसे में हर साल इन क्षेत्रों में बाढ़ का प्रभाव कम करने के लिए स्टड बनाए जाते हैं, लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से इन स्टडों के निर्माण का काम वक्त रहते शुरू नहीं हो सका है. जिस वजह से यमुना के पास लगते ग्रामीण इलाके के लोगों और किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें आ चुकी हैं.

ईटीवी भारत ग्राउंड जीरो पर पहुंचा और जाना कि आखिर करनाल में बनने वाले स्टडों का काम कितना हो चुका है? साथ ही ईटीवी भारत ने ये भी जानना कि अगर स्टड वक्त रहते नहीं बने तो यमुना नदी से लगते क्षेत्रों पर इसका कितना असर हो सकता है?

लॉकडाउन से पहले शुरू होने थे ये काम

मानसून के दौरान यमुना के पानी से बाढ़ जैसे हालात पैदा ना हो. इसके लिए 5 करोड़ 33 लाख रुपये की लागत से ढाकवाला, मुस्तफाबाद और शेरगढ़ टापू में 13 नए स्टड और 10 स्टडों की मरम्मत का कार्य होना था जो लॉकडाउन की वजह से देर से शुरू हुआ है.

हाल ही में उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने भी यमुना नदी के तट पर पानी से कटाव को रोकने के लिए सिंचाई विभाग द्वारा किए जा रहे प्रबंधों का जायजा लिया था और अधिकारियों से तैयारियों की विस्तार से जानकारी भी ली थी. बता दें कि बरसात के मौसम में यमुना का पानी नदी से लगते क्षेत्रों में कहर बरपाता है. इस पानी को काबू करने के लिए हर साल सिंचाई विभाग कटाव को रोकने के लिए प्रबंध करता है.

वक्त कम और काम ज्यादा!

इसी कड़ी में इस साल भी सिंचाई विभाग 13 नए स्टडों की मरम्मत का काम करवा रहा है. इस पर करीब 5 करोड़ 33 लाख का खर्च आएगा. वहीं सिंचाई विभाग के अधीक्षक अभियंता संजीव राहत ने बताया कि कोविड-19 के कारण स्टड बनाने के काम पर थोड़ी देरी जरूर हुई है, इसके बावजूद भी इसे निर्धारित वक्त में पूरा कर लिया जाएगा.

मजदूर नहीं, पत्थर मिलने में आ रही दिक्कत

वहीं ठेकेदार अभिषेक गुप्ता ने बताया कि स्टड बनाने के लिए प्रयोग होने वाले पत्थर मिलने में काफी दिक्कत आ रही हैं. जो पत्थर पहले उन्हें यमुनानगर से आसानी से मिल जाते थे, वो ना मिलने के कारण अब दादरी से महंगे दामों पर पत्थर मंगवाने पड़ रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इस बार सरकार ने उन्हें ठेका एक महीने देरी से मिला है और इस बार मजदूरों की भी कमी है. ऐसे में काम प्रभावित हो सकता है.

ये भी पढ़िए: मजदूर हमारी धरोहर, वापस लाने के लिए यूपी, बिहार के सीएम से बात करूंगा: दुष्यंत

कैसे पूरा होगा स्टड बनने का काम?

ठेकेदार ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि सरकार इस बार पहले वो स्टड बनवाए जो बेहद जरूरी है, क्योंकि थोड़े वक्त में ज्यादा काम का दबाव है. ऐसे में अच्छी तरह से कोई भी काम होना संभव नहीं है. बहरहाल मानसून 15 जून तक हरियाणा में दस्तक दे सकता है. यानी की 30 जून तक यमुना अपने रौद्र रूप में आ सकती है. अगर वक्त रहते यमुना नदी के पास स्टड बनाने का काम पूरा नहीं हुआ तो नदी से लगते ग्रामीण क्षेत्रों पर खतरा जरूर बढ़ सकता है.

करनाल: हरियाणा के कई ऐसे जिले हैं जो बाढ़ प्रभावित हैं. हर साल भारी बारिश के बाद यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, अंबाला, सोनीपत और करनाल के कई इलाकों में यमुना और मारकंडा की बाढ़ कहर बरपाती है. अगर बात सीएम सिटी करनाल की करें तो यहां के इंद्री ओर घरौंडा के गावों में मानसून के दौरान जलभराव और बाढ़ जैसे हालात बन जाते हैं. इन क्षेत्रों के लालूपुरा, मुस्तफाबाद, शेरगढ़ टापू, मुंडिगढ़ी, फरीदपुर, गुमथला, बहलोलपुर वो गांव हैं जो सबसे ज्यादा यमुना के रौद्र रूप से प्रभावित होते हैं.

बाढ़ राहत का रियलिटी चेक: लॉकडाउन के चलते नहीं बन पाए स्टड, किसान बेचैन

ऐसे में हर साल इन क्षेत्रों में बाढ़ का प्रभाव कम करने के लिए स्टड बनाए जाते हैं, लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से इन स्टडों के निर्माण का काम वक्त रहते शुरू नहीं हो सका है. जिस वजह से यमुना के पास लगते ग्रामीण इलाके के लोगों और किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें आ चुकी हैं.

ईटीवी भारत ग्राउंड जीरो पर पहुंचा और जाना कि आखिर करनाल में बनने वाले स्टडों का काम कितना हो चुका है? साथ ही ईटीवी भारत ने ये भी जानना कि अगर स्टड वक्त रहते नहीं बने तो यमुना नदी से लगते क्षेत्रों पर इसका कितना असर हो सकता है?

लॉकडाउन से पहले शुरू होने थे ये काम

मानसून के दौरान यमुना के पानी से बाढ़ जैसे हालात पैदा ना हो. इसके लिए 5 करोड़ 33 लाख रुपये की लागत से ढाकवाला, मुस्तफाबाद और शेरगढ़ टापू में 13 नए स्टड और 10 स्टडों की मरम्मत का कार्य होना था जो लॉकडाउन की वजह से देर से शुरू हुआ है.

हाल ही में उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने भी यमुना नदी के तट पर पानी से कटाव को रोकने के लिए सिंचाई विभाग द्वारा किए जा रहे प्रबंधों का जायजा लिया था और अधिकारियों से तैयारियों की विस्तार से जानकारी भी ली थी. बता दें कि बरसात के मौसम में यमुना का पानी नदी से लगते क्षेत्रों में कहर बरपाता है. इस पानी को काबू करने के लिए हर साल सिंचाई विभाग कटाव को रोकने के लिए प्रबंध करता है.

वक्त कम और काम ज्यादा!

इसी कड़ी में इस साल भी सिंचाई विभाग 13 नए स्टडों की मरम्मत का काम करवा रहा है. इस पर करीब 5 करोड़ 33 लाख का खर्च आएगा. वहीं सिंचाई विभाग के अधीक्षक अभियंता संजीव राहत ने बताया कि कोविड-19 के कारण स्टड बनाने के काम पर थोड़ी देरी जरूर हुई है, इसके बावजूद भी इसे निर्धारित वक्त में पूरा कर लिया जाएगा.

मजदूर नहीं, पत्थर मिलने में आ रही दिक्कत

वहीं ठेकेदार अभिषेक गुप्ता ने बताया कि स्टड बनाने के लिए प्रयोग होने वाले पत्थर मिलने में काफी दिक्कत आ रही हैं. जो पत्थर पहले उन्हें यमुनानगर से आसानी से मिल जाते थे, वो ना मिलने के कारण अब दादरी से महंगे दामों पर पत्थर मंगवाने पड़ रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इस बार सरकार ने उन्हें ठेका एक महीने देरी से मिला है और इस बार मजदूरों की भी कमी है. ऐसे में काम प्रभावित हो सकता है.

ये भी पढ़िए: मजदूर हमारी धरोहर, वापस लाने के लिए यूपी, बिहार के सीएम से बात करूंगा: दुष्यंत

कैसे पूरा होगा स्टड बनने का काम?

ठेकेदार ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि सरकार इस बार पहले वो स्टड बनवाए जो बेहद जरूरी है, क्योंकि थोड़े वक्त में ज्यादा काम का दबाव है. ऐसे में अच्छी तरह से कोई भी काम होना संभव नहीं है. बहरहाल मानसून 15 जून तक हरियाणा में दस्तक दे सकता है. यानी की 30 जून तक यमुना अपने रौद्र रूप में आ सकती है. अगर वक्त रहते यमुना नदी के पास स्टड बनाने का काम पूरा नहीं हुआ तो नदी से लगते ग्रामीण क्षेत्रों पर खतरा जरूर बढ़ सकता है.

Last Updated : Jun 7, 2020, 3:53 PM IST
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