करनाल: अभीतक आपने जमीन पर फल और सब्जियों उगाई होंगी, लेकिन आज हम आपको खेती करने का एक नया तरीका बताएंगे, जिसमें आप बिना जमीन के वर्टिकल फार्मिंग के जरिए सब्जियां उगा सकते हैं. करनाल के इंडो इजरायल सब्जी उत्कृष्ट केंद्र घरौंडा में कुछ इस तरह से खेती कर नए-नए कीर्तिमान स्थापित किए जा रहे हैं. यहां पर वैज्ञानिकों ने बिना मिट्टी के वर्टिकल फार्मिंग के माध्यम से सब्जी उगा रहे हैं. उत्कृष्ट केंद्र के सेंटर इंचार्ज सुधीर यादव ने बताया कि इस तरह की खेती करने से चार गुना प्रोडक्शन किया जा सकता है.
वर्टिकल फार्मिंग की खेती: सेंटर इंचार्ज सुधीर यादव ने बताया कि वर्टिकल फार्मिंग तकनीक का सफलतापूर्वक इस्तेमाल कर अब किसानों को भी इसमें पारंगत किया जाएगा. वहीं, सुधीर यादव ने बताया कि किसानों को वर्टिकल फार्मिंग की खेती से प्रोत्साहित किया जाएगा. उनका कहना है कि जिस तरह से जमीन कम हो रही है, जमीन में पोषक तत्वों की कमी हो रही है, इसका एक ही समाधान है और वह है वर्टिकल फार्मिंग. उन्होंने कहा कि यह एक भविष्य की खेती है. हरियाणा व देश के वह इलाके जहां से उपजाऊ मिट्टी की समस्या है, वहां वर्टिकल खेती से सब्जी आसानी से उगाई जा सकती है.
सब्जी उगाने से ज्यादा फायदा: सेंटर इंचार्ज सुधीर यादव ने बताया कि बेल की सब्जी उगाने से ज्यादा फायदा होता है. इन सब्जियों में घिया, लौकी, टमाटर, मिर्च, बैंगन और खीरा जैसी कई सब्जियां शामिल हैं. उन्होंने बताया कि बेल वाली तकनीक से पहले ही घीया, तोरई, करेला और खीरे की खेती की जाती थी. लेकिन, यहां वैज्ञानिकों ने नए बीज पर रिसर्च करके शिमला मिर्च, बैंगन, टमाटर को बेल वाली सब्जी में तब्दील गया जिसकी लम्बाई 8 से 10 फीट होती है. जो पूरे भारत में पहली बार इस सेंटर पर तैयार की गई है.
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कैसे करें वर्टिकल फार्मिंग: कोकोपीट तकनीक से पौधे के लिए बेस तैयार किया जाता है. इसमें पौधे को जितने भी पोषक तत्व चाहिए, बस कोकोपीट के माध्यम से उपलब्ध कराए जाते हैं. यह पॉलीथीन की क्यारी नुमा पोर्टेबल बेस है. इसमें सब्जी को रोपित कर रस्सी या बांस के सहारे उसे ऊंचाई की ओर ले जाया जाता है. इस तरह से न जमीन की जरूरत होती है और न मिट्टी की. यह बहुत ही आसान तकनीक है. थोड़े से प्रशिक्षण से किसान आसानी से अपने खेत में इस तकनीक से सब्जी की खेती कर सकता है.
जमीन में पोषक तत्व की कमी: जमीन में पोषक तत्व तेजी से कम हो रहे हैं. कई जगह तो जमीन इतनी खराब हो गई कि इसे ठीक करना मुश्किल है. इस तरह के इलाकों में यह तकनीक वरदान से कम नहीं है. निश्चित ही इस तकनीक से जहां किसानों को लाभ होगा, वहीं सब्जी खाने वालों को अच्छी गुणवत्ता के साथ पोषक तत्वों से भरपूर सब्जी मिलेगी. कोकोपीट में हर पोषक तत्व देने का एक निश्चित फॉर्मूला है, इसलिए पौधे को इतना ही खाद, पानी और दवा दी जाती है, जो हमारे स्वास्थ्य के अनुकूल हो.
खर्च ज्यादा और उत्पादन चार गुना: सेंटर इंचार्ज सुधीर यादव ने बताया कि थोड़ा खर्च ज्यादा है, लेकिन उत्पादन भी चार गुना अधिक है. इससे भी बड़ी बात तो यह है कि यह संरक्षित खेती है. इससे अगली फसल कर किसान बाजार से सब्जी का अच्छा खासा भाव ले सकता है. इस तरह से खर्च और आमदनी की तुलना की जाए तो फायदा ही होता है. इस विधि से तैयार की गई सब्जी बहुत हद तक केमिकल रहित और पोषक तत्वों से भरपूर होती है.